हाई कोर्ट जज ने पेश की मिसाल, आर्थिक तंगी से परेशान छात्रा के IIT में दाखिले के लिए जेब से जमा की फीस
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने सोमवार को एक दलित छात्रा की योग्यता से प्रभावित होकर उसे दाखिले की फीस के लिए 15 हजार रुपये दिए। आर्थिक तंगी के चलते फीस न जमा कर पाने के कारण छात्रा आइआइटी में प्रवेश से वंचित रह गई थी।
लखनऊ [विधि संवाददाता]। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने सोमवार को एक दलित छात्रा की योग्यता से प्रभावित होकर उसे दाखिले की फीस के लिए 15 हजार रुपये दिए। आर्थिक तंगी के चलते फीस न जमा कर पाने के कारण छात्रा आइआइटी में प्रवेश से वंचित रह गई थी। साथ ही कोर्ट ने ज्वाइंट एलोकेशन अथारिटी व आइआइटी बीएचयू को छात्रा को तीन दिन के भीतर दाखिला देने का निर्देश दिया। कहा कि यदि सीट न खाली हो तो उसके लिए अलग से व्यवस्था की जाए।
यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। छात्रा आर्थिक कारणों से वह वकील तक नहीं कर सकी थी। जिस पर कोर्ट के कहने पर अधिवक्तागण सर्वेश दुबे व समता राव ने छात्रा का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखने में सहयोग किया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष यह तथ्य आया कि छात्रा शुरू से ही शिक्षण में मेधावी रही है। 10वीं में 95.6 व 12वीं में उसने 94 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। वहीं, जेईई मेंस में उसने 92.77 प्रतिशत अंक प्राप्त करते हुए एससी कैटेगरी में 2062वीं रैंक हासिल की। जेईई एडवांस में उसे 1469वीं रैंक मिली। इसके बाद आइआइटी बीएचयू में उसे गणित व कंप्यूटर से जुड़े पांच वर्षीय कोर्स में सीट आवंटित की गई, लेकिन आर्थिक कारणों के चलते छात्रा दाखिले के लिए तय समय तक आवश्यक 15 हजार रुपये की व्यवस्था नहीं कर सकी। इसके चलते उसे दाखिला नहीं मिला। छात्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दाखिला फीस के इंतजाम के लिए कुछ और समय की मांग की थी।
पिता की किडनी खराब : उसने याचिका में कहा कि उसके पिता की किडनी खराब है। अभी उनका सप्ताह में दो बार डायलिसिस होता है। ऐसे में पिता की बीमारी और कोविड के चलते उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते वह तय समयसीमा में फीस नहीं जमा कर सकी। इसके बाद उसने फीस के इंतजाम के लिए ज्वाइंट एलोकेशन अथारिटी को पत्र लिखकर समय की मांग की, लेकिन उसके पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। इसके चलते उसे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, जिसके बाद कोर्ट ने छात्रा के शैक्षिक रिकार्ड को देखते हुए व राहत न मिलने पर उसकी शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ने के मद्देनजर संबंधित संस्थानों को उसका दाखिला लेने का आदेश दिया। साथ ही जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने छात्रा को 15 हजार रुपये दिए, ताकि उसकी पढ़ाई में कोई विघ्न न पड़े।