इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीसीएस परीक्षा में त्रिस्तरीय आरक्षण देने पर सरकार से किया जवाब तलब
हाई कोर्ट UPPSC PCS Exam 2019 को चुनौती देते हुए कहा गया कि कानून के विपरीत प्रारंभिक मुख्य परीक्षा व चयन परिणाम में त्रिस्तरीय आरक्षण दिया जा रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (UPPSC PCS Exam) भर्ती 2019 परीक्षा में त्रिस्तरीय आरक्षण देने की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार व उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रतियोगी छात्र अवनीश कुमार पांडेय की याचिका पर दिया है।
याची के अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा आरक्षण कानून के विपरीत प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा व चयन परिणाम में त्रिस्तरीय आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि कानून नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है। आयोग की तरफ से कहा गया कि यदि हर स्तर पर आरक्षण नहीं देंगे तो चयन के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। इस पर कोर्ट ने आयोग से जानना चाहा है कि किस कानून या नियम से त्रिस्तरीय आरक्षण लागू किया जा रहा है। याची अधिवक्ता का कहना है कि चयन में आरक्षण लागू करने से यदि सीटें खाली रह जाती हैं तो बैकलाग भर्ती का नियम है। ऐसे में हर स्तर पर आरक्षण देना गैर कानूनी है। ऐसा करना धारा 3(2) व अनुच्छेद 16(4)बी के खिलाफ है। कोर्ट ने याचिका में उठाये गये मुद्दे को गंभीर मानते हुए जवाब मांगा है।