Power Sector Employees Trust Fund घोटाला के बाद जागी सरकार, अब EPFO को सौंपा जाएगा भविष्य निधि का प्रबंधन
भविष्य निधि का प्रबंधन भी अब ईपीएफओ को सौंपा जाएगा। पीएफ के पैसे फंसने की भनक लगने पर शनिवार को कर्मचारी संगठनों ने कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया।
लखनऊ, जेएनएन। जीपीएफ व सीपीएफ के 2267.90 करोड़ रुपये फंसने से बेचैन बिजलीकर्मियों की नाराजगी को देखते हुए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सरकार किसी का अहित नहीं होने देगी। पावर कारपोरेशन सभी कर्मियों के भविष्य निधि का समय से भुगतान करेगी। भविष्य निधि का प्रबंधन भी अब ईपीएफओ को सौंपा जाएगा।
दरअसल, पीएफ के पैसे फंसने की भनक लगने पर शनिवार को कर्मचारी संगठनों ने कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया। उत्तर प्रदेश पावर ऑफीसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की अध्यक्षता में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव राजीव कुमार सिंह ने भी पावर कारपोरेशन प्रबंधन से भुगतान की गारंटी मांगी।
ऊर्जा मंत्री ने पावर कारपोरेशन की ओर से कार्मिकों को भुगतान के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने ट्वीट भी किया कि पावर कारपोरेशन के सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैैं, सरकार सुनिश्चित करेगी कि किसी का अहित न होने पाए। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने बताया कि फिर ऐसा न होने पाए इसके लिए भविष्य निधि की राशि के बेहतर प्रबंधन व सुरक्षा के लिए ट्रस्ट की जगह अब इंप्लाइज प्राविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन को जिम्मा सौंपने का निर्णय किया गया है। उन्होंने बताया कि निजी कंपनी के पास बची रकम को वापस लाने के लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। कुमार के मुताबिक निवेश में अनियमितताओं पर ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव व महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को 10 अक्टूबर को ही निलंबित कर दिया गया था। वह इन दिनों आगरा के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (लेखा एवं सम्प्रेक्षा) के पद पर कार्यरत थे।
ऐसे खुला मामला
10 जुलाई को एक गुमनाम शिकायत आने पर कारपोरेशन अध्यक्ष ने 12 जुलाई को जांच समिति गठित की थी। 29 अगस्त को आई जांच रिपोर्ट में पता चला कि बड़े पैमाने पर अनियमितता करते हुए ट्रस्ट ने 99 फीसद से अधिक निधि का निवेश केवल तीन हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में कर रखा था, जिसमें 65 फीसद से अधिक हिस्सा दीवान हाउसिंग फाइनेंस में था। खास बात यह कि गैर सरकारी कंपनी में निवेश करने के संबंध में तत्कालीन निदेशक वित्त व सचिव ट्रस्ट ने अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का अनुमोदन नहीं लिया जबकि पूर्व में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने पीएनबी हाउसिंग में निवेश करने का फैसला किया था। नियमों के तहत प्रतिभूति में निवेश किया जाना था लेकिन, भविष्य निधि की रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा दी गई। जांच के लिए यह मामला पावर कारपोरेशन के सतर्कता विंग को एक अक्टूबर को सौंपा गया था।
तीन कंपनियों में बंटा था विद्युत परिषद
14 जनवरी 2000 को उप्र राज्य विद्युत परिषद को तीन कंपनियों पॉवर कार्पोरेशन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम और जल विद्युत निगम लिमिटेड में बांटा गया था। इन कर्मचारियों के जीपीएफ, पेंशनरी अंशदान और ग्रेच्युटी अंशदान के रख रखाव के लिए यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर इंप्लाइज ट्रस्ट का गठन किया गया था। इसके बाद वर्ष 2006 में पॉवर कार्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट का गठन हुआ।
तीन साल तक निवेश का था निर्णय
कर्मचारियों के भविष्य निधि की राशि का विनियोजन करने का जिम्मा ट्रस्ट के सचिव और वित्त निदेशक का था। वर्ष 2013 में बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की ओर से निर्णय लिया गया कि सामान्य भविष्य निधि की राशि सरकारी बैंकों की सावधि जमा में एक से तीन साल के लिए ही निवेश किया जाएगा। दिसंबर 2016 में ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता, वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और प्रबंध निदेशक एपी मिश्र के अनुमोदन पर धनराशि को पीएनबी हाउसिंग की सावधि जमा में निवेश शुरू किया गया था। अक्टूबर 2016 तक दोनों ट्रस्टों के भविष्य निधि की धनराशि को सरकारी बैंकों में निवेश किया गया। हालांकि, 2017 में अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक के संज्ञान में लाए बिना प्रवीण व सुधांशु ने डीएचएफसीएल में निवेश करना शुरू कर दिया।
प्रियंका ने भी उठाया था सवाल
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक दिन पूर्व ट्वीट कर पावर कारपोरेशन में हुए घोटाले पर सवाल उठाया था। प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में कहा है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य के पावर कारपोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा डीएचएफएल जैसी डिफाल्टर कंपनी में फंसा दिया है। किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की 2000 करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह की कंपनी में लगा दी गई। कर्मचारियों के भविष्य से ये खिलवाड़ जायज है।