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Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या ढांचा विध्वंस केस का फैसला सुनाने वाले जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से इनकार

Ayodhya Caseअयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत्त जज एसके यादव को मिली सुरक्षा बढ़ाने से इनकार किया। सीबीआ कोर्ट के जज रहे एसके यादव ने हाल ही में इस केस में अपने फैसले में ढांचा विध्वंस मामले में सभी अभियुक्तों को बरी किया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 05:25 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 05:25 PM (IST)
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या ढांचा विध्वंस केस का फैसला सुनाने वाले जज एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से इनकार
पूर्व न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले का फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत जज एके यादव की सुरक्षा बढ़ाने के मामले में पेंच फंस गया है। सीबीआइ कोर्ट के जज रहे एसके यादव लखनऊ में रहते हैं, उत्तर प्रदेश सरकार ने उनको सुरक्षा दे रखी है। उन्होंने इसको बढ़ाने की मांग रखी। उनकी मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने रामनगरी अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले सेवानिवृत्त जज एसके यादव को मिली सुरक्षा बढ़ाने से इनकार किया। सीबीआ कोर्ट के जज रहे एसके यादव ने हाल ही में इस केस में अपने फैसले में ढांचा विध्वंस मामले में सभी अभियुक्तों को बरी किया था। पूर्व न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था, जिनमें भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी और उमा भारती शामिल का नाम था। 30 सितंबर को विशेष अदालत ने मामले में सभी 32 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि वे अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरान के लिए किसी भी साजिश का हिस्सा थे। विवादित ढांचे को 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया था।

इस केस की सुनवाई के दौरान ही वह सेवानिवृत हो गए थे, लेकिन उनको फैसला सुनाने के लिए सेवा विस्तार दिया गया। उन्होंने राम मंदिर केस का फैसला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लगातार सुनवाई कराई और आरोपितों का बयान दर्ज कराने के बाद लम्बा फैसला किया। विध्वंस मामले में सभी को बरी करने के उनके फैसले के बाद भी उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। उन्होंने इस सुरक्षा को बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली पीठ पूर्व न्यायाधीश के अनुरोध पर विचार कर रही थी। जिसमें अपने कार्यकाल के अंतिम दिन उन्होंने मामले की संवेदनशीलता के मद्देनजर अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ाने का अनुरोध किया था। इश दौरान पीठ ने कहा कि हम सुरक्षा बढ़ाना उचित नहीं समझते हैं। 


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