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Ayodhya Structure Demolition Case: अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस के फैसले की उलटी गिनती शुरू, भाजपा के दिग्गज नेता हैं अभियुक्त

Ayodhya Demolition Case देश के साथ ही विदेश में भी सुर्खियां बटोरने वाले इस केस में सीबीआई ने कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया था जिनमें 17 की मौत हो चुकी है। अब इनमें से बाकी 32 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से फैसला आएगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 07:33 AM (IST)
Ayodhya Structure Demolition Case: अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस के फैसले की उलटी गिनती शुरू, भाजपा के दिग्गज नेता हैं अभियुक्त
सुर्खियां बटोरने वाले केस में सीबीआई ने 49 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है

लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Structure Demolition Case: रामनगरी अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में कल यानी बुधवार को फैसला आएगा। लखनऊ में पुराने हाईकोर्ट बिल्डिंग में सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव करीब 10.30 बजे अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाएंगे। इस केस के फैसले को करीब चार हजार पेज में लिखा गया है। इस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है। जज सुरेंद्र यादव ने फैसला सुनाते समय केस में बचे 32 आरोपियों को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।

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देश के साथ ही विदेश में भी सुर्खियां बटोरने वाले इस केस में सीबीआई ने कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है। अब इनमें से बाकी 32 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से फैसला आएगा। सीबीआई कोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के सामने इस मामले में कुल 351 गवाहों की पेशी हुई। इसके साथ ही साथ साक्ष्य के रूप में करीब 600 दस्तावेज भी पेश किया गया था। 

भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ मध्य प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, भाजपा सांसद साक्षी महाराज, पूर्व सांसद विनय कटियार व राम विलास वेदांती के साथ श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल व महासचिव चंपत राय बंसल, साध्वी ऋतंभरा व आचार्य धर्मेंद्र इस केस में प्रमुख आरोपी बनाए गए हैं। 28 वर्ष की लम्बी सुनवाई के दौरान आरोपित बाला साहब ठाकरे, अशोक सिंघल, विजयाराजे सिंधिया, आचार्य गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो गया। 

यह अभियुक्त मौजूद रहेंगे

इस केस की सुनवाई के दौरान कल कोर्ट में चंपत राय बंसल, कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह, अयोध्या से भाजपा सांसद लल्लू सिंह, उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज, साध्वी ऋतम्भरा, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, ओपी पांडेय, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे तथा पवन पांडेय मौजूद रहेंगे। 

इनका आना तय नहीं

अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के कई आरोपित उम्र और अस्वस्थता के चलते नहीं आ सकेंगे। इनमें लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरलीमनोहर जोशी, कल्याण सिंह, महंत नृत्यगोपाल दास, उमा भारती व सतीश प्रधान हैं। 

अयोध्या में सुरक्षा सख्त

लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत 30 सितंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस पर फैसला सुनाएगी। इस फैसले को लेकर अयोध्या जिला प्रशासन भी अलर्ट पर है। यहां पर डीआईजी दीपक कुमार ने कहा कि  अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। यहां पर पुलिस सादी वर्दी में भी तैनात रहेगी। कल व्यापक स्तर पर चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। यहां पर भीड़ को एकत्र नही होने देंगे। इसके साथ कोविड-19 प्रोटोकॉल व धारा 144 का पालन कराया जाएगा। 

6 दिसंबर 1992 को हुआ था ध्वंस

छह दिसंबर 1992 को होने वाली कारसेवा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश के समस्त लोग इस कारसेवा में हिस्सा ले सकते हैं। कोर्ट की ओर से संख्या का निर्धारण नहीं किया गया था। कार सेवा के समय कुछ असामाजिक तत्व के कारण वहां का माहौल अस्त-व्यस्त हो गया और बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया। 

दस-दस मिनट पर दो एफआइआर

इस मामले की पहली एफआईआर छह बजकर 15 मिनट पर राम जन्मभूमि थाने में दर्ज हुई थी, जिसमें लाखों अज्ञात कारसेवकों को आरोपी बनाया गया था। कोई भी नामजद नहीं था। उसके ठीक 10 मिनट बाद 6 बजकर 25 मिनट पर दूसरी एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसे गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराया था। वह तत्कालीन राम जन्मभूमि चौकी इंचार्ज थे। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। दर्ज एफआईआर में राजनीति नजर आने लगी। इस केस की विवेचना स्थानीय पुलिस को दी गई और इसके दूसरे दिन सीबीसीआईडी को केस ट्रांसफर कर दिया गया। तब  सीबीसीआईडी ने इसकी विवेचना की, जिसमें उन्होंने आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद पूरा केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने जब अपनी विवेचना शुरू की, तो 49 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। इसके बाद यह मुकदमा दो हिस्सों में चला। एक रायबरेली और दूसरा लखनऊ में। बड़े नेताओं से संबंधित मुकदमा रायबरेली में चल रहा था, जबकि लखनऊ में अन्य लोगों से संबंधित। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे को रायबरेली से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया और उसके बाद मुकदमे में गवाही-जिरह होते हुए सुनवाई पूरी हुई। 


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