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अवध फिल्म फेस्टिवल: 'अयोध्या फिल्म फेस्टिवल' ने सतरंगी पर्दे को दिया आकाश

अगले साल फिल्मों का मेला फिर सजाने के वादे संग फिल्म समारोह का समापन फिल्म समारोह के तीसरे दिन फिल्मों के प्रदर्शन के साथ दिग्गजों का जमावड़ा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 07:43 AM (IST)
अवध फिल्म फेस्टिवल: 'अयोध्या फिल्म फेस्टिवल' ने सतरंगी पर्दे को दिया आकाश
अवध फिल्म फेस्टिवल: 'अयोध्या फिल्म फेस्टिवल' ने सतरंगी पर्दे को दिया आकाश

अयोध्या, जेएनएन। शहीदों की यादों को सजाने के वादे को पूरा करने के लिए 13 वें अयोध्या फ़िल्म समारोह का तीन दिवसीय आयोजन अगले साल फिर फिल्मों का मेला सजाने के इरादे संग समाप्त हो गया। सरोकारी सिनेमा के तेवर, कलेवर और रंगों को सतरंगी स्वरूप देकर साझी विरासत में शामिल शहर -ए -अयोध्या को सिनेमा की दुनिया से जोड़ने में भी अवाम के सिनेमा ने नए आयाम गढ़े। फ़िल्म समारोह के तीसरे दिन विभिन्न फिल्म समारोहों में सराही जा चुकी फिल्मों के प्रदर्शन ने दर्शकों के मनोभावों को छू कर सिनेमा के सरोकारी चेहरे को पर्दे पर बखूबी  उकेरा। 

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तीन दिवसीय इस आयोजन में दर्जनों फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। वहीं सांस्कृतिक आयोजनों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन भी किया। समापन समारोह में लाठियों के सहारे अवधी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। 

तीसरे दिन की चर्चित फिल्में :

डॉ. राम मनोहर लोहिया का संघर्ष पर्दे पर जीवंत

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में यह पहला मौका था जब लोहिया के संघर्ष सिने पर्दे पर जीवंत हुए। 'अम्बेसडर ऑफ द सोशलिज्म डॉ. राम मनोहर लोहिया' डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में डॉ. राममनोहर लोहिया संग उनके समकालीन और उनके समर्थकों संग 103 मिनट की फिल्म ने देश मे समाजवाद के विचारों को पर्दे पर जीवंत किया। निर्माता नितेश अग्रवाल जैन बताया कि इस फिल्म को बनाने में ढाई साल लगे क्योंकि लोहिया जी को गुजरे 50 साल हो गए लिहाजा उनके साथ के लोगों को खोजना काफी दुष्कर काम था।  

स्पर्श ने छुआ मनोभावों को : बंगाली फ़िल्म 'स्पर्श' बच्चों में स्वलीनता (आटिज्म) पर आधारित है। स्पर्श के माध्यम से बच्चों संग संवाद और प्रेम संग इलाज की प्रकृति के जरिये अभिभावकों को जागरूक भी किया गया। बच्चों को धैर्य देने के साथ सरोकार से बच्चों को जोड़ने का क्रम अनवरत जारी रखने की अपील भी दर्शकों को खूब पसंद आई। फ़िल्म निर्माता और कलाकार राजशेखर बनिक ने बताया कि भाषा से परे फ़िल्म कई फिल्म समारोहों में सराहना पा चुकी है।

काशी ने बोला बम बम

बनारस की पृष्ठभूमि पर निर्माता निर्देशक और लेखक अभिषेक ब्रम्हचारी की फिल्म 'गॉड लव्स पाइप' ने काशी को पर्दे पर बखूबी प्रदर्शित किया गया। 24 मिनट की यह फिल्म चार फिल्म समारोहों में फिल्म दिखाई जा चुकी है। जबकि चंबल फिल्म फेस्टिवल में इसे बेस्ट शार्ट फिल्म का पुरस्कार मिल चुका है। फिल्म में ईश्वर से जुड़ी कई बातों को भाव पूर्ण और रोचक तरीके से तीन काशी के किरदारों के जरिये प्रदर्शित किया गया है।

 

समारोह में बिखरी तारा की चमक

समारोह में निर्माता कुमार राज की स्त्री केंद्रित फिल्म तारा भी प्रदर्शित की गई। उन्होंने बताया कि तारा ऑस्कर में बेस्ट फिल्म फॉरेन लैंग्वेज में शामिल हो चुकी है। वहीं 271 अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई जा चुकी है जहां 171 पुरस्कार फिल्म जीत चुकी है। पीवीआर सिनेमा द्वारा जारी फ़िल्म 52 सप्ताह तक इम्पीरियल सिनेमा हॉल में चल चुकी है। न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी में भी यह फिल्म बच्चों को दिखाई जाती है।

वहीं समारोह के तीसरे दिन धुत्त, धागड़, लेवल 13, द इनोसेंट ड्रीम, द लास्ट ड्रीम, शुभारंभ, काक बगोदा, रिक्शावाला, मेजेस्टी आदि फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।

दिग्गजों का रहा जमावड़ा : फ़िल्म फेस्टिवल के समापन समारोह के दौरान अभिनेता अविनाश द्विवेदी, अजय महेंद्रू, मोहनदास, अरविंद चौरसिया, राजेश संचेती, आतिया शेख, डॉ. मणिशंकर त्रिपाठी, अजय तिवारी, इं. राज त्रिपाठी, हिमांशु शेखर परिदा, ओम प्रकाश सिंह, जनार्दन पांडेय बबलू पंडित आदि लोगों का जमावड़ा रहा। 

फिल्मों को मिला सम्मान: 

बेस्ट फ़िल्म : मलयालम फिल्म 'इडम'।

बेस्ट एक्टर्स : सीमा बिस्वास, मलयालम फ़िल्म 'इडम'।

बेस्ट नॉन फीचर, शार्ट फिल्म : अम्बेसडर ऑफ द सोशलिज्म डॉ. राम मनोहर लोहिया।

बेस्ट शार्ट फ़िल्म : बिस्कुट

बेस्ट एक्टर : अविनाश द्विवेदी, रिक्शावाला।

बेस्ट एक्टर क्रिटिक चॉइस : अजय महेंद्रू शक ऑफ

बेस्ट डायरेक्शन : पैरेट्स के लिए शशांक शेखर सिंह।

बेस्ट स्पोर्टिंग एक्टर : धुत्त के लिए शक्ति आनंद।

बेस्ट शार्ट फिल्म : वो पल

बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस : स्वरूपा घोष, वो पल। 

बेस्ट स्टोरी डॉक्यूमेंट्री : दीपिका चतुर्वेदी आदि मां गोमती उद्गम।

सरोकारों को सम्मान

समारोह में सरयू नदी में लोगों को डूबने से बचाने वाले बाबू निषाद, भगवान दीन निषाद, बाल किशन निषाद, अरुण निषाद, ऊदल निषाद को भी सम्मानित किया गया।

बोले आयोजक

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का यह 13 वां संस्करण कहने को तो आज खत्म हो गया मगर शहीदों की स्मृति में सजने वाला फिल्मों का मेला 365 दिन लगातार चलना चाहिए। जो लोग आयोजन में शामिल हुए और सरोकारी सिनेमा को आत्मसात किया वो आयोजन से प्राप्त सरोकारों से यकीनन समाज को शहीदों की विचारधाराओं से प्रेरित होकर कुछ न कुछ जरूर देंगे। सरोकारों का योगदान जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता है यही आयोजन की सबसे बड़ी सफलता है। - शाह आलम, आयोजक, अवाम का सिनेमा।


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