लखनऊ में जमीन घोटाला मामला, वास्तविक पत्रावली गायब कर किया फर्जीवाड़ा; डीएम के आदेश पर एफआइआर दर्ज
राजस्व परिषद के चेयरमैन के निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल का जाल हर तरफ फैला है। उनके करीबी कानूनगो और तहसीलदारों ने करोड़ों की जमीनों का हेरफेर किया। जिलाधिकारी ने एडीएम प्रशासन को जांच के आदेश दिए। सामने आया कि वास्तविक पत्रावली गायब कर सारा फर्जीवाड़ा किया गया था।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राजस्व परिषद के चेयरमैन के निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल का जाल हर तरफ फैला हुआ है। डोबरियाल के करीबी कानूनगो और तहसीलदारों ने उसकी शह पर करोड़ों की जमीनों का हेरफेर किया। दैनिक जागरण ने अहिमामऊ में फर्जीवाड़ा कर 20 करोड़ की जमीन का हेरफेर करने की खबर प्रकाशित की। इसके बाद जिलाधिकारी ने एडीएम प्रशासन को जांच के आदेश दिए। जांच हुई तो सामने आया कि वास्तविक पत्रावली गायब कर सारा फर्जीवाड़ा किया गया था। दरअसल, सरोजनीनगर के तत्कालीन राजस्व कर्मियों ने फाइल आगे बढ़ाई ही नहीं थी। कर्मचारियों ने फाइल पर स्पष्ट लिखा था कि पट्टा पत्रावली स्वीकृत नहीं है, ऐसे में जमीन खतौनी में नही चढ़ाई जा सकती।
डोबरियाल के करीबी कानूनगो ने एक वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर साजिश रच डाली। कानूनगो ने तत्कालीन लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और नायाब तहसीलदार की ओर से दी गई रिपोर्ट को हटवा दिया है। इसके बाद दस्तावेज पर उनके जाली हस्ताक्षर करवाए हैं। कई माह तक फाइल दबाए रखी और फिर मौका पाते ही हेरफेर कर डोबरियाल के करीबी के नाम जमीन कर दी गई। फर्जीवाड़ा उजागर हुआ तो आनन फानन एफआइआर दर्ज की गई, लेकिन अज्ञात के खिलाफ। इस पूरे प्रकरण में कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
उठ रहे सवाल : अगर पत्रावली गायब कर हेरफेर किया गया है तो उसका कस्टोडियन कौन था और उसके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई हुई? आखिर इतने दिन तक अफसर मामले को क्यों दबाए रखे? वह कौन व्यक्ति है, जिसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने नियम को ताक पर रख दिया? डोबरियाल के कहने पर उसके करीबी कानूनगो ने आखिर किसके लिए अपने साथी कर्मचारियों को भी धोखा देने में संकोच नहीं किया? इस पूरे हेरफेर के पीछे मुंबई का वह कौन रसूखदार है, जिसका नाम सामने आ रहा है?
जांच की जद में कई अफसर व कर्मचारी : करोड़ों की जमीन के हेरफेर की जांच की आंच कई अफसर और कर्मचारियों तक पहुंचेगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार को डोबरियाल का उदाहरण देकर संकेत दिया था कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अफसर और कर्मचारी को नहीं बख्शा जाएगा। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद जमीन घोटाले में एफआइआर दर्ज कराई गई। इस प्रकरण की जांच में सरोजनीनगर तहसील के कर्मचारी और उनके पर्यवेक्षण में हीलाहवाली करने वाले अधिकारी जांच की जद में आएंगे। माना जा रहा है कि दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी।