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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन पर लगाई अंतरिम रोक, कहा- कोर्ट की अनुमति जरूरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बिना कोर्ट की अनुमति के जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन पर रोक लगाई दी है। यह आदेश गुरुवार को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की पीठ ने अवध बार एसोसिएशन की जनहित याचिका पर पारित किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 07:15 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन पर लगाई अंतरिम रोक, कहा- कोर्ट की अनुमति जरूरी
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन पर रोक लगा दी है।

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केंद्र सरकार और जीएसटी काउंसिल द्वारा कोर्ट की अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल के गठन पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च तय की है। इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने शिक्षा सेवा अधिकरण के गठन के बारे में भी ऐसा ही आदेश तीन मार्च को दिया था कि बिना उसकी अनुमति के ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होगा।

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यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस रितुराज अवस्थी की पीठ ने अवध बार एसोसियेशन की जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में जीएसटी काउंसिल के 14 मार्च, 2020 के प्रस्ताव को चुनौती दी गई है, जिसके जरिये काउंसिल की प्रमुख पीठ प्रयागराज में स्थापित करने की बात कही गई है।

एडीशनल सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र व जीएसटी काउंसिल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के नौ फरवरी 2021 के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने का निर्णय लिया है। इस आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समय सीमा के भीतर जीएसटी काउंसिल प्रयागराज में गठित करने को कहा था।

अवध बार की याचिका पर इसके अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएसस परिहार व अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं जेएन माथुर व एलपी मिश्रा ने कहा कि पहले जीएसटी काउंसिल ने अपीलेट ट्रिब्यूनल लखनऊ में गठित करने का निर्णय लिया था किन्तु बाद में अपना निर्णय बदल दिया जो कि बिना किसी आधार के व सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसा इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक पीठ द्वारा जीएसटी के अधिकारियों की बार तलबी से तंग आकर किया गया था। कहा गया कि लखनऊ में ट्रिब्यूनल बनने से वादकारियों को ही सुविधा होगी।

लखनऊ के अधिवक्ता इस मुद्दे पर आंदोलन भी कर रहे हैं। उन्होंने 24 फरवरी से चल रहे न्यायिक कार्य के बहिष्कार को जारी रखने का निर्णय लिया है। अधिवक्तागण शुक्रवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। बार एसोसिएशन के महामंत्री शरद पाठक ने बताया कि छह मार्च को आसपास के उन जिलों की बार एसोसिएशनों को आमंत्रित किया गया है जिनको लखनऊ खंडपीठ से जोड़ने की मांग की जा रही है।

बता दें कि जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन लखनऊ में किये जाने के संबंध में अवध बार एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में जीएसटी काउंसिल के 14 मार्च, 2020 के निर्णय को चुनौती दी गई है व मांग की गई है कि 21 फरवरी 2019 के प्रस्ताव पर अमल किया जाए। अवध बार की ओर से दलील दी गई है कि ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच के लोकेशन का कोई महत्व नहीं है।

दरअसल, वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने जीएसटी की स्टेट बेंच लखनऊ में व एरिया बेंच की स्थापना प्रयागराज समेत 20 शहरों में किये जाने का अनुमोदन किया था। बाद में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी 31 मई, 2019 को पारित अपने आदेश में कहा था कि ऐसा कोई न्यायिक निर्णय नहीं है कि प्रिंसिपल बेंच वाले शहर में ही जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाए। अवध बार की ओर से दलील दी गई कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहे मुकदमे के दबाव में पूर्व के प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल ने बदल दिया। 

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षा सेवा अधिकरण बिना कोर्ट की अनुमति के गठित करने पर लगाई रोक


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