विवादित ट्वीट से पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया किनारा, ट्वीट डिलीट करने के दिए निर्देश
जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि ट्वीट डिलीट करने के दिए निर्देश करने से पहले उनकी इजाजत नहीं ली गई। देर रात ट्वीट डिलीट करने के दिए निर्देश।
लखनऊ, जेएनएन। अपने ट्विटर हैैंडल से हुए एक विवादित ट्वीट से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने किनारा कर लिया है। बोर्ड ने कहा कि यह ट्वीट जनरल सेक्रेटरी की सहमति के बगैर किया गया था, इसे डिलीट करने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन से पहले ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ऑफीशियल ट्विटर हैैंडल से एक ट्वीट किया, इसमें लिखा कि- 'बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। तुर्की की हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण के आधार पर दिया गया फैसला इसे नहीं बदल सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।'
कई वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद विवाद चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष पर आया था। लेकिन, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से इस पर टिप्पणी करके इसे हागिया सोफिया से जोड़ा गया। बता दें कि हागिया सोफिया तुर्की का एक विवादित स्थल रहा है, जिसे पूर्व में एक म्युजियम बना दिया गया था। लेकिन, मौजूदा सरकार ने इसे पिछले दिनों फिर से मस्जिद में बदल दिया है।
पर्सनल लॉ बोर्ड के इस ट््वीट को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवमानना माना जा रहा है। बोर्ड के सचिव व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा कि उन्हें जैसे ही इस ट्वीट की जानकारी मिली उन्होंने तत्काल जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी से बात की। जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि ट्वीट की भाषा में गड़बड़ी है। इसे ट्वीट करने से पहले उनकी इजाजत नहीं ली गई। इसे तत्काल डिलीट करने के निर्देश दिए गए हैं।
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