स्वीमिंग पूल में डूबकर बीटेक छात्र की मौत, परिवार ने दर्ज कराई कोच के खिलाफ रिपोर्ट
काल्विन के पूल में छात्र की डूबने से मौत का मामला। अस्पताल पहुंचाने के बाद दी पुलिस को जानकारी। इकलौते बेटे की मौत से घर में मचा कोहराम।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। कॉल्विन तालुकेदार कॉलेज परिसर में स्वीमिंग सीखने गए बीटेक छात्र आशुतोष सिंह (22) की पूल में डूबने से मौत हो गई। छात्र के पिता ने कोच पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए गैरइरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है। ये है पूरा मामला:
छितवापुर निवासी महेंद्र प्रताप सिंह वन विभाग के आइटी सेल में तैनात हैं। उनके मुताबिक, आशुतोष एक निजी विद्यालय में बीटेक द्वितीय वर्ष का छात्र था। पिछले तीन दिनों से स्वीमिंग सीखने कॉल्विन तालुकेदार परिसर स्थित स्वीमिंग पूल जाता था। रोजाना की तरह रविवार सुबह आशुतोष स्वीमिंग सीखने निकला। उसे बिना किट के स्वीमिंग पूल में उतार दिया गया। आशुतोष स्वीमिंग नहीं जानता था, फिर भी उसके साथ कोच प्रवीण सोनकर स्वीमिंग पूल में नहीं उतरे। आशुतोष डूब गया, तो खलबली मच गई। स्टाफ ने आशुतोष को पूल से निकालकर उसके सीने को पंप किया, बाद में उसे बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया, जहा डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल पहुंचाने के बाद दी पुलिस को जानकारी :
इंस्पेक्टर महानगर विकास पाडेय ने बताया कि स्वीमिंग पूल में डूबे बीटेक के छात्र आशुतोष को कोच प्रवीण सोनकर बलरामपुर अस्पताल ले गए, इसके बाद पुलिस को जानकारी दी। पुलिस बलरामपुर अस्पताल पहुंची, तब तक आशुतोष की मौत हो चुकी थी। इंस्पेक्टर ने बताया कि अभी घरवालों की ओर से तहरीर नहीं मिली है, कोच प्रवीण को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है। तहरीर के बाद एफआइआर दर्जकर कार्रवाई की जाएगी। आशुतोष को बिना किट के स्वीमिंग पुल में उतारा गया कि नहीं, यह जाच का विषय है।
इकलौते बेटे की मौत से घर में मचा कोहराम:
महेंद्र प्रताप के परिवार में पत्नी सीमा, दो बेटिया पोषित और सोमिता के साथ बेटा आशुतोष था। इकलौते बेटे की मौत की खबर ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। घरवालों का आरोप है कि कोच की लापरवाही से उनके घर का इकलौता चिराग बुझ गया। घटना के बाद से आशुतोष की मा सीमा बेसुध हैं, पिता महेंद्र प्रताप और दोनों बहनों पोषित, सोमिता का रो-रोकर बुरा हाल है। मौसमी पूल बढ़ाते हैं दिक्कत:
गर्मियों की छुट्टियों में तैराकी सीखने की चाहत रखने वाले बच्चे, युवा स्वीमिंग पूल का रुख करते हैं। सरकारी स्वीमिंग पूलों की कमी प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देते हैं। प्राइवेट स्वीमिंग पूल वाले इसका फायदा उठाते हैं। नियमों के अभाव में धंधा चौकस हो जाता है। पूल मालिक नियम को ताक पर रखकर ट्रेनिंग देना शुरू कर देते है। लाइफ गार्ड तो शायद ही किसी प्राइवेट स्वीमिंग पूल पर हों। स्वीमिंग पूल में सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरण:
- 50 मीटर पूल में चार और 25 मीटर पूल में दो लाइफ गार्ड तैनात होने चाहिए।
- 50 मीटर पूल में दो कोच और 25 मीटर पूल में एक कोच हर वक्त मौजूद रहना चाहिए।
- लाइफ गार्ड के पास एक ऊंची कुर्सी हो, ताकि वह पूरे पूल पर आसानी से नजर रख सके।
- स्वीमिंग पूल में ही प्राथमिक उपचार किट होनी जरूरी है।
- स्वीमिंग पूल में लंबी रस्सी बास और रबर ट्यूब रखना जरूरी है।
- लाइफ गार्ड के लिए राष्ट्रीय स्तर का तैराक होना जरूरी है, जिसे विशेष प्रशिक्षण मिला हो।
- 12 साल से कम उम्र के बच्चों सीखने वाले पूल की गहराई अधिकतम तीन और अधिक उम्र वालों के लिए साढ़े चार से पाच फिट होनी चाहिए।
- पूल का बिल्कुल पानी साफ होना चाहिए और फिल्टरेशन प्लाट दुरुस्त। ऑक्सीजन का लेवल बीच-बीच में लेते रहना चाहिए। क्या कहतें हैं एक्सपर्ट ?
- महासचिव (यूपी स्वीमिंग एसोसिएशन) रवीन कपूर का कहना है कि सुरक्षा सबसे जरूरी है। स्वीमिंग में इस बात का ज्यादा ख्याल रखा जाना चाहिए, क्योंकि यहा खिलाड़ी अपनी जान तक गंवा सकते हैं। स्वीमिंग पूल के मैनेजमेंट को खेल विभाग से एनओसी लेनी चाहिए, ताकि मानकों की जाच हो सके। मैनेजमेंट स्वीमिंग एसोसिएशन से भी मदद ले सकता है। हम पूल को तैयार करने के लिए तैयार हैं। - पूर्व अंतरराष्ट्रीय तैराक एवं कोच सुधीर शर्मा कहते हैं कि अच्छा तैराक किसी डूबते हुए व्यक्ति को बचा ले, यह जरूरी नहीं है। रेस्क्यू के लिए अनुभवी और प्रशिक्षित लाइफ गार्ड की जरूरत होती है, जो इस काम के लिए प्रशिक्षित होता है। स्विमिंग पूल पर जरूरी उपकरण होने ही चाहिए। हवा से भरे रबर ट्यूब, लंबा बास व रस्सी रहनी चाहिए।