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पांच साल बाद 'पहल' को पहल का इंतजार

दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए 2013 में बनी थी सेल, काउंसलिंग व कार्रवाई से लेकर पीड़िता को इलाज तक मुहैया कराती थी सेल

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Apr 2018 01:39 PM (IST)Updated: Sun, 15 Apr 2018 01:39 PM (IST)
पांच साल बाद 'पहल' को पहल का इंतजार
पांच साल बाद 'पहल' को पहल का इंतजार

लखनऊ (शोभित मिश्र)। उन्नाव कांड के बाद पांच वर्ष पूर्व दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए बनाई गई 'पहल सेल' की एक बार फिर दरकार है। इस सेल के माध्यम से पीड़ित महिला की एफआइआर, काउंसलिंग व कार्रवाई से लेकर उसे इलाज मुहैया कराने में मदद की जाती थी। आरोपित पक्ष अगर दुष्कर्म पीड़िताओं व उनके परिवार पर दबाव बनाते थे तो उनपर भी एफआइआर दर्जकर उन्हें जेल भेजा जाता था। इस सेल का ऐसा भय था कि दुष्कर्म के मामलों में तेजी से गिरावट आ गई थी।

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सेल के लिए बकायदा महिला पुलिस, चिकित्सक, लॉ स्टूडेंट के साथ तमाम स्वयं सेवी संस्थाओं के एक्सपर्ट काम करते थे। जनवरी 2013 में तत्कालीन एसएसपी जे. रविंदर गौड़ ने 'पहल सेल' की शुरुआत की थी। वर्ष 2014 में रविंदर गौड़ के हटने के बाद पहल सेल सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई। उन्नाव कांड के बाद स्वयं सेवी संस्थाएं दोबारा पहल सेल को चालू करने की मांग कर रही हैं। 'हम' संस्था की सचिव डॉ संगीता शर्मा ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही एसएसपी दीपक कुमार से मिलेंगे। पहल सेल की तत्कालीन नोडल ऑफीसर डिप्टी एसपी बबिता सिंह इन दिनों वूमेन पावर लाइन (1090) में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल 'पहल सेल' चली थी। इस दौरान 123 दुष्कर्म पीड़िताओं की काउंसलिंग, कार्रवाई से लेकर उन्हें इलाज मुहैया कराया गया था।

ऐसे काम करती थी सेल

पहल सेल में केजीएमयू के वरिष्ठ चिकित्सकों का सात सदस्यीय पैनल, हम, हफसफर समेत अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं, राममनोहर लोहिया, लॉ एमिटी कॉलेज के लॉ स्टूडेंट, महिला पुलिस, काउंसलर की पूरी टीम होती थी। सेल के सदस्य पीड़िता को मेडिकल, इलाज, एफआइआर, काउंसलिंग, कार्रवाई, आरोपित की गिरफ्तारी से लेकर कोर्ट में केस चलने तक मदद करते थे।

पूरा थाना सस्पेंड करने की चेतावनी देते ही दुष्कर्म का आरोपित गिरफ्तार

हम संस्था की सचिव व तत्कालीन पहल संस्था की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा बतातीं हैं कि 2013 में इंदिरानगर में एक किशोरी से दुष्कर्म हुआ था, थाने की पुलिस आरोपित को गिरफ्तार नहीं कर रही थी, जिसपर उन्होंने तत्कालीन एसएसपी जे रविंदर गौड़ से शिकायत की। एसएसपी ने इंदिरानगर थानेदार से फोन पर कहा कि तीन दिन के अंदर आरोपित को गिरफ्तार करो नहीं तो तुम्हारे साथ पूरे थाने को सस्पेंड कर दूंगा। इसके बाद आरोपित गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

70 प्रतिशत घटनाएं नाबालिगों के साथ हुई

डॉ. संगीता शर्मा बताती हैं कि पहल सेल ने एसएसपी जे रविंदर गौड़ के कार्यकाल से पहले हुए दुष्कर्म पीड़िताओं की भी मदद की थी। उन दिनों करीब 70 प्रतिशत घटनाएं नाबालिगों के साथ की हुई थीं।


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