Ambedkar University Lucknow: सामाजिक और आर्थिक उन्नति पर शोध करेगा आंबेडकर विश्वविद्यालय, कुलपति ने शुरू की कवायद
सामाजिक व आर्थिक विकास को लेकर शोध करने वाले विद्यार्थी अब विश्वविद्यालय के आर्थिक तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए शोध करेंगे। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय सिंह की पहल पर पहली बार आंबेडकर विश्वविद्यालय में ऐसा करने की कवायद शुरू हो गई है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। सामाजिक व आर्थिक विकास को लेकर शोध करने वाले विद्यार्थी अब विश्वविद्यालय के आर्थिक तंत्र को म मजबूती प्रदान करने के लिए शोध करेंगे। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजय सिंह की पहल पर पहली बार आंबेडकर विश्वविद्यालय में ऐसा करने की कवायद शुरू हो गई है। अपनी तरह के इस पहले शोध की वकालत करते हुए कुलपति प्रो.संजय सिंह आंबेडकर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से हुई आनलाइन कार्यशाला में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में शोध की बेहतर समझ विकसित करने के लिए इससे जुड़ी बुनियादी जानकारी प्रदान करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। शोध के आंकड़े इकट्ठा करने और उनके विश्लेषण के लिए साफ्टवेयर के प्रयोग की जानकारी के साथ ही आंकड़े इकट्ठा करने की सही तकनीकों, शोध विधियों तथा उसके प्रयोग की जानकारी देना आवश्यक है जिससे विद्यार्थी जब कार्यक्षेत्र में जाएं तब उन्हें पता हो कि किस परिस्थिति में किस विधि से आंकड़े एकत्रित किए जाएं। उन्होंने अर्थशास्त्र विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर भी शोध की जाए ताकि विभागीय और विश्वविद्यालश् स्तर पर आय और व्यय से जुड़े मुद्दों पर सावधानी के साथ मितव्ययी ढंग से कार्य किया जा सके।
इससे पहले रिसर्च मैथेडोलॉजी प्रोग्राम ऑन एप्लाइड इकनोमेट्रिक टेक्निक्स एंड सैंपलिंग मेथड विषयक 10 दिवसीय आननलाइन कार्यशाला के अंतिम दिन बेंगलुरू के डा. बीआर आंबेडकर स्कूल आफ इकोनोमिक्स विश्वविद्यालय के कुलपति वाईस चांसलर डा. एनआर भानुमूर्ति मुख्य अतिथि शामिल हुए। मुख्य अतिथि ने कहा कि कहा कि जब हम बड़े स्तर पर आंकड़े इकट्ठा करते हैं तब हमें उसका ग्राफ तैयार करना जरूरी होता है ताकि हम वास्तविक स्थिति को समझ सकें। सही रिसर्च के लिए सही आंकड़ों का होना बहुत जरूरी है, उन्होंने कई सरकारी योजनाओं का संदर्भ लेते हुए बताया कि किस प्रकार किसी योजना को सफल बनाने में सही आंकड़े महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ऐसा न होने की स्थिति में योजना बुरी तरह फेल भी हो सकती है। अर्थशास्त्र के सिद्धांतों में बदलती परिस्थितियों के आधार पर शोध होते रहना चाहिए।
कार्यशाला में कोर्स निदेशक प्रो. सनातन नायक ने बताया कि कार्यशाला में देश भर से 19 शोध छात्रों का चयन किया गया है। चयनित शोध छात्रों को इस कार्यक्रम में 90 प्रतिशत उपस्थिति के साथ ही कार्यक्रम के आखरी दिन 30 बहुविकल्पीय प्रश्नों का उत्तर और पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शन के आधार पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। डॉ0 डी0 के0 यादव ने बताया कि इस 10 दिवसीय रिसर्च मैथेडोलॉजी कार्यक्रम में शोधार्थियों को सोशल साइंस के विषयों में एप्लाइड रिसर्च की उपयुक्त विधियों के बारे में जानकारी दी जाएगी । इसके साथ ही इस कार्यक्रम में एडवांस्ड ईकोमेट्रिक्स टेक्निक, मेज़रमेंट टेक्निक्स और रिसर्च के लिए प्रयोग में आने वाले विभिन्न साफ्टवेयर्स के बारे में बताया जाएगा। कार्यशाला में डा. सुरेंद्र मेहेर,प्रो. एनएमपी वर्मा, प्रो. एलसी मलैया व डा अल्का समेत विभाग के सभी शिक्षक, विद्यार्थी शामिल हुए।