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आजम खां के बाद अखिलेश यादव सरकार में DGP रहे जगमोहन यादव के खिलाफ जमीन कब्जा करने का केस

पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के साथ सहित 60 लोगों के खिलाफ लखनऊ के गोसाईंगज थाना में मुकदमा दर्ज किया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 01:06 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 10:42 AM (IST)
आजम खां के बाद अखिलेश यादव सरकार में DGP रहे जगमोहन यादव के खिलाफ जमीन कब्जा करने का केस
आजम खां के बाद अखिलेश यादव सरकार में DGP रहे जगमोहन यादव के खिलाफ जमीन कब्जा करने का केस

लखनऊ, जेएनएन। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां के बाद अब उनके खास माने जाने वाले आइपीएस अधिकारी जमीन कब्जा करने के मामले में फंसे हैं। अखिलेश यादव सरकार में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे जगमोहन यादव के खिलाफ जमीन कब्जा करने के मामले में केस दर्ज किया गया है।

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उन पर जमीन कब्जाने और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम सिंह यादव के बेटे विजय सिंह की तरफ से यह एफआईआर दर्ज करवाई गई है। पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के साथ सहित 60 लोगों के खिलाफ लखनऊ के गोसाईंगज थाना में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ लखनऊ में शहीद पथ पर हरिहरपुर गांव के पास करीब तीन बीघा जमीन की कब्जेदारी का मामला दर्ज किया गया है।

करीब दो वर्ष से अधिक समय से इस जमीन को लेकर बवाल चल रहा है। इससे पहले आवास विकास परिषद ने भी पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के खिलाफ इस जमीन पर अवैध कब्जा करने को लेकर केस दर्ज कराया था। जगमोहन यादव पर पहले भी जमीन कब्जाने का आरोप लग चुका है। 2017 में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के आदेश पर भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उस वक्त उनके ऊपर गोसाईंगंज के आवास विकास की जमीन कब्जाने का आरोप लगा था।

मंगलवार को लखनऊ में शहीद पथ से सटे मुजफ्फर नगर घुसवल में साढ़े तीन बीघा जमीन को लेकर पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम सिंह यादव के बेटे विजय कुमार में विवाद हो गया था। इस जमीन पर कब्जा करने पहुंचे पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव का विजय यादव ने विरोध किया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। असलहों से लैस होकर दोनों पक्ष के लोग आमने सामने आ गए थे। पुलिस मौके पर किसी व्यक्ति की ओर से असलहा ले आने की बात से इंकार कर रही है। पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव ने बिन्नी इंफ्राटेक के नाम से जमीन खरीद रखी थी। वहीं पर पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और पूर्व मंत्री बलराम यादव के बेटे विजय कुमार सिंह ने भी जमीन ली है। काफी समय से पूर्व मंत्रियों और पूर्व डीजीपी के बीच जमीन की पैमाइश को लेकर विवाद चल रहा था।

दो दिन पहले डीजीपी अपने कुछ लोगों के साथ गोसाईंगंज में जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे थे। जिसके बाद यह विवाद बढ़ा। पूरा विवाद जमीन की बाउंड्री को लेकर है। विजय सिंह यादव का कहना है कि उस जमीन पर उसका कब्ज़ा है। हालांकि मामले में डीजीपी की तरफ से भी कुछ कागजात पेश किए गए, लेकिन जांच में पता चला कि डीजीपी रहते जगमोहन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कागजात बनवा लिए थे।

मंगलवार को जगमोहन यादव जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे। इसी बीच विजय कुमार सिंह की तरफ से कुछ लोग वहां पहुंच गए और आपत्ति जताई। इसके बाद वहां तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। बड़ी संख्या में पुलिस बल बुला ली गई। विजय सिंह की तरफ से अधिवक्ता केपी तिवारी ने बताया कि हरिहरपुर ग्राम सभा की करीब तीन बीघा जमीन ली गई थी, जिसकी पैमाइश का विवाद चल रहा है।

विजय की तरफ से आदर्श पांडेय के विरोध जताने पर भी पूर्व डीजीपी जगमोहन ने काम बंद नहीं कराया। इसके बाद एएसपी विधानसभा राजेश श्रीवास्तव, सीओ गोमतीनगर अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव वहां पहुंचे। दोनों पक्षों में समझौता नहीं होने पर एसडीएम सरोजनीनगर चंदन पटेल को बुलाया गया, जिसके बाद वहां पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव ने काम बंद करवा दिया। जगमोहन यादव के मुताबिक मुझे राजस्व विभाग ने जमीन की पैमाइश करके दिया है। मुझे बीते आठ वर्ष से परेशान किया जा रहा है। मैं अपनी जमीन पर कब्जा लेने आया था। वहीं एसडीएम ने बताया कि आठ अगस्त को पैमाइश की तिथि तय कर दोनों पक्षों को बुलाया गया है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव को मंगलवार को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा, जब वह जेसीबी लेकर जमीन कब्जाने जा रहे थे। ग्रामीणों ने वकीलों के साथ एकजुट होकर उनका विरोध किया तो वह वहां से भागने के लिए मजबूर हो गए। 

करोड़ों की जमीन 

जानकारी के मुताबिक शहीद पथ के पास हरिहरपुर ग्राम पंचायत के मजरा हसियामऊ के पास करोड़ों  की जमीन को लेकर पूर्व मंत्री बलराम यादव के बेटे विजय यादव और पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव में तनातनी चल रही है। दोनों पक्षों का दावा है कि ये जमीन उनकी है। इसी जमीन पर कब्जे के लिए पूर्व डीजीपी कई लोगों के साथ पहुंचे। असलहाधारी दोनों पक्ष से थे। दूसरे पक्ष के लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो सैकड़ों की संख्या में वह वहां पर जुट गए और सभी अपने करीबियों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद वहां पर वकील भी जुट गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह का रुकवा स्थिति संभाली। स्थानीय लोगों ने पूर्व डीजीपी पर आरोप लगाया कि वह अपने रूतबे और पुलिस की मदद से जबरन कब्जा करना चाहते हैं। जगमोहन यादव का कहना है कि उनके पास जमीन के सभी कागजात हैं। जिला प्रशासन दस्तावेज चेक करवा सकता है।

राजस्व विभाग की हीलाहवाली

लखनऊ में शहीद पथ पर विवादित भूमि में राजस्व विभाग की पूरी मिलीभगत है। आवास विकास परिषद की सुल्तानपुर रोड़ योजना में जमीन के अधिग्रहण का नोटिफिकेशन हो चुका है। इसके बाद भी राजस्व विभाग बिना आवास विकास परिषद की अनुमति के धारा 24 के अंतर्गत पैमाइश कर रहा है। वही राजस्व विभाग के अधिकारी विवादित जमीन के आस पास अवैध कब्जे में सरकारी भूमि का ना तो चिन्हीकरण कर रहा है और ना ही सरकारी जमीनों को खाली करा रहा हैं। मुजफ्फरनगर घुसवल की गाटा संख्या चार की इस भूमि के एक तरफ सांसद जगदंबिका पाल की जमीन है। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की खरीदी हुई जमीन है।

पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव जिस भूमि को अपनी बता रहे है उसके बारे में उनका दावा है कि दस वर्ष पहले अंसल एपीआई से खरीदा था। अंसल के जमीन खाली कराने के दौरान मौके पर गोली चल गई थी। जिसके बाद अंसल ने यह जमीन तत्कालीन पुलिस अधिकारी जगमोहन यादव को बेच दी। तबसे जगमोहन यादव जमीन खाली कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 

पूर्व डीजीपी ने दर्ज कराया था फर्जी मुकदमा

पूर्व मंत्री बलराम यादव के बेटे विजय सिंह का आरोप है कि पहले पूर्व डीजीपी ने हरिहरपुर गांव में रहने वाले राजकुमार यादव नामक व्यक्ति की मदद से उन पर सस्ते में जमीन बेचने का दबाव बनाया था। जब जमीन सस्ते में नहीं बेची तो वर्ष 2012 में फर्जी जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज करा दिया था।विजय सिंह के मुताबिक वह थाने से लेकर पुलिस अधिकारियों तक के चक्कर काटते रहे पर उनकी सुनावई नहीं हुई, क्योंकि जहां कहीं भी जाते तो पूर्व डीजीपी के दबाव के कारण कोई भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा था। विजय ने बताया कि पूर्व डीजीपी ने जिस दिन की घटना का जिक्र किया था उस दिन वह विदेश में थे। विजय के मुताबिक इस बाबत पुलिस के आलाधिकारियों से न्याय की गुहार की और मानवाधिकार आयोग में शिकायत की। विजय का आरोप है कि मानवाधिकार आयोग ने भी पूर्व डीजीपी के खिलाफ सीबीआइ जांच के लिए गृह विभाग को आदेश दिया था।

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