UP News: डिफेंस कारिडोर में औद्योगिक क्षेत्र अधिसूचित करने की स्वीकृति, गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण में तेजी
यूपीडा की 78वीं बोर्ड बैठक में डिफेंस कारिडोर में औद्योगिक क्षेत्र अधिसूचित करने को मंजूरी मिल गई है। इसी के साथ बैठक में गंगा एक्सप्रेसवे की प्रगति रिपोर्ट भी रखी गई। जिसमें बताया गया कि गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा विकसित किए जा रहे डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर में औद्योगिक विकास क्षेत्र चिन्हित करने की तैयारी हो गई है। यूपीडा की 78वीं बोर्ड बैठक में इसकी अधिसूचना को स्वीकृति दे दी गई। इसके साथ ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए चयनित सलाहकार कंपनी आइटीएल के निविदा प्रपत्र को भी मंजूरी दे दी गई है।
बिडिंग प्रक्रिया होगी आनलाइन
- यूपीडा मुख्यालय में मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर के सभी छह नोड (केंद्र) लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट व झांसी में भूमि को औद्योगिक विकास क्षेत्र अधिसूचित करने से संबंधित अनुमोदन दिया गया।
- बताया गया कि कुल भूमि 1,650 हेक्टेयर के सापेक्ष अब तक लगभग 1,598 हेक्टेयर भूमि की खरीद/अधिग्रहण हो चुका है। विभिन्न देशी-विदेशी कंपनियों से अब तक कुल 92 समझौता-करार हो चुके हैं।
- इस परियोजना के तहत डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (DTIS) की बिडिंग प्रक्रिया आनलाइन करने की भी स्वीकृति दी गई। इस योजना में केंद्र सरकार एमएसएमई सहित डिफेंस कारिडोर के सभी निवेशकों को टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध कराएगी।
- उप्र डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर को तीन कार्यक्षेत्रों और तमिलनाडु डिफेंस कारिडोर को पांच कार्यक्षेत्रों यानी कुल आठ कार्यक्षेत्रों में डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर हब स्थापित करने के लिए 400 करोड़ रुपये का अनुदान देगी।
जल्द तैयार होगा गंगा एक्सप्रेसवे
निदेशक मंडल ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए चयनित सलाहकार आइटीएल द्वारा एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के इंस्टालेशन, टोल संग्रह और टोल प्लाजा के रखरखाव के लिए तैयार निविदा प्रपत्र को भी स्वीकृति दी है। बोर्ड बैठक में बताया गया कि गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। वर्तमान में विकासकर्ताओं द्वारा साइट लैब, साइट कार्यालय, साइट क्लीयरेंस आदि कराया जा रहा है। अब तक सी एंड जी (क्लीयरिंग एंड ग्रबिंग) का काम 68 प्रतिशत से अधिक किया जा चुका है।