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वायु प्रदूषण से दमा, फेफड़े, मधुमेह, मस्तिष्क व दिल की बीमारियां बढ़ीं

आइआइटी मुंबई और द हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने वायु प्रदूषण के प्रभाव पर हाल ही में एक शोध किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में देश में 11 लाख मौतें वायु प्रदूषण से हुईं थीं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 12:18 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 03:37 PM (IST)
वायु प्रदूषण से दमा, फेफड़े, मधुमेह, मस्तिष्क व दिल की बीमारियां बढ़ीं
वायु प्रदूषण से दमा, फेफड़े, मधुमेह, मस्तिष्क व दिल की बीमारियां बढ़ीं

लखनऊ (जेएनएन)। सूबे में कुपोषण के बाद वायु प्रदूषण दूसरा ऐसा कारण है जो लोगों को गंभीर रूप से बीमार बना रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर दमा, फेफड़े, मधुमेह, मस्तिष्क व दिल की बीमारियों पर दिख रहा है। अभी से इसका नियंत्रण न किया गया तो स्थिति और भयावह होगी। वायु प्रदूषण में सबसे अधिक मानव जनित कारण जिम्मेदार हैं। इसका असर बच्चों व उम्रदराज लोगों पर ज्यादा पड़ता है।

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आइआइटी मुंबई और द हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने वायु प्रदूषण के प्रभाव पर हाल ही में एक शोध किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में देश में 11 लाख मौतें वायु प्रदूषण से हुईं थीं। इसके लिए लकड़ी के रूप में इस्तेमाल होने वाले घरेलू ईंधन का प्रयोग, औद्योगिक इकाइयां, डीजल वाहन, थर्मल पावर प्लांट, भवन निर्माण आदि प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। यदि वायु प्रदूषण पर अभी से ध्यान न दिया तो 2050 में मौतों का आंकड़ा 36 लाख से ऊपर पहुंच जाएगा।

खास बात यह है कि यूपी के कई शहर जैसे गाजियाबाद, आगरा, बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, सोनभद्र आदि में वायु प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर से भी काफी अधिक पहुंच जाती है। इसके बावजूद यूपी के जिम्मेदार अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थिति यह है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के असर को लेकर कई शोध हो चुके हैं लेकिन, यूपी के लिए इस तरह के शोध पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया, जबकि प्रदेश के कई शहरों में वायु प्रदूषण की मात्रा दिल्ली से अधिक है।

जागरूकता से पाया जा सकता है काबू

वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों को लेकर तरह-तरह के शोध हो रहे हैं। सभी शोध इसकी भयावहता को दर्शातें हैं। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जागरूकता की सबसे अधिक जरूरत है। हेल्थ मैनेजमेंट की प्रीमियर आर्गेनाइजेशन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आइआइएचएमआर) यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीतीश डोगरा कहते हैं कि हर किसी को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक होना होगा। आपके शहर में वायु प्रदूषण का स्तर क्या है इसे पता कर इसके अनुसार लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना होगा। जिस प्रकार बुखार नापने के लिए थर्मामीटर की जरूरत होती है उसी प्रकार एक्यूआइ जानने के लिए वेबसाइट व एप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण जानने को समीर एप बन सकता है सहायक

डॉ. नीतीश डोगरा कहते हैं कि वायु प्रदूषण का पता लगाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का समीर एप है। इसे स्मार्ट फोन में डाउनलोड कर आप अपने शहर के वायु प्रदूषण का पता लगा सकते हैं। यदि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 400 से अधिक है तो उस दिन बाहर न निकलें। यदि एक्यूआइ 300 है तो गर्भवती महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को बाहर नहीं निकलना चाहिए। जिस दिन 100 से 200 के बीच एक्यूआइ हो उस दिन बाहर आराम से जा सकते हैं।

सभी विभागों व समाज का सहयोग जरूरी

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी कहते हैं कि वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता के लिए सभी विभागों व समाज का सहयोग जरूरी है। अकेले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसमें कुछ नहीं कर सकता है। लखनऊ की बात की जाए तो यहां के वायु प्रदूषण के लिए गाडिय़ों से निकलने वाला धुआं व निर्माण कार्य में उडऩे वाली धूल जिम्मेदार है। इस पर नियंत्रण के लिए लखनऊ के डीएम को विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे जा चुके हैं। इसी तरह अन्य शहरों के लिए भी किया गया है।  


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