आठ माह में ढहा 25 लाख का नाला, मुनाफे के चक्कर में मानकों की अनदेखी
नगर निगम के अभियंताओं व ठेकेदारों का खेल, राजाजीपुरम में घटिया निमार्ण बना सिरदर्द।
लखनऊ(जेएनएन)। राजधानी स्थित राजाजीपुरम के निवासियों के चेहरे पर तब खुशी झलकी थी, जब उनके यहा नाला बनने का नंबर आया था। नगर निगम ने अवस्थापना निधि से 25 लाख से नाले का निर्माण कराने की मंजूरी भी दी थी, लेकिन अधिक मुनाफे के चक्कर में ठेकेदारों ने मानकों की अनदेखी की तो अभियंताओं ने कमीशन लेकर घटिया निर्माण पर आखें बूंद कर ली थी।
सात माह पहले बने इस नाले का भुगतान भी करा दिया गया, लेकिन घटिया तरह से बनाए गए नाले की हकीकत अब सामने आ गई है। पुराने नाले पर ही निर्माण सामग्री का लेप लगा दिया गया था। इतना ही नहीं तय लंबाई में भी नाले का निर्माण नहीं कराया गया और नाला निर्माण की शेष रकम हजम कर ली गई। नाले का निर्माण हैदर कैनाल से ए-ब्लाक तिराहे तक होना था, लेकिन निर्माण आधा अधूरा ही कराया गया। कर्बला से आगे बढ़ने पर नाला क्षतिग्रस्त हो गया तो आगे बढ़ने पर उसकी दशा और भी खराब नजर आती है। सीमेंट और मौरंग गायब हो गई है अब ईंट नजर आ रही है, जो उखड़ रही है। नाला टेढ़ा बनने और उसमे ढाल न होने से उसमें पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।
पार्षद राजीव कृष्ण त्रिपाठी कहते हैं कि ठेकेदार ने निविदा में दर्ज लंबाई से कम लंबाई में नाले का निर्माण कराया था। नाला इतना खराब बनाया था कि वह सात माह में ढहने लगा है। इसकी शिकायत भी वह नगर आयुक्त को लिखित तौर पर कर चुके हैं।जागरण संवाददाता, लखनऊ: राजाजीपुरम के निवासियों के चेहरे पर तब खुशी झलकी थी, जब उनके यहा नाला बनने का नंबर आया था। नगर निगम ने अवस्थापना निधि से 25 लाख से नाले का निर्माण कराने की मंजूरी भी दी थी, लेकिन अधिक मुनाफे के चक्कर में ठेकेदारों ने मानकों की अनदेखी की तो अभियंताओं ने कमीशन लेकर घटिया निर्माण पर आखें बूंद कर ली थी।
सात माह पहले बने इस नाले का भुगतान भी करा दिया गया, लेकिन घटिया तरह से बनाए गए नाले की हकीकत अब सामने आ गई है। पुराने नाले पर ही निर्माण सामग्री का लेप लगा दिया गया था। इतना ही नहीं तय लंबाई में भी नाले का निर्माण नहीं कराया गया और नाला निर्माण की शेष रकम हजम कर ली गई। नाले का निर्माण हैदर कैनाल से ए-ब्लाक तिराहे तक होना था, लेकिन निर्माण आधा अधूरा ही कराया गया। कर्बला से आगे बढ़ने पर नाला क्षतिग्रस्त हो गया तो आगे बढ़ने पर उसकी दशा और भी खराब नजर आती है। सीमेंट और मौरंग गायब हो गई है अब ईंट नजर आ रही है, जो उखड़ रही है। नाला टेढ़ा बनने और उसमे ढाल न होने से उसमें पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।
पार्षद राजीव कृष्ण त्रिपाठी कहते हैं कि ठेकेदार ने निविदा में दर्ज लंबाई से कम लंबाई में नाले का निर्माण कराया था। नाला इतना खराब बनाया था कि वह सात माह में ढहने लगा है। इसकी शिकायत भी वह नगर आयुक्त को लिखित तौर पर कर चुके हैं।
जाच कराई जाएगी :
नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि वह जाच कराएंगे। दोषी अभियंताओं और ठेकेदारों पर कार्रवाई होगी। जितनी रकम खर्च होगी वह अभियंताओं व ठेकेदारों से वसूली जाएगी।