69000 शिक्षक भर्ती में हाई कोर्ट का अहम फैसला, सामान्य 65%, आरक्षित वर्ग के 60% अंक वाले होंगे पास
69000 Shikshak bharti उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के कटऑफ अंक विवाद पर बुधवार को फैसला आ गया।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। यह भर्ती कटऑफ अंकों के विवाद के कारण अधर में लटकी पड़ी थी। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही ठहराया और पूरी भर्ती प्रक्रिया तीन माह के भीतर पूरी करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी सरकार द्वारा तय किए गए मानकों 90/97 पर लगाई मोहर तीन महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। इस आदेश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65 फीसद और अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60 फीसद अंक पाकर उत्तीर्ण होंगे।
यह फैसला जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल एवं जस्टिस करुणेश पवार सिंह की बेंच ने राज्य सरकार सहित कई अन्य प्रभावित याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया है। हाई कोर्ट ने मामले मे सुनवाई पूरी कर तीन मार्च को ही अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनाया। एक याची के अधिवक्ता गौरव मेहरेात्रा ने बताया कि हाई कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फैसले में विशेष अपीलों को मंजूर करते हुए एकल पीठ का फैसला खारिज कर दिया। साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रिया तीन माह में पूरी करने का आदेश दिया है।
राज्य सरकार एवं अन्य प्रभावित याचियों ने अलग-अलग विशेष अपीलें दायर करके एकल पीठ के 29 मार्च, 2019 को पारित उस आदेश को डबल बेंच में चुनौती दी थी, जिसमें एकल पीठ ने राज्य सरकार के 7 जनवरी, 2019 के एक शासनादेश को रद कर दिया था और साथ ही सरकार को आदेश दिया था कि 1 दिसंबर और 5 दिसंबर 2018 को इस परीक्षा को कराने संबधी जारी शासनादेशों का अनुपालन करते हुए सहायक शिक्षक भर्ती 2018 के अनुसार मेरिट बनाकर परिणाम घोषित किया जाए।
एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं दायर कर सचिव, बेसिक शिक्षा के 7 जनवरी, 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें 6 जनवरी, 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ अंक सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 65 फीसद व आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद कर दिया गया था। याचियों ने एकल पीठ के सामने तर्क दिया था कि लिखित परीक्षा होने के बाद कटऑफ अंक घोषित करना विधि के सिद्धांतों के विरुद्ध था। याचियों ने एकल पीठ के सामने सरकार पर आरोप लगाया था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिये सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक कटऑफ अंक घोषित कर दिया था।
तीन मार्च 2020 को हुआ था फैसला सुरक्षित
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद तीन मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह अहम भर्ती कटऑफ अंक विवाद के कारण करीब डेढ़ वर्ष से अधर में फंसी थी। प्रदेश के करीब चार लाख से ज्यादा अभ्यर्थी निर्णय का इंतजार कर रहे थे। कोर्ट के फैसले के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसले देते हुए मानकों को सही माना है। खंडपीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों 90/97 पर मुहर लगा दी। यानी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 90 और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 97 अंक कटऑफ होगा।
पांच दिसंबर 2018 को मांगे गए थे ऑनलाइन आवेदन
प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए पांच दिसंबर 2018 को एक शासनादेश जारी कर अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। छह से 20 दिसंबर 2018 तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए। इस परीक्षा के लिए 4,31,466 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था और लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई थी। परीक्षा में 4,10,440 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जबकि 21,026 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी थी।
यह था विवाद
भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम कटऑफ अंक की बात तो की गई थी, किंतु कटऑफ कितने प्रतिशत होगा इसका जिक्र शासनादेश में नहीं था। लिखित परीक्षा के अगले दिन सात दिसंबर 2019 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई। इसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 97 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 90 अंक लाने होंगे। यानी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 65 फीसद और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 60 फीसद अंक पर पास किया जाएगा। इसी कटऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
यह रही है मांग
उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे पहले सितंबर 2018 में 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 45 व आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसद कटऑफ अंक तय किया था। अभ्यर्थियों का एक वर्ग पुराना कटऑफ अंक लागू करने की मांग कर रहा है। वहीं, कई अभ्यर्थी शासन की ओर से जारी कटऑफ अंक के भी पक्ष में हैं।