एसआइटी ने सौंपी राशनकार्ड मामला और जल निगम भर्ती घोटाला की रिपोर्ट, कई पर शिकंजा
विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने राशनकार्ड घोटाला और जल निगम भर्ती घोटाले के मामले में जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने राशनकार्ड घोटाला और जल निगम भर्ती घोटाले के मामले में जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक एसआइटी ने सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां व जल निगम के तत्कालीन एमडी पीके आसूदानी सहित अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किए जाने की सिफारिश की है। अखिलेश सरकार में आजम जल निगम के अध्यक्ष थे। एसआइटी की जांच में नियमों की अनदेखी कर भर्ती प्रकिया पूरी किए जाने की बात सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक जांच में सामने आया कि पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां ने नियम के विपरीत बिना अधिकार भर्ती का अनुमोदन किया था। जलनिगम में सपा शासनकाल में 1300 पदों पर हुई भर्तियों में घोटाले का आरोप लगने पर योगी सरकार ने ने पूरे प्रकरण की जांच एसआइटी को सौंपी थी। पूरे मामले में नगर विकास विभाग के पूर्व सचिव एसपी सिंह (अब सेवानिवृत्त) की भूमिका भी सवालों के घेरे में रही है। एसआइटी ने एसपी सिंह के भी बयान दर्ज किए थे।
हस्ताक्षर नहीं पाए गए
सूत्रों का कहना है कि जांच में भर्ती प्रकिया से जुड़ी किसी पत्रावली में एसपी सिंह के हस्ताक्षर नहीं पाए गए थे। उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर 2017 को एसआइटी ने जल निगम मुख्यालय में पहुंचकर छानबीन करने के साथ ही भर्ती से संबंधित मूल पत्रावलियां कब्जे में ली थीं। तत्कालीन एमडी सहित अन्य अधिकारियों के बयान दर्ज करने के बाद एसआइटी ने जनवरी 2018 में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के बयान दर्ज किए थे। हालांकि आजम खां ने अपने बयानों में एमडी द्वारा उनसे धोखे में रखकर पत्रावलियों पर हस्ताक्षर करा लिए जाने की बात कही थी। एसआइटी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री के तत्कालीन ओएसडी सैय्यद अफाक अहमद के भी बयान भी दर्ज किए थे। वहीं भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा संचालित कराने वाली संस्था एपटेक के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई थी। उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में थी।
इन पदों पर हुई थी भर्तियां
- 122 सहायक अभियंता
- 853 अवर अभियंता
- 325 नैत्यिक लिपिक
प्रचलित परंपरा पर हुई थी भर्ती
जलनिगम में नियमों को दरकिनार कर भर्ती प्रकिया को पूरा किए जाने का आरोप है। अभ्यर्थियों ने पत्रावलियों के गलत मूल्यांकन सहित अनियमितता के कई आरोप लगाए थे। सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन एमडी ने अपने बयानों में प्रचलित परंपरा के अनुरूप भर्ती कराए जाने की बात कही थी।
1178 जूनियर इंजीनियरों व नैत्यिक लिपिक कर रहे नौकरी
वर्ष 2016 में जल निगम में भर्ती के लिए हुई परीक्षा में एक जैसी गड़बडिय़ां थीं। 1300 पदों पर भर्तियों को अनियमित माना गया था, उनमें 122 सहायक अभियंताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। दूसरी तरफ शेष 1178 पदों में 853 जूनियर इंजीनियरों व 325 नैत्यिक लिपिकों जल निगम की ओर से नोटिस तक नहीं दी गई थी। भर्ती परीक्षा कराने के लिए एजेंसी के चयन को लेकर भी सवाल उठे थे। आचार संहिता से पहले रिजल्ट जारी कराने के लिए एजेंसी को हड़बड़ी में किया गया भुगतान और आधी रात में नियुक्ति पत्र जारी किया जाना भी संदिग्ध था। ऑनलाइन परीक्षा परिणाम के साथ मार्कशीट जारी नहीं की गई थी। इंटरव्यू की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में आई थी। इन्हीं सब कारणों पर जनवरी, 2017 में नियुक्त होने वाले 122 सहायक अभियंताओं को अगस्त 2017 में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इनमें कई अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में हैं।
राशनकार्ड घोटाले में भी मुकदमे की सिफारिश
एसआइटी ने जलनिगम भर्ती में धांधली के मामले के साथ ही मेरठ में राशनकार्ड घोटाले की जांच रिपोर्ट भी शासन को भेज दी है। सूत्रों का कहना है कि राशनकार्ड घोटाले में भी तत्कालीन डीएसओ सहित करीब 12 अधिकारियों/के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की सिफारिश की गई है। मेरठ में राशनकार्ड के लिए 58 हजार से अधिक अपात्रों के चिन्हीकरण व उनके सत्यापन में अनियमितता पाई गई है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने वर्ष 2016 में मेरठ में राशनकार्ड बनाए जाने में भारी अनियमितता की शिकायत की थी। एसआइटी के डीजी आलोक प्रसाद के निर्देशन में टीम ने मेरठ जाकर लंबी छानबीन की थी।
जांच में अपात्रों को 58 हजार राशनकार्ड
एसआइटी ने मेरठ में राशनकार्ड बनाने में धांधली के मामले में कई पीसीएस अधिकारियों सहित विभिन्न स्तर पर जिम्मेदार 80 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान दर्ज किए थे। शासन ने जुलाई 2017 में इस मामले की जांच एसआइटी को सौंपी थी। मेरठ में सरकारी राशन की 956 दुकानें हैं और वहां करीब नौ लाख राशनकार्ड बनाए गए थे। जांच में 58 हजार से अधिक राशनकार्ड ऐसे पाए गए थे, जो अपात्रों को जारी हुए थे। अब तक राशनकार्डों के सत्यापन की प्रकिया चल रही है। राशनकार्ड बनाने के लिए गलत तरीके से लोगों को चुना गया। सूत्रों के मुताबिक जांच में सामने आया कि जनवरी 2016 से जून 2017 के मध्य अपात्रों को खाद्यान्न वितरित कर राज्य सरकार को को करीब 40 करोड़ रुपये की शासकीय क्षति पहुंचाई गई। जांच में मेरठ के तत्कालीन दो डीएम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बताया गया कि पहले सरकारी नौकरी करने वालों, चौपहिया वाहन स्वामियों, बहुमंजिला इमारत के मालिक जैसे अपात्रों के राशनकार्ड धड़ल्ले से बनाए गए। बाद में सत्यापन के दौरान भी उन्हें चिह्नित नहीं किया गया। कोटेदारों ने अपात्रों के राशनकार्डों के हिस्से का खाद्यान्न भी उठाया। माना जा रहा है कि मेरठ की तरह अन्य जिलों में भी जांच कराए जाने पर राशनकार्ड बनाने में बड़ी धांधली सामने आएगी।