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संजय राउत बोले, चुनाव की तारीख बदल दीजिए, फिल्म की नहीं बदलेगी

फिल्म ठाकरे को प्रोपेगेंडा फिल्म कहने पर बोले लेखक-निर्माता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत। फिल्म के कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अमृता राव ने भी रखी बात।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 06:43 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 01:29 PM (IST)
संजय राउत बोले, चुनाव की तारीख बदल दीजिए, फिल्म की नहीं बदलेगी
संजय राउत बोले, चुनाव की तारीख बदल दीजिए, फिल्म की नहीं बदलेगी

लखनऊ, जेएनएन। चर्चित फिल्म बाल ठाकरे को पॉलिटिकल एजेंडा वाली फिल्म माना जा रहा है। लोक सभा चुनाव के करीब होने के समय फिल्म की रिलीज भी सवालों के घेरे में है। इसे प्रोपेगेंडा कहने पर फिल्म के लेखक-निर्माता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत बोले, बाला साहेब ने कभी चुनाव की राजनीति नहीं की। आप चाहें तो चुनाव की तारीख बदल दीजिए, फिल्म की नहीं बदलेगी। संजय राउत फिल्म के कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अमृता राव के साथ सोमवार को शहर में थे।

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संजय राउत ने कहा, ये कोई एक्सीडेंटल फिल्म नहीं है। बाबा साहेब का पूरा जीवन ही संघर्ष और विचार है, जिसे हर किसी को जानना चाहिए। बाला साहेब कभी कुछ छिपाते नहीं थे। फिल्म में भी वो जैसे थे, वैसे ही दिखाया गया है। एक फिल्म में उनकी पूरी कहानी समाहित नहीं कर सकते, इसलिए इसका सीक्वल भी बनाएंगे। फिल्म के बिजनेस के सवाल पर उन्होंने कहा बिजनेस के लिए नहीं बाला साहेब के व्यक्तित्व के हर पक्ष को लोगों तक पहुंचाने के लिए फिल्म बनाई है।

उन्होंने कहा बाल ठाकरे का जन्मदिन 23 जनवरी को होता है और इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए फिल्म को इसी दिन के करीब रिलीज कर रहे हैं। इसमें कोई राजनीतिक मंतव्य नहीं है। फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी। 23 जनवरी को मुंबई में प्रीमियर करेंगे। साथ ही फिल्म रिलीज के बाद दिल्ली में स्पेशल स्क्रीनिंग भी करेंगे, जिसमें सभी दलों के नेताओं को बुलाया जाएगा।

फिल्म में ठाकरे की भूमिका निभा रहे नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि  बाला साहेब की जिंदगी विवादित रही है और हम लोग कोई व्हाइट वाशिंग करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। सच्चाई दिखाएंगे। बायोपिक में ठाकरे की कहानी उस वक्त से शुरू होगी, जब वह कार्टूनिस्ट थे। वह किस तरह एक शांत स्वभाव के व्यक्ति से एक बड़े नेता बने और उन्होंने अपना अलग ही रुतबा कायम किया। उनके संघर्ष से उनके विजय तक की कहानी दिखाई गई है। फिल्म में मीना ठाकरे का किरदार निभा रहीं अमृता राव ने कहा कि कम उम्र में दोनों की शादी हुई थी। वह सिर्फ पत्नी नहीं दोस्त थीं। उन्हीं के कारण बाला साहेब बेफिक्री से काम करते रहे।

सिर्फ विवाद का नाम ठाकरे नहीं
बाला साहेब से विवाद हमेशा जुड़े रहे, पर सिर्फ विवाद का नाम ठाकरे नहीं है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए संजय राउत ने कहा, लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन सकते हैं पर बाला साहेब दोबारा पैदा नहीं होंगे। बाला साहेब बनने की प्रक्रिया संघर्षों का सफर है। उन्होंने कहा कि अब तो बायोपिक की लहर चल रही है लेकिन जब हमने फिल्म पर काम शुरू किया था तब ऐसा नहीं था। फिल्म को बनने में साढ़े तीन साल लगे। बाला साहेब के जीते जी कोई उनका विरोध नहीं कर पाया। वो राजनीति से ऊपर थे। फिल्म बनाते समय भी विरोध या किसी आपत्ति का ख्याल नहीं आया। फिल्म को राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।

जॉर्ज फर्नांडिस की बनाएंगे बायोपिक
संजय राउत ने कहा कि जॉर्ज फर्नांडिस के नाम भर से ही सत्ता कांपती थी। उनकी बायोपिक बनाने की भी इच्छा है। बाला साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस की अच्छी दोस्ती रही।

भरोसा करने लायक कलाकार हैं नवाज
ठाकरे के किरदार के लिए नवाजुद्दीन के चयन पर कहा, नवाज भरोसा करने लायक कलाकार हैं। मुझे भरोसा था कि किरदार के लिए जो मेहनत करनी होगी, वह नवाज कर सकते हैं।

रियल लाइफ किरदार में प्रयोग की जगह नहीं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि बायोपिक करने की अपनी ही चुनौती होती है। खासकर लोकप्रिय किरदार जिसे लोग जानते हैं, प्यार करते हैं। आप उससे जरा भी अलग हुए तो लोग स्वीकार्य नहीं करेंगे। रियल लाइफ किरदार में प्रयोग की जगह नहीं होती। उन्होंने कहा कि बाला साहेब से कभी मुलाकात नहीं हुई। राज ठाकरे साहेब ने फोटोग्राफी की थी, जिसमें बाला साहेब के बचपन से लेकर अंत तक की यात्रा समाहित है। उससे किरदार में ढलने में मदद मिली। उनके किरदार में विविधता है। वो जो बोलते थे, बहुत निडर होकर बोलते थे। जो अंदर थे वही बाहर थे। उनकी राजनीतिक यात्रा आदर्श रही है। नवाज ने कहा कि लखनऊ ने बहुत कुछ दिया है। इसी शहर में मेरी पढ़ाई हुई। रंगकर्म सीखा। शहर में बदलाव आया है पर लोगों में परिवर्तन नहीं आया है।

अभिनय का आधार रंगकर्म, रमन राघव पसंदीदा किरदार
नवाज ने कहा, थियेटर ने उन्हें बनाया है। हर कलाकार को थियेटर से जरूर जुडऩा चाहिए। थियेटर आपकी अभिनय की जड़ों को मजबूत करता है। अब तक निभाए किरदारों में रमन राघव करेक्टर नवाज का पसंदीदा है। वह कहते हैं, इसमें मेरा डार्क शेड था। इससे बाहर निकलने के लिए मुझे अस्पताल तक का सहारा लेना पड़ा। लोगों ने इसे पसंद नहीं किया पर मेरा फेवरेट है।

फिल्मी स्क्रीन की जरूरतें बदल रही हैं : अमृता राव
एक लंबे अंतराल के बाद अमृता राव किसी फिल्म में नजर आएंगी। इस पर अमृता राव ने कहा कि 14 साल की उम्र से काम करने के बाद थोड़ा ब्रेक बनता है। फिल्मी स्क्रीन की जरूरतें बदल रही हैं। बोल्डनेस की मांग और अन्य बदलाव कंफर्ट जोन से बाहर हैं। मीना ताई का किरदार निभाना सम्मान की बात है।  उन्होंने कहा कि मीना ताई की कुछ तस्वीरें थीं। उनके हाव-भाव का अध्ययन किया। उस समय की औरतें कम उम्र में भी परिपक्व होती थीं। उस गंभीरता को किरदार में ढालना चुनौती थी। बायोपिक करने के सवाल पर अमृता राव ने कहा कि मधुबाला का किरदार निभाना चाहती हूं।

डिजिटल ने कम किया एक्टर और स्टार में अंतर
वेब सीरीज के प्रश्न पर अमृता ने कहा कि डिजिटल माध्यमों ने एक्टर और स्टार में अंतर कम किया है। कोई भी रातों-रात प्रसिद्ध हो सकता है। इससे नुकसान नहीं है। डिजिटलाइजेशन की वजह से काफी बदलाव आ रहा है जो अभी और बढ़ेगा। 


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