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Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : फैसले के बाद कांग्रेस-बसपा ने पकड़ी संयम व अनुशासन की लकीर, संशय में घिरी सपा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबे समय तक चले न्यायिक विमर्श का निचोड़ है लेकिन यूपी की राजनीति पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 05:51 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 07:15 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : फैसले के बाद कांग्रेस-बसपा ने पकड़ी संयम व अनुशासन की लकीर, संशय में घिरी सपा
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : फैसले के बाद कांग्रेस-बसपा ने पकड़ी संयम व अनुशासन की लकीर, संशय में घिरी सपा

लखनऊ, जेएनएन। बेशक, रामलला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबे समय तक चले न्यायिक विमर्श का निचोड़ है, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सत्ताधारी भाजपा के लिए राम मंदिर निर्माण का फैसला अपने एक आंदोलन के सफल होने जैसा है तो राम के 'राजतिलक' में विपक्ष के हालात 'अग्निपरीक्षा' जैसे हैं। फैसले के बाद कांग्रेस और बसपा ने जहां संयम और अनुशासन की लकीर पर बढ़ना बेहतर समझा वहीं, संशय में फंसी सपा शाम तक वोटों का नफा-नुकसान तौलती रही।

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उत्तर प्रदेश के 18-19 फीसद अल्पसंख्यकों के वोट पाने की होड़ सपा, बसपा और कांग्रेस में कभी कम नहीं हुई। 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे से एकमुश्त मत यूपी में समेटे जा रही है, लेकिन विपक्षी दलों की मजबूरी है कि उनका वोटों का समीकरण अल्पसंख्यकों से ही पूरा होता है। लिहाजा, इंतजार था कि यदि फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया तो विपक्ष की प्रतिक्रिया क्या होगी। अनुच्छेद 370 पर भटकाव से फजीहत करा चुकी कांग्रेस पहले से सतर्क थी। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू शनिवार सुबह ही प्रदेश मुख्यालय में आ जमे। फैसले के बाद भी मुख्यालय में जमघट शांत था। कांग्रेस कार्यसमिति की दिल्ली का इंतजार किया गया। वहां से जारी बयान पर आधारित पक्ष प्रदेश और जिलों के लिए तैयार किया गया।

वहीं, हाल ही में उपचुनाव में मुस्लिम मतों को सपा की ओर खिसकते देख चुकीं बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ की सियासत पर नजर जमाए हुए फैसले को अपने प्रणेता डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान से जोड़कर सधी प्रतिक्रिया दे दी, लेकिन अयोध्या मामले से ही मुस्लिम मतों की बड़ी साझेदार बनी सपा फैसले पर खामोशी ओढ़े रही। फिर शाम को मंदिर-मस्जिद जिक्र किए बिना अखिलेश ने ट्वीट किया- 'जो फैसले फासलों को घटाते हैं, वो इंसां को बेहतर इंसां बनाते हैं।' फिर तटस्थ भाव में बयान जारी किया।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान जारी कर कहा कि 'वास्तव में इस निर्णय को हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और रूल ऑफ लॉ तथा प्रजातंत्र को सुदृढ़ करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। चूंकि पक्षकार निर्णय के बारे में पहले से कहते रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय जो भी होगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। अत: हम यह आशा करते हैं कि देश के सभी लोग शांतिपूर्ण वातावरण, सौहार्द बनाए रखेंगे।'

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा कि 'परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के धर्मनिरपेक्ष संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संबंध में आम सहमति से फैसला दिया गया है। ऐतिहासिक फैसले का सभी को सम्मान करते हुए अब इस पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही आगे का काम होना चाहिए। ऐसी अपील व सलाह है।' वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस सम्मान करती है। फैसले को किसी की जय और पराजय से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। हमारी उम्मीद है कि फैसला फासले को मिटाएगा। यही हमारी कोशिश भी होनी चाहिए। प्रदेश की जनता से अनुरोध है कि संविधान की मूल भावना पर आस्था व्यक्त करते हुए अमन-चैन कायम रखें।'


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