एमपी व छत्तीसगढ़ में बसपा के बाद अब कांग्रेस को सपा से भी झटका
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी के बाद अब तो समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस पर तंज कसा है।
लखनऊ (जेएनएन)। महागठबंधन चाहने वाली कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी के बाद समाजवादी पार्टी ने भी तगड़ा झटका दिया है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी अब कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के दलों का झटका कांग्रेस को लगने लगा है। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी के बाद अब तो समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस पर तंज कसा है।
लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के रुख से नाखुश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि समझौते के लिए उन्होंने कांग्रेस की बहुत प्रतीक्षा की लेकिन, अब और नहीं करेंगे। अखिलेश ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ ही अब बहुजन समाज पार्टी से चुनावी समझौते की बात कही है। बहुजन समाज पार्टी पहले ही इन राज्यों के चुनाव में कांग्रेस से किनारा कर चुकी है। बसपा व सपा का कांगस से गठबंधन न होने में भाजपा अपना फायदा देख रही है।
पत्रकार वार्ता में अखिलेश यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी चौथे नंबर की पार्टी है। ऐसे में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उनकी कोशिश थी कि कांग्रेस से समझौता हो जाए लेकिन, अब और प्रतीक्षा नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने अकेले चुनाव लडऩे के बजाय कहा, गठबंधन के संबंध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से बातचीत चल रही है और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती से भी बात करेंगे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज कहा कि मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने काफी इंजतार कराया है। हम मध्य प्रदेश में अकेले या फिर गोंडवाना पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मेलन आयोजित कराया था। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के साथ ही कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। अखिलेश यादव ने कहा कि हम मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में थे।
उल्लेखनीय है कांग्रेस से सीटों पर बंटवारे की बात न बनने पर मायावती ने भी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान में कांग्रेस से किनारा करते हुए दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की घोषणा कर रखी है। छत्तीसगढ़ में तो बसपा, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांगे्रस के साथ चुनावी समझौता कर भी चुकी हैै।
एमपी में सपा का 2003 में था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
डेढ़ दशक के दौरान सपा का मध्य प्रदेश में सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 के विधानसभा चुनाव में था। तब सपा के जहां सात विधायक जीते थे वहीं उसे नौ फीसद वोट भी मिले थे। इसके बाद 2008 में एक विधायक व दो फीसद वोट रह गए। 2013 के चुनाव में सपा का कोई विधायक तो नहीं जीता था लेकिन, एक फीसद से अधिक वोट मिले थे।
महागठबंधन की संभावनाओं को भी झटका
राज्यों के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सपा व बसपा ने कांगे्रस से किनारा किया है उससे भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए महागठबंधन की संभावनाओं को भी झटका लगता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में गठबंधन के बूते ही विपक्ष गोरखपुर, फूलपुर, कैराना की लोकसभा व नूरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा को शिकस्त देने में कामयाब रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को झटका देने के लिए सपा-बसपा, कांगे्रस से गठबंधन को तैयार थी लेकिन अंतत: सीटों को लेकर बात नहीं बनी। नेताओं की बयानबाजी और अपने प्रति बेरुखी को देखते हुए जहां बसपा प्रमुख ने चार दिन पहले कांगे्रस को आड़े हाथों लेते हुए उससे गठबंधन न करने का ऐलान किया वहीं अब सपा प्रमुख भी कांगे्रस से नाराज नजर आ रहे हैैैं।
इससे भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए महागठबंधन की उम्मीद लगाए बैठे गैर भाजपाई दलों में मायूसी है। जानकारों का कहना है कि राज्यों के नतीजे अब लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का भविष्य तय करेंगे। अगर भाजपा, राज्यों में सरकार बनाए रखने में कामयाब रही तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों से समझौते के लिए हाथ बढ़ाएगी। हालांकि,, तब उसे समझौते के लिए कहीं अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। कारण है उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर बिना सपा-बसपा को साथ लिए कांग्रेस के लिए फिलहाल भाजपा का विजयी रथ रोकना संभव नहीं दिखता।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषण होने वाली है। वहां पर भाजपा के खिलाफ गठबंधन को लेकर कांग्रेस की रुचि नहीं दिख रही है। इस कारण हमको अलग होना पड़ रहा है। अब तो हमारी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर वहां क्या अन्य भी राज्य के चुनाव में नहीं लड़ेगी। अखिलेश यादव ने कहा कि गठबंधन के लिए कांग्रेस को दिल बड़ा करना चाहिए। कांग्रेस को समान विचारधारा के दलों को साथ लेकर चुनाव लडऩा चाहिए। अब तो देर हो गई है। बसपा ने किनारा कर लिया ही है अन्य दल भी अपने प्रत्याशी घोषित कर देंगे।
उन्होंने मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान व छत्तीसगढ़ चुनावों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि देर हो जाएगी तो और दल भी अपने प्रत्याशी घोषित कर देंगे। हम तो समझते हैं कि गठबंधन की जिम्मेदारी कांग्रेस की है। वह सभी दलों को साथ लेकर चलें। बसपा ने अपने प्रत्याशी की घोषण कर ही दी है। हम भी कितना इंतजार करेंगे। बसपा तथा हम किसी के डर में फैसला नहीं करते हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि हम मध्य प्रदेश में बीएसपी से गठबंधन की संभावनाओं पर बातचीत करेंगे। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने साथ चुनाव लड़ा था। अखिलेश और राहुल ने एक रोड शो भी साथ-साथ किया था। इसके बाद कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव में दोनों दल साथ थे। वहीं, फूलपुर-गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान सपा के खिलाफ बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
भाजपा से जनता का भरोसा उठा
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि जनता का प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से भरोसा उठ गया है। कोई भी ऐसा दिन नहीं होता है जब दर्जनों हत्याएं, हिंसा, बवाल तथा महिलाओं के प्रति दर्जनों अपराध न हो रहे हों। उन्होंने कहा कि जिस दिन ओपी सिंह डीजीपी बने थे मैंने खुद कॉल कर के बधाई दी थी। इसके साथ ही मैंने कहा था कि लोगों के साथ अन्याय न हो लेकिन हालात में सुधार नही हुआ है। प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए कि आज के दौर में कितने अधिकारी-पुलिस के जवान आज आत्महत्या कर रहे हैं। ललितपुर में एसडीएम की आत्महत्या के लिए डीएम जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही सरकार की व्यवस्था भी इसके लिए जिम्मेदार है। भाजपा सरकार से जनता का भरोसा उठ चुका है, सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है। पुलिसकर्मियों के काला दिवस मनाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि अगर आप किसी से उसके खिलाफ काम कराओगे तो ऐसा ही होगा। उन्होंने कहा कि सिपाहियों के आक्रोश के लिए पुलिस के अधिकारी ही जिम्मेदार हैं।
छात्र समाजवादी विचारधारा से जुड़ रहे
समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आज वरिष्ठ शिक्षक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अखिलेश यादव ने कहा कि वरिष्ठ शिक्षकों का आशीर्वाद मिलेगा तो समाजवादी लोग हर मुश्किलों का सामना कर लेंगे। जहां राजनीति में खोखलापन आ रहा है, वरिष्ठ शिक्षकों के सहयोग से इसे दूर करने का काम समाजवादी लोग करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई देना चाहता हूं। यूनिवर्सिटी-कॉलेज में आज भी छात्र समाजवादी विचारधारा से जुड़ रहे हैं। छात्र संघ चुनावों के दौरान होने वाली हिंसा भाजपा का षड्यंत्र है, जीत नही पाते है तो आग लगा देते हैं।
मेक इन इंडिया कहते-कहते जीएसटी ला दिए
अखिलेश यादव ने नरेंद्र मोदी सरकार पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि वह तो लंबे समय से मेक इन इंडिया कहते-कहते जीएसटी ला दिए। इसके बाद लाइसेंस ऐसा बना दिये कि भारत का बाजार चाइनीज सामानों से भर जाएगा। अभी त्योहार आने दीजिये मिठाई छोड़ कर पूरा समान बाहर का होगा। आज की व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, दीवाली आ रही है और तमाम कोशिशों के बावजूद अभी भी ज्यादातर सामान चाइना का दिखाई देगा, सिर्फ मिठाई यहां की होगी, डिब्बा चाइना का ही होगा। अखिलेश के निशाने पर ऑनलाइन व्यवस्था भी रही। उन्होंने कहा कि इसी के चक्कर में आज 40 से 50 फीसदी बच्चों के चश्मे लग गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी को राहत
चुनावी गठबंधन न होने की स्थिति में भाजपा को राज्यों के चुनाव में तो फायदा होता दिख ही रहा है, अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भी उसे सीधा लाभ मिलना तय माना जा रहा है क्योंकि जातीय वोटों में बिखराव से विपक्ष ही घाटे में रहा है। सूत्रों का कहना है कि राज्य की लोकसभा सीटों पर फतह के लिए सपा-बसपा ही नहीं, जातीय आधार पर बने अन्य छोटे दलों का भी साथ कांग्रेस के लिए जरूरी है। रालोद, महान दल, पीस पार्टी जैसी पार्टियां भी अपने क्षेत्र में असर रखती है। इनके एकजुट न होने का सर्वाधिक फायदा भाजपा को ही होगा।