कृषि विभाग ने लखनऊ के 21 हजार से अधिक किसानों को सूची से किया बेदखल, विकास की आंधी में उड़ा गए खेेेत
बिजली पानी उर्वरक और कीटनाशकों के दाम में आई बढ़ोतरी ने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी तो कर दी लेकिन फसल का दाम उतना नहीं मिल पाता जितना उसकी लागत आती है। आलम यह है कि किसान खेती से दूर होता जा रहा है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। विकास के नाम पर जहां हरियाली पर आरा चलाया जा रहा है वहीं, दो जून की रोटी का इंतजाम करने वाला किसान भी विकास की चकाचौंध में खोता जा रहा है। बिजली, पानी, उर्वरक और कीटनाशकों के दाम में आई बढ़ोतरी ने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी तो कर दी, लेकिन फसल का दाम उतना नहीं मिल पाता, जितना उसकी लागत आती है। आलम यह है कि किसान खेती से दूर होता जा रहा है। खेती से दूर होने के साथ वह विकास के नाम पर अपनी जमीन का सौदा करने को मजबूर है। चिनहट के राधेलाल की मल्हौर रोड पर 10 बीघे जमीन में गेहूं की खेती होती थी। उनका कहना है कि लागत के हिसाब से फसल का मूल्य नहीं मिल पाता था। खेत के आसपास विकास की आंधी चली तो मैंने भी अपनी जमीन का सौदा कर लिया। कृषि विभाग ने भी उन्हें किसानों की सूची से न केवल बाहर कर दिया, बल्कि किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं को भी बंद कर दिया। राजधानी के ऐसे 21,073 किसान खेती से दूर हुए तो विभाग ने उन्हें सूची से बाहर कर दिया।
तो कहां से आएगा अनाज
पान किसान यूनियन के महासचिव छोटेलाल चौरसिया का कहना है कि विकास के नाम पर खेती वाली जमीनों का सौदा हो रहा है। सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान खेती से दूर होंगे तो आने वाले समय में अनाज की कमी हो जाएगी। किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलेगा तो वह क्या करेगा? रियल स्टेट में मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रलोभन में आकर किसान अपनी जमीनों का सौदा कर रहा है। रही सहीं कसर आवासीय समितियों ने पूरी कर दी है। सरकार को कृषि भूमि के विकास पर रोक लगानी चाहिए।
राजधानी एक नजर
- कुल जमीन-2.24 लाख हेक्टेयर
- खेत वाली जमीन-एक लाख हेक्टेयर
- किसानों की संख्या-2,45676
- लघु किसान (एक हेक्टेयर से कम)-30,086
- सीमांत किसान (एक से दो हेक्टेयर)-1,82550
- बड़े किसान-2053
- क्रेडिट कार्ड धारक किसान-2.25 लाख
- सक्रिय क्रेडिट कार्ड धारक-1.62 लाख
'कृषि भूमि पर अब भवन निर्माण होने लगा है। विकास के साथ ग्रामीण इलाके नगर निगम की सीमा में आने लगे हैं। चिनहट ब्लॉक में अधिकतर इलाके विकसित हो गए हैं। राजधानी में 21,073 किसान अब नगर निगम की सीमा में आ गए हैं। ऐसे किसानों को कृषि लाभ से वंचित कर दिया गया है। - डॉ.सीपी श्रीवास्तव, उप कृषि निदेशक, लखनऊ मंडल