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शिवपाल के बाद सपा में हाशिए पर पहुंचते आजम खां

सपा में बदले निजाम में आजम से महत्वपूर्ण फैसलों पर सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा। इसी कारण अखिलेश को विधानमंडल दलनेता बनाने जैसे निर्णय आजम की गैरमौजूदगी में ले लिए गए।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 01:43 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 03:01 PM (IST)
शिवपाल के बाद सपा में हाशिए पर पहुंचते आजम खां
शिवपाल के बाद सपा में हाशिए पर पहुंचते आजम खां

लखनऊ (जेएनएन)। विधानसभा में दो दिन चले शपथ ग्रहण समारोह में आजम खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम के नहीं पहुंचने से अटकलें जोर पकड़ रही हैं। इसको समाजवादी पार्टी में उनकी उपेक्षा से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। भाजपा की आंधी में आजम खां भले ही अपनी सीट बचाने व अपने पुत्र को जिताने में कामयाब रहे लेकिन, सपा में उनकी उपेक्षा किसी से छिपी नहीं। माना जा रहा था कि आजम को नेता विरोधी दल जैसा दायित्व सौंपा जाएगा। ऐसा नहीं हो सका तो पार्टी के भीतर आजम की पकड़ कमजोर होने की चर्चा चल रही है। इतना ही नहीं सपा में बदले निजाम में आजम से महत्वपूर्ण फैसलों पर सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा। इसी कारण अखिलेश को विधानमंडल दलनेता बनाने जैसे निर्णय आजम की गैरमौजूदगी में ले लिए गए।

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लालबत्ती और बंगला भी गया
रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनाए जाने के फैसले से आजम की सदन में न केवल धमक घटेगी बल्कि उन्हें विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा। आजम नेता विरोधी दल बने होते तो वह कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधाओं के हकदार होते लेकिन, ऐसा न हो सका। सूत्रों का कहना है कि सदन में अक्सर भाजपा और बसपा पर हमलावर रहने वाले कांग्रेस के भी धुर विरोधी रहे हैं। नेता विरोधी दल न बनने से उनका सदन में मनमाने ढंग से गरज पाना मुमकिन न होगा।

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रामपुर में डटे आजम, चुप्पी साधी
आजम खां शपथ लेने लखनऊ नहीं गए। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और करीबी नसीर खां ने भी अभी तक शपथ नहीं ली है। रामपुर की पांच विधानसभा सीटों में तीन पर सपा व दो पर भाजपा जीती है। भाजपा के दोनों विधायक शपथ ले चुके हैं परंतु नवीं बार विधायक चुने गए आजम नहीं पहुंचे। स्वार टांडा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खां और चमरौआ विधानसभा सीट से पहली बार चुने गए उनके मित्र नसीर खां भी शपथग्रहण में शामिल नहीं हुए।

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आजम इससे पहले विधायकों व एमएलसी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए और रामपुर में ही रहे। बुधवार को उनके करीबी रहे उत्तर प्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण के सदस्य अधिवक्ता सरबत अली खां का निधन हो गया। वह उनके जनाजे की नमाज में शामिल हुए और कहा कि वह तीन दिन शोक मनाएंगे और किसी राजनीतिक कार्यक्रम या शादी समारोह में शामिल नहीं होंगे। शपथ ग्रहण में क्यों नहीं पहुंचे, इसके जवाब में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

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