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ऐसे बना तीन तलाक का कानून कि बाकी रहे सुलह की गुंजाइश Lucknow news

ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने रखीं तीन तलाक बिल पर उठाए सवाल। बोर्ड अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कानून बनाने से पहले मुस्लिम संगठनों से की जाए चर्चा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 08:38 AM (IST)
ऐसे बना तीन तलाक का कानून कि बाकी रहे सुलह की गुंजाइश Lucknow news
ऐसे बना तीन तलाक का कानून कि बाकी रहे सुलह की गुंजाइश Lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। तीन तलाक के खिलाफ बिल लोकसभा में पेश होने के बाद सोमवार को ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने बिल को लेकर सवाल खड़े किए हैं। बोर्ड अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कि बिल में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा होगी है, जब पति जेल चला जाएगा तो पत्नी-पत्नि में सुलह कैसे होगी? तीन तलाक के खिलाफ कानून बने, जिससे पति तलाक देने से डरे और सुलह की गुंजाइश भी बनी रहे। 

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प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि तीन तलाक के खिलाफ कानून बनना जरूरी है। कानून ऐसा हो जो परिवार को बिखरे से रोके, न कि सुलह की गुंजाइश को ही समाप्त कर दे। सरकार तीन तलाक कानून बनाने से पहले पर्सनल लॉ बोर्ड सहित अन्य मुस्लिम संगठनों से चर्चा करें। हमने सरकार से ऐसे कानून की मांग रखी थी जो शरियत के कानून से न टकराये।

कहा, तलाक सामाजिक बुराई है इसे अपराध बनाने से लोग शादियां करने से डरने लगेंगे। कानून ऐसा होना चाहिये कि शौहर एक साथ तीन तलाक देने से डरे और सुलह का दरवाजा भी खुला रहे। एक साथ तीन तलाक पीडि़ता की मदद के लिये कोई फंड की व्यवस्था की जाए। तलाक के बाद पत्नी और बच्चे के गुजारे की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। उन्होंने नरेंद्र मोदी के दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने पर उनको बधाई भी दी। 

पति ने कोर्ट में लगाया फर्जी तलाकनामा 

इस बीच प्रेस क्लब में शाइस्ता अंबर के साथ मौजूद चिनहट निवासी शबनम ने अपना दर्द बयां किया। शबनम ने आरोप लगाया कि बीमार होने की वजह से पति इनामुल हक उसको घर से निकालना चाहते हैं। 17 साल के बेटे को भी पति ने अपनी तरफ कर रखा है। करीब 23 वर्ष पहले 25 फरवरी 1996 को गाजीपुर के पशुपालन विभाग में कार्यरत इनामुल हक से उसकी शादी हुई थी।

वह पति के साथ चिनहट के कमता में काफी साल से रह रही थी। वर्ष 2015 में किडनी और दिल की बीमारी के बाद पति ने गाजीपुर अपने घर भेज दिया था। साथ ही तलाक लेने के लिए एक फर्जी तलाकनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया। हालांकि, अदालत ने तलाकनामे को निरस्त कर दिया। पर जब से वह कई दिनों के बाद चिनहट में अपने घर लौटी, तब से पति और बेटा बेघर करने पर आमादा है। कोर्ट ने गुजारा भत्ते के लिए जो रकम तय की थी, वह भी नहीं मिल रही। 

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