मस्जिदों में नमाज के बाद दिलाया जा रहा बेटियां बचाने का संकल्प
कन्या भ्रूण-हत्या जैसी क्रूरता के खिलाफ मुस्लिमों समेत समाज के सभी तबकों को जगाने की पहल एक धर्म गुरू ने की है।
सीतापुर [राजीव गुप्ता] । कन्या भ्रूण-हत्या जैसी क्रूरता के खिलाफ मुस्लिमों समेत समाज के सभी तबकों को जगाने की पहल एक धर्म गुरू ने की है। सरकारी और गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी बेटियों की संख्या में आ रही भारी कमी से चिंतित मौलाना जावेद इकबाल नदवी ने खुदा की इबादत के साथ सामाजिक सरोकार को बड़ी तरजीह देते हुए गर्भ में पलने वाली बेटियों को बचाने की असरदार मुहिम छेड़ दी है।
बिसवां कस्बे की ईदगाह के इमाम मौलाना जावेद इकबाल नदवी ईदगाह की मस्जिद और कस्बे की कमाल शाह मरकज की मस्जिद में नियमित रूप से नमाज पढ़ाते हैं। नमाज के बाद हर रोज नमाजियों को भ्रूण हत्या को पाप करार देते हुए गर्भ में पलने वाली बेटियों को बचाने की पुरजोर अपील करते हैं। रमजान के इस पाक माह में अपनी तकरीरों के दौरान भी लोगों को भ्रूण हत्या न करने की सलाह ही नहीं दे रहे, सामूहिक संकल्प भी दिला रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने वाला व्यक्ति सच्चा मुसलमान हो ही नहीं सकता।
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मौलाना ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या करने वाले लोग मुसलमान कैसे हो सकते हैं। कोई भी धर्म इस घृणित काम की इजाजत नहीं देता। गर्भ में पलने वाली बेटियों की हत्या के बारे में तो सोचना भी गुनाह है। विज्ञान की तरक्की के साथ सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा के तरीकों में भी चिंताजनक प्रगति हुई है। जो लोग दहेज लेते हैं वह दो तरह के पाप कर रहे हैं। एक तो दहेज लेना पाप है ही दूसरे दहेज जैसी कुप्रथा के बढऩे से लोग कन्या भ्रूण हत्या पर विवश हो रहे हैं।
भ्रूण हत्या इस्लाम में हराम : दारुल उलूम
देवबंद: सीतापुर में भ्रूण हत्या रोकने को मस्जिदों में नमाज के बाद सामूहिक संकल्प दिलाने की प्रशंसा करते हुए देवबंदी उलमा ने फिर दोहराया है कि भ्रूण हत्या हराम है। इदारे से इस पर काफी पहले फतवा दिया जा चुका है। मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी के हवाले से प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा कि भ्रूण हत्या महापाप है। इसे रोकने को जागृति पैदा करना बेहद जरूरी है। शरीयत में भ्रूण हत्या, चाहे वह भ्रूण लड़के का हो या लड़की का, पूरी तरह हराम है। इस्लाम में बेटियों का दर्जा बुलंद रखा गया है।
जहमत नहीं रहमत है
बरेली : दरगाह आला हजरत के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी कहा कि इस्लाम में भू्रण हत्या नाजायज-हराम है। इसका विरोध किया गया है। पैंगबरे इस्लाम ने नबुबत का ऐलान फरमाया। उस वक्त अरब में कन्या भू्रण हत्या का रिवाज था। किसी के घर लड़की पैदा होने पर उस घर को मनहूस समझा जाता था। लड़कियों को जिंदा तक दफना देते थे। पैगंबरे इस्लाम ने विरोध कर इसका खात्मा किया। पैगंबरे इस्लाम ने कहा कि जिसे जहमत समझ रहे हो, वह रहमत है। जिस घर में लड़की पैदा होती है, वहां अल्लाह रहमत के फरिश्ते भेजता है। अगर फिर भी कोई भू्रण हत्या करता है तो उसके खिलाफ कड़ी सजा का हुक्म है।
यह हैं बाल लिंगानुपात -
वर्ष 2001 -- वर्ष 2011 - (एक दशक में गिरावट)
भारत --- 927 --- 919 --- (-8)
उ.प्र. --- 916 --- 902 --- (-14)
सीतापुर - 936 --- 930 --- (-6)
नोट - आंकड़े प्रति हजार में हैं।