मंदिर-मस्जिद की लड़ाई से दूर अब सुकून की राह पर पुराना लखनऊ
साल 1989 के बाद अयोध्या के मुद्दे पर लगातार पुराने शहर में होते रहे दंगे। पांच अगस्त को मुस्लिम बाहुल्य इलाके में सब रहे अपने कामों में मशगूल सुकून
लखनऊ [ऋषि मिश्र]। चौपटिया की दिलाराम बारादरी में रहने वाले मोहम्मद शाहनवाज के लिए बुधवार का दिन सामान्य है। वह अपनी सब्जी की आढ़त सम्बंधित सामान्य काम निपटा रहे हैं। कहते हैं कि रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, इससे उनको कोई परेशानी नहीं है। ये एक मसला था जो अदालत ने सुलझा दिया है। सबको अब पुरानी बातें भूलकर आगे बढ़ना होगा। देश की तरक्की के लिए इस विवाद का समापन हुआ बहुत जरूरी था जो कि हो गया।
1989 से लगातार अयोध्या के विवाद को लेकर पुराने शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों टकराव और हिंसा होती रही। 1990 और 1992 में एक एक महीने कई थानों में रहा था कर्फ्यू। हाल अब बदल चुके हैं।
पुराने शहर के मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों के लिए बुधवार का दिन बाकी दिनों की ही तरह सामान्य ही था। बकरीद की छुट्टी खत्म कर के सभी अपने काम धंधों पर लौट आए हैं।
नक्खास के बाजार में पुल निर्माण होने की वजह से इन दिनों कुछ भीड़ ज्यादा है। जो कि बुधवार को नजर आ रही है। कपड़ा कारोबारी इलियास खान बताते हैं कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शुरू होने को लेकर यहां कोई असर नहीं है। टीवी और अखबार पर हम खबरें देख लेते हैं। इस मसले पर गम और गुस्से के इज़हार का अब कोई मसला ही बाकी नहीं रह गया है। सब अपनी रोटी देख रहे हैं। इससे होने वाले झगड़ों ने मुसलमानों का बहुत नुकसान किया है। इसलिए अब जो बीत गई वो बात गई।
हुसैनाबाद के शीशमहल और हेरिटेज जोन में बुधवार को सन्नाटे वाला माहौल रहा। जिसके लिए यहां रहने वाले रोशन ज़ैदी गर्मी को वजह मानते हैं। उनका कहना है कि हुजूर अयोध्या में राम मंदिर का निर्णय आने से बहुत सुकून हो गया। मसला खत्म हुआ और हर साल का तनाव भी समाप्त हो गया। असल जरुरतों पर अब सरकार को ध्यान देना होगा। जिसमें मुसलमानों की माली हालत को भी सुधारा जाना जरूरी है।