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Lucknow University: प्रोफेसर पर नौ लाख रुपये गबन का आरोप, जांच के आदेश Lucknow News

लखनऊ जनजातीय बहुल जिलों के बेस लाइन सर्वे के लिए मिली राशि अपने खाते में कराई ट्रांसफर। सेवानिवृत्त आइपीएस समेत तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 07:15 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 01:52 PM (IST)
Lucknow University: प्रोफेसर पर नौ लाख रुपये गबन का आरोप, जांच के आदेश Lucknow News
Lucknow University: प्रोफेसर पर नौ लाख रुपये गबन का आरोप, जांच के आदेश Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के प्रोफेसर पर निदेशालय, जनजातीय विकास से प्रोजेक्ट के लिए मिले करीब 9 लाख 54 हजार 575 रुपयों के गबन का आरोप लगा है। आरोप है कि प्रोफेसर ने राशि को विश्वविद्यालय के खाते में लेने के बजाय पहले विभाग के खाते में लिया और फिर अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। कई बार डीन की ओर से ब्योरा मांगे जाने पर भी जानकारी नहीं दी गई। सोमवार को कुलपति ने मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी समेत तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।

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एंथ्रोपोलॉजी विभाग के हेड रहे प्रो उदय प्रताप सिंह को निदेशालय, जनजातीय विकास उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा मार्च अप्रैल 2019 में बंधु कल्याण योजना के तहत जनजातीय बहुल जनपदों का बेस लाइन सर्वे कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके तहत बलिया, गोरखपुर और देवरिया के 230 गांवों में जनजातीय समुदाय के विकास की स्थिति पर सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करनी थी। इस प्रोजेक्ट के लिए निदेशालय द्वारा 9 लाख 94 हजार 350 रुपये निर्धारित किए गए थे। 

अपना नाम और विभाग के खाते का दिया ब्योरा

हुआ यूं कि प्रो उदय प्रताप ने प्रोजेक्ट के पैसों के लिए निदेशालय में लविवि के कुलपति अथवा कुलसचिव के खाते का ब्योरा न देकर अपने नाम सहित विभाग के खाते का ब्योरा दे दिया। इसमें निदेशालय ने 9 लाख 54 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। 

प्रो पीसी मिश्रा को डीन बनाने पर हुई जानकारी

मामले का पता तब चला, जब विभाग का डीन प्रो पीसी को मिश्रा को बनाया गया। उनके द्वारा नोटिस जारी कर राशि का ब्योरा मांगे जाने पर प्रो सिंह द्वारा ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया गया। डीन रहे प्रो मिश्रा का कहना है कि पैसे क्यों अपने खाते में ट्रांसफर किए गए और कहां खर्च हुए, इसका हिसाब प्रो सिंह नहीं दे सके। इसकी जानकारी तत्कालीन कुलपति प्रो एसपी सिंह को दे दी गई थी। मामले में फंसते देखकर प्रो उदय प्रताप ने 69,840 रुपये डीन केखाते में जमा कर दिए। मगर बाकी के पैसों का हिसाब न दे पाने पर सोमवार को मौजूदा कुलपति एसके शुक्ला ने गबन की आशंका पर सेवानिवृत्त आइपीएस यूएस बाजपेई, विभागाध्यक्ष एंथ्रोपोलॉजी, एकाउंट अफसर इलाहाबाद विवि समेत तीन सदस्यीय समिति का गठन कर जांच के आदेश दिए हैं। 


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