डीजीपी को लेकर असमंजस में राज्य सरकार, 18 दिन बाद भी पुलिस मुखिया का पद खाली
प्रमुख सचिव, गृह अरविंद कुमार भी केवल इतना कहते हैं कि अभी ओपी सिंह को मुक्त किए जाने की कोई सूचना उत्तर प्रदेश को नहीं मिली है।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश पुलिस का मुखिया घोषित किए जाने के 17 दिन बाद भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात ओपी सिंह अब तक अपना पदभार ग्रहण नहीं कर सके हैं। एक ओर पुलिस महकमा अपने महानिदेशक का इन्तजार कर रहा है तो दूसरी ओर ओपी सिंह को केंद्र सरकार द्वारा मुक्त न किए जाने से राज्य सरकार पसोपेश में है। माना जा रहा है कि इन्तजार बढऩे के साथ ही ओपी सिंह के रिलीव होने की संभावनाएं कम हो गई हैं। डीजीपी के लिए कुछ नए नामों पर विचार किए जाने की चर्चाएं जरूर हैं, लेकिन इस विषय पर जिम्मेदार कुछ भी सटीक कहने से कतरा रहे हैं। प्रमुख सचिव, गृह अरविंद कुमार भी केवल इतना कहते हैं कि अभी ओपी सिंह को मुक्त किए जाने की कोई सूचना उत्तर प्रदेश को नहीं मिली है। एक प्रेसवार्ता में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ओपी सिंह को डीजीपी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। केंद्र में उन्हें रिलीव करने की प्रक्रिया चल रही है।
केंद्र सरकार की मंशा साफ होने तक किसी नए फैसले की संभावना नजर नहीं आ रही। जब तक केंद्र सरकार ओपी सिंह को मुक्त न कर दे अथवा उन्हें रिलीव करने से इन्कार न कर दे, तब तक राज्य सरकार द्वारा किसी नए नाम पर विचार की स्थिति नहीं बन रही है। चूंकि राज्य सरकार ने 30 दिसंबर को ओपी सिंह को डीजीपी बनाने का प्रस्ताव सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया था, इसलिए जब तक प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक किसी और प्रस्ताव की उम्मीद भी नहीं बन रही। सच कहें तो पूरा मामला इसीलिए उलझा हुआ है।
राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के सेवानिवृत्त होने पर 1983 बैच के आइपीएस अधिकारी ओपी सिंह को नया डीजीपी बनाने की घोषणा की थी। ओपी सिंह वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर डीजी सीआइएसएफ हैं। उनके नाम की घोषणा के बाद माना जा रहा था कि केंद्र सरकार जल्द उन्हें रिलीव कर देगी क्योंकि राज्य व केंद्र में एक ही दल की सरकारें हैं लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। ओपी सिंह के डीजीपी का पदभार ग्रहण करने की तारीखें बढ़ती रहीं और इसके साथ ही तरह-तरह की चर्चाएं भी। राजनीतिक से लेकर तकनीकी कारणों को लेकर अटकलें लगती रहीं।
इस बीच केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कई अधिकारियों को विभिन्न राज्यों के लिए मुक्त भी किया गया परंतु ओपी सिंह की बारी नहीं आई। इधर, पिछले दो दिनों में डीजीपी को लेकर चर्चाएं और तेज हो गईं। प्रशासनिक अमले से लेकर डीजीपी मुख्यालय तक सभी की जुबान पर एक ही सवाल था कि आखिर ओपी सिंह को अब तक रिलीव क्यों नहीं किया गया। उनकी फाइल कहां अटकी है। पूरा मामला अब जब राज्य सरकार के गले की फांस बन चुका है, तब डीजीपी के लिए कुछ नए नामों पर विचार-मंथन की बातें उठ रहीं हैं। यह पहला मौका है, जब प्रदेश में एक पखवारे से अधिक समय गुजरने के बाद भी डीजीपी की कुर्सी खाली है।
ओपी सिंह का वायरल हुआ था गाना
डीजीपी घोषित किए जाने के अगले ही दिन ओपी सिंह द्वारा गाए एक गीत का वीडियो वायरल हो गया। यह किसी समारोह का था। इ स वीडियो के वायरल होते ही जहां एक तरफ ओपी सिंह के मुकेश के अंदाज में गायन शैली की सराहना हुई वहीं कानून-व्यवस्था के लिए सख्त मिजाजी का सवाल भी उठा। इस वीडियो ने विरोधियों को तंज कसने और ऊपर तक शिकायत पहुंचाने का भी मौका दिया। सूत्रों का कहना है कि बात तो इस हद तक बढ़ गई कि प्रधानमंत्री ने गत दिनों मध्यप्रदेश में सभी पुलिस मुखियाओं के सम्मेलन में ओपी सिंह से कहा था कि आप तो सोशल मीडिया पर छा जाते हैं।
गेस्ट हाऊस कांड भी ताजा
जून 1995 में स्टेट गेस्ट हाऊस कांड की घटना भी ताजा हो गयी। तब ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे जब सपा-बसपा की गठबंधन की सरकार में दरार पड़ गई थी। उस दिन बसपा प्रमुख मायावती के साथ दुव्र्यवहार हुआ था। मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद ओपी सिंह को निलंबित कर दिया गया था। भाजपा इस समय दलितों को लुभाने में लगी है। कुछ प्रमुख नेताओं ने अंदरखाने यह बात भी उठाई कि कहीं ओपी सिंह की तैनाती से दलितों में नाराजगी न बढ़े।
मुलायम परिवार का करीबी होने का भी लगा आरोप
समाजवादी सरकार में ओपी सिंह महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक से उनकी करीबी जगजाहिर रही है। ऐसे में उन पर भाजपा से जड़े कुछ लोगों ने ऊपर तक यह बात पहुंचाने में कोताही नहीं बरती।
शिकायतों भी बनी वजह
चर्चाओं में यह बात गर्म है कि केंद्र तक पहुंची शिकायतों ने ही ओपी सिंह की राह में रोड़े अटका दिए। वरना शुरू में यह बात भी चल रही थी कि खरमास खत्म होते ही वह आ जाएंगे। पर 13 जनवरी को जब केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने 20 अधिकारियों को अवमुक्त करने संबंधी आदेश जारी किये तभी यह साफ हो गया था कि ओपी सिंह को अब मौका नहीं मिल सकता। फिर भी स्थिति साफ न होने से उम्मीद बनी रही।