हारा रेलवे, जीती अरुणिमा
सात साल बाद अरुणिमा को रेलवे ने माना मुआवजे का हकदार रेलवे बोर्ड के आदेश के बावजूद नह
सात साल बाद अरुणिमा को रेलवे ने माना मुआवजे का हकदार
रेलवे बोर्ड के आदेश के बावजूद नहीं मिल सका था मुआवजा
जागरण संवाददाता, लखनऊ : सात साल की लंबी लड़ाई के बाद पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को रेलवे ने मुआवजे का हकदार मान लिया है। रेल क्लेम ट्रिब्यूनल ने अरुणिमा सिन्हा को 7.2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि यह हालात तब है जबकि अप्रैल 2011 में ही तत्कालीन रेलवे भर्ती बोर्ड अध्यक्ष ने अरुणिमा सिन्हा को मुआवजा देने के निर्देश दिए थे।
अरुणिमा सिन्हा 11 अप्रैल 2011 को पद्मावत एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी। बरेली के पास चनेहटी स्टेशन से ट्रेन गुजरी तो कुछ लुटेरों ने धावा बोल दिया। लुटेरों ने अरुणिमा सिन्हा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। अरुणिमा रात भर पटरी पर तड़पती रही। सुबह जब स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी हुई तो अरुणिमा को अस्पताल भेजा गया। अरुणिमा का उपचार एम्स में किया गया, जहां बाएं पैर को काटना पड़ा था। इस घटना के बाद तत्कालीन सीआरबी ने अरुणिमा सिन्हा को मुआवजा देने का आदेश दिया था। हालांकि जल्द ही रेलवे इससे मुकर गया। अरुणिमा ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल लखनऊ बेंच में चार लाख रुपये का दावा किया। सुनवाई के दौरान अरुणिमा सिन्हा को भी लखनऊ आना पड़ा। अरुणिमा सिन्हा के वकील और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व उपाध्यक्ष जानकी शरण पांडेय ने साक्ष्यों के आधार पर जोरदार बहस की।
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ऐसे बदला सीआरबी का आदेश
उत्तर रेलवे जोनल मुख्यालय और मुरादाबाद रेल मंडल की रिपोर्ट ने अपने सीआरबी के आदेश को ही बदल दिया। जोनल रेलवे ने अरुणिमा को यह कहकर मुआवजा देने से मना कर दिया कि अरुणिमा सिन्हा चलती ट्रेन से अपनी लापरवाही से गिरी है। रेलवे एक्ट की धारा 123-सी के तहत केवल उन यात्रियों को ही मुआवजा दिया जाता है जो कि यात्रा के दौरान किसी घटना का शिकार हो जाते हैं।
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ऐसे जुटाए सबूत
एक तरफ रेलवे जहां अरुणिमा के साथ किसी घटना के होने से इंकार कर रहा था। वहीं उसके स्टेशन मास्टर की डायरी और मौके पर राहत देने के लिए बनाया गया मेमू साक्ष्य बन गया। अधिवक्ता ने अरुणिमा के यात्रा का टिकट भी पेश किया जिससे रेलवे यह न कह सके कि अरुणिमा बेटिकट सफर कर रही थी। इसके अलावा समाचार पत्रों में छपी खबरों का भी ट्रिब्यूनल ने संज्ञान लिया।
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रेलवे की दलील को ट्रिब्यूनल ने नकारा
रेलवे ने अरुणिमा सिन्हा को मुआवजे का हकदार न होने की बात साबित करने की हर संभव कोशिश की। लेकिन ट्रिब्यूनल ने उसकी एक न सुनी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि साक्ष्यों के आधार पर अरुणिमा ट्रेन में सफर कर रही थी। उसके साथ जो घटना हुई है वह रेलवे एक्ट की परिभाषा में आती है। अरुणिमा सिन्हा को जो चोटें लगी हैं वह खुद ही साक्ष्य है। रेलवे के नियमों में दिसंबर 2016 से हुए बदलाव के बाद अरुणिमा सिन्हा 5.6 लाख रुपये मुआवजा पाने की हकदार है। साथ ही उन्होंने जो यातनाएं सही उसके लिए 1.6 लाख रुपये का भी मुआवजा दिया जाना चाहिए।
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इस तरह मिलेगा मुआवजा
रेलवे अरुणिमा को कुल 7.2 लाख रुपये मुआवजा देगा। जिसमें 3.6 लाख रुपये मुआवजे पर दावा दायर होने से 31 दिसंबर 2016 और एक जनवरी 2017 से क्लेम देने तक छह प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे को 90 दिन का समय दिया गया है। इस अवधि के बाद उस पर नौ प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। इस रकम में से 3.2 लाख रुपये ब्याज सहित नकद दिया जाएगा। जबकि चार लाख रुपये अरुणिमा के नाम पर तीन साल के लिए एफडी की जाएगी।