LockDown 4 Lucknow News : प्रशासनिक फरमान उद्यमियों को कर रहे परेशान, उद्यमी बोले- राहत चाहिए, उत्पीड़न नहीं
LockDown 4 Lucknow News आदेशों को जटिल व अव्यवहारिक मान रहे उद्यमी। उद्योग शुरू होने में आ रही कठिनाइयां ।
लखनऊ, जेएनएन। LockDown 4 Lucknow News : लॉकडाउन के बीच जिला प्रशासन ने शर्तों के साथ बाजार खोलने की तैयारी कर ली है, लेकिन बाजार के साथ कदमताल करने की चुनौती उद्योग जगत के सामने बरकरार है। कामगारों की किल्लत के साथ तमाम प्रशासनिक अड़ंगे हैं, जो उद्योग जगत के पहिए में ब्रेक का काम कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल इस बात का है कि क्या औद्योगिक इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से चल पाएंगी और यहां तैयार होने वाले माल की डिमांड बाजार में कितनी होगी। इसके अलावा मास्क, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजर जैसी शर्तें पूरी भी कर ली जाएं तो कामगारों की जांच जैसी समस्या भी उद्यमियों के सामने हैं। यह ऐसी समस्या है, जो व्यवहारिक तौर पर आसान नहीं हैं। ऐसे में तमाम उद्यमियों ने औद्योगिक इकाइयों को शुरू करने से हाथ खड़े कर रखे हैं।
उद्योग शुरू होने में ये आ रही कठिनाइयां
- बाजार बंद है, ऐसे में उत्पादन का कोई लाभ नहीं, क्योंकि जब बाज़ार ही बंद है तो माल कंहा खपेगा।
- डीलर, दुकानदार में कोरोना संक्रमण का खतरा है।
जटिल प्रशासनिक आदेश जैसे
- कामगारों को काम पर लेने से पहले उनका कोरोना संक्रमण की जांच कराना।
- आदेश में अव्यवहारिक शर्तों का होना। जैसे इंडस्ट्रलिस्ट द्वारा ही कामगारों की कोरोना जांच कराना।
- जांच के खर्चे को प्रसाशन द्वारा न उठाया जाना।
- रोजाना सैनिटाइजेशन के लिए सैनिटाइजर खरीद की व्यवस्था का सुनिश्चित न कराया जाना।
- सभी कर्मचारियों को मास्क मुहैया कराना।
- शारीरिक दूरी के मानक को बनाए रखने के लिए मशीनरी उपकरण की शिफ्टिंग आदि में समय और खर्च लगना।
- ट्रांसपोर्टेशन का सुगम न होना।
- जिलों की सीमाओं निर्बाध आवागमन न होना।
- नियमित कामगारों (मजदूरों) का पलायन कर जाना।
- जिलाधिकारियों के बीच आपसी समन्यव न होने से व्यवस्थाओं में समानता न होना।
उद्यमी वरुण तिवारी के मुताबिक, औद्योगिक इकाइयों के संचालन के लिए जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई गाइडलाइन उद्यमियों को प्रताड़ित करने वाली न होकर सहूलियत भरी होनी चाहिए। गाइडलाइंस में अव्यवहारिक शर्ते न हों। शर्तो में जटिलताएं न हों।ताकि उद्यमी भी साहस महसूस कर सकें, और इकाइयों का संचालन किया जा सके।
आइआइए लखनऊ चैप्टर चैयरमेन अवधेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि हम जिला प्रशासन से लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि हमारी समस्या को समझा जाए। सरकार से भी हमने बिजली के बिल/ सरकारी विभागों में फंसे भुगतान आदि को जल्द कराए जाने की मांग की थी, मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। उद्योग ही अर्थव्यवस्था का आधार है।