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अख‍िलेश यादव का भाजपा पर हमला, बोले- अमृतकाल में भी लोकतंत्र की हत्या जारी, मंडराने लगी अघोषित आपातकाल की छाया

समाजवादी पार्टी के मुख‍िया अख‍िलेश यादव भाजपा का नाम ल‍िए बिना हमला बोला। उन्‍होंने सरकार पर लोकतंत्र की हत्‍या करने का आरोप लगाते हुए कहा क‍ि देश में एक बार फ‍िर अघोषित आपातकाल की छाया मंडराने लगी है।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 07:21 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:21 AM (IST)
अख‍िलेश यादव का भाजपा पर हमला, बोले- अमृतकाल में भी लोकतंत्र की हत्या जारी, मंडराने लगी अघोषित आपातकाल की छाया
अख‍िलेश यादव ने कहा देश में मंडराने लगी है अघोषित आपातकाल की छाया

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लगाए जाने को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आज फिर देश में अघोषित आपातकाल की छाया मंडराने लगी है। अमृतकाल में भी लोकतंत्र की हत्या जारी है। आर्थिक विषमता, सामाजिक अन्याय का बढ़ना जारी है। अमीर और ज्यादा अमीर, गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं।

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असहिष्णुता और नफरत ने सामाजिक सद्भाव को छिन्न भिन्न कर दिया है। संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। किसानों-नौजवानों की आवाज को कुचला जा रहा है। बेरोजगारी में वृद्धि जारी है। महिलाएं-बच्चियां सर्वाधिक अपमान झेल रही हैं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि देश में आपातकाल लगे 47 वर्ष बीत चुके है पर आज भी 25 जून 1975 की याद सिहरन पैदा कर देती है। रातों रात विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियों के साथ प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई थी। स्वतंत्र भारत में आपातकाल लागू होते ही लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनकर नागरिकों की आजादी को कुचल दिया गया था। आज फिर अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो रही है।

भारत की आजादी की लड़ाई लड़ते समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जो सपने देखे थे, उनका क्या हुआ? वर्तमान सत्ताधारियों ने भी सत्ता के दुरुपयोग के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। संविधान की मूल भावना के साथ नागरिक अधिकारों को बचाने तथा समाज को बांटने से रोकने में अवरोध डालने वाली प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना होगा। समाजवादी पार्टी स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों एवं आदर्शों के लिए संघर्षरत है।

इस सब के बीच प्रगत‍िशील समाजवादी पार्टी के मुख‍िया श‍िवपाल स‍िंंह यादव ने कांग्रेस का घेराव करते हुए कहा क‍ि, '25 जून 1975 को तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे दुखद अध्याय था। लोकतंत्र में तानाशाही के लिए कोई जगह नहीं है। आपातकाल के काले दिनों का स्मरण करते हुए, इसके विरोध में उठे प्रत्येक स्वर का हृदय से वंदन। जयप्रकाश नारायण की समग्र वैचारिकी को नमन।


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