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यूपी रेरा के बाद अब राज्य सरकार भी अंसल पर सख्‍त

प्रमुख सचिव आवास ने एलडीए को दिए कार्रवाई के निर्देश। सूबे की सभी हाईटेक टाउनशिप का ब्योरा भी प्राधिकरणों से किया गया तलब।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 08:26 AM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 08:26 AM (IST)
यूपी रेरा के बाद अब राज्य सरकार भी अंसल पर सख्‍त
यूपी रेरा के बाद अब राज्य सरकार भी अंसल पर सख्‍त

लखनऊ, (जेएनएन)। अंसल प्रापर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ यूपी रेरा द्वारा कड़ा फैसला सुनाए जाने के साथ ही राज्य सरकार की भी उस पर नजर टेढ़ी हो गई है। सरकार ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को हाईटेक टाउनशिप नीति के तहत अंसल की जमीन को बंधक रखने, गरीबों के आवास बनाने और अनुबंध के मुताबिक ग्रीनबेल्ट की जमीन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने सूबे के अन्य हाईटेक टाउनशिप का ब्योरा भी विकास प्राधिकरणों से तलब किया है। 

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दरअसल, आवास एवं शहरी नियोजन राज्यमंत्री सुरेश पासी ने एपीआइ अंसल में गड़बडिय़ां पाए जाने पर टाउनशिप की जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। जांच के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने एलडीए को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। गोकर्ण ने बताया कि एलडीए से कहा गया है कि नीति के तहत अंसल टाउनशिप की जमीन को बंधक रखा जाए और 20 फीसद गरीबों के आवासों का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। विकास अनुबंध के मुताबिक ग्रीन बेल्ट को भी बनाए रखा जाए। विदित हो कि अंसल ने टाउनशिप के लिए अब तक  6465 एकड़ भूमि का डीपीआर सरकार से अनुमोदित कराया है लेकिन, 3362.29 एकड़ ही जमीन उसने अभी खरीदी है। प्रमुख सचिव ने बताया कि अंसल एपीआइ पर रेरा के फैसले का अनुपालन पूरी तरह से किया जाएगा।

गोकर्ण ने बताया कि नीति का उल्लंघन कर होम बायर्स के उत्पीडऩ की शिकायतों पर प्रदेश के अन्य हाईटेक टाउनशिप के बारे में भी विकास प्राधिकरणों से ब्योरा मांगा गया है। ब्योरा आने के बाद होम बायर्स और किसानों के हित का ख्याल रखते हुए सरकार फैसला करेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में बनी नीति के तहत आठ महानगरों में 13 हाईटेक टाउनशिप को सरकार ने मंजूरी दे रखी है। इनके अनुमोदित डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के मुताबिक, अब तक न 35481.46 एकड़ जमीन जुटाई जा सकी है और न ही अपेक्षानुसार भवन-भूखंड बने हैं। गौर करने की बात यह है कि सात के विकासकर्ताओं ने तो लाइसेंस लेने के बाद टाउनशिप के लिए कुछ किया ही नहीं। 


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