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इलाहाबाद कचहरी परिसर हत्याकांड में अतीक अहमद बरी

इलाहाबाद कचहरी परिसर में वर्ष 1995 के पुलिस मुठभेड़ में बंदी सहित पांच लोगों की हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) एके सिंह ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद व खलीकुज्जमा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2016 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2016 09:55 PM (IST)
इलाहाबाद कचहरी परिसर हत्याकांड में अतीक अहमद बरी

लखनऊ। इलाहाबाद कचहरी परिसर में वर्ष 1995 के पुलिस मुठभेड़ में बंदी सहित पांच लोगों की हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) एके सिंह ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद व खलीकुज्जमा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद यासिर, मुस्तफा हसन, मुज्जतबा हसन, मकसूद अहमद, मोहम्मद फारूक एवं सगीर अहमद को आजीवन कारावास सहित 30-30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।

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अदालत ने इसी मामले में आरोपी मोहम्मद यासिर एवं मुज्तबा हसन को घटना में लाइसेंसी शस्त्र इस्तेमाल करने का दोषी पाते हुए आम्र्स एक्ट के तहत तीन वर्ष के कठोर कारावास सहित दो-दो हजार रुपये जुर्माना ठोका है। अदालत ने अपने 60 पृष्ठीय निर्णय में कहा है कि अभियोजन विश्वसनीय साक्ष्य के जरिए आरोपी अतीक अहमद एवं खलीकुज्जमा के विरुद्ध आरोप प्रमाणित करने में विफल रहा है, लेकिन अभियुक्त मोहम्मद यासिर, मुस्तफा हसन, मुज्तबा हसन, मकसूद अहमद, मोहम्मद फारूक एवं सगीर अहमद के विरुद्ध विश्वसनीय एवं प्रत्यक्ष साक्ष्य एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर ये तथ्य साबित करने में पूरी तरह सफल रहा है कि इन लोगों ने मकसूद अहमद, मोहम्मद फारूक व सगीर अहमद के साथ मिलकर बंदी अख्तर की साजिश रची। मुज्तबा हसन व मोहम्मद यासिर की दोनाली लाइसेंसी बंदूक, तमंचा व कारतूस मारे गए चारों बदमाशों को उपलब्ध कराई थी। अदालत ने कहा कि सगीर अहमद ने हत्या के अपराध को अंजाम देने के लिए षडय़ंत्र करते हुए अपनी वैन उपलब्ध कराकर चारों बदमाशों के जरिए बंदी अख्तर की हत्या करवा दी। बता दें, मुकदमे के ट्रायल के दौरान दो आरोपियों यूसुफ उर्फ मुन्ना एवं नफीस अहमद की मौत हो गई।

अदालत में सीबीआइ की ओर से कहा गया कि वादी कांस्टेबल नाहर सिंह ने चार अप्रैल 1995 को थाना कर्नलगंज इलाहाबाद में रिपोर्ट दर्ज कराई कि घटना वाले दिन वह एवं सिपाही विश्वेशर पांडेय बंदी अख्तर हुसैन, सुशील कुमार, श्याम बाबू, राजन कुमार, कमलजीत सिंह एवं शैलेंद्र कुमार सिंह को नैनी केंद्रीय जेल से लेकर अदालत में पेश करने के लिए लाए थे। मुल्जिमों को अलग-अलग अदालतों में पेश होना था। कहा गया कि बंदी अख्तर हुसैन, सुशील कुमार, श्यामबाबू व राजन सीजेएम अदालत में पेश होने के बाद वापस आ रहे थे। इसी दौरान लगभग पौने तीन बजे जिला सूचना अधिकारी के कार्यालय के सामने सड़क पर एकाएक नीले रंग की वैन आई। वैन से एक आदमी दोनाली बंदूक लेकर नीचे उतरा एवं बंदी अख्तर को गोली मार दी। इसके बाद पुलिस वालों व बदमाशों के बीच फायङ्क्षरग शुरू हो गई, जिसमें कांस्टेबल अनिल कुमार अवस्थी के सीने में गोली लगी। पुलिस की गोली लगने से मारुति वैन के अंदर बैठे चारों बदमाश मार दिए गए। घटना के दौरान बदमाशों की गोली से बंदी पप्पू गंभीर रूप से घायल हो गया।


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