'नैतिकता गिरती है तो अपराध बढ़ते हैं, सिर्फ पुलिस ही जिम्मेदार नहीं समाज की सहभागिता जरूरी'
दैनिक जागरण कार्यालय में दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे विराम विषय पर चर्चा। एडीजी जोन एसएन साबत बोले आंकड़ों से नहीं मापा जा सकता अपराध बढ़ोतरी का पैमाना।
लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। नैतिक गिरावट से महिला अपराध में बढ़ोतरी होती है। दुष्कर्म की घटनाओं पर नकेल लगाने की जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की नहीं है। समाज की सहभागिता भी बेहद जरूरी है। महिला अपराध पर लगाम कसने के लिए हर वर्ग के लोगों को भागीदारी करनी होगी और खुलकर सामने आना होगा। मौका था दैनिक जागरण कार्यालय में सोमवार को आयोजित अकादमिक बैठक जागरण विमर्श का। 'दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे विराम' विषय पर एडीजी जोन लखनऊ एसएन साबत से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी।
एडीजी जोन ने कहा कि आंकड़ों से अपराध का पैमाना नहीं तय किया जा सकता। अगर किसी जिले में प्रथम सूचना रिपोर्ट की संख्या ज्यादा है तो इसका मतलब ऐसा नहीं है कि वहां अपराध बढ़ा है। प्रदेश में 24 करोड़ की जनसंख्या है, जिसमें तकरीबन 50 फीसद महिलाओं की भागीदारी है। शिकायत मिलने पर फौरन एफआइआर दर्ज करने से काफी हद तक अपराध का ग्राफ कम किया जा सकता है। पूर्व की अपेक्षा रिपोर्ट दर्ज करने में बढ़ोतरी हुई है।
पुलिस रिस्पॉंस में आई है तेजी
चर्चा में एडीजी जोन ने बताया कि पुलिस रिस्पॉंस में तेजी दर्ज की गई है। पहले ऐसी बातें सुनने को मिलती थी कि पुलिस एफआइआर दर्ज करने में आनाकानी कर रही है, लेकिन अब ऐसी शिकायतों में काफी कमी आई है। पुलिस बल की कमी के कारण कुछ समस्याएं आती हैं। हालांकि राज्य सरकार ने भर्तियां की हैं और आगे भी होने जा रही हैं। एक से डेढ़ साल में पुलिस की कमी भी खत्म हो जाएगी।
अंजान लोगों से दोस्ती मतलब खतरा
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर लड़कियां और महिलाएं अंजान शख्स से दोस्ती करती हैं तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। दोस्ती बढ़ाकर इस तरह के लोग आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। महिला अपराध के आंकड़ों पर जोर देते हुए एडीजी जोन ने बताया कि घरेलू हिंसा और यौन उत्पीडऩ के पीछे परिचित लोगों का हाथ है। सामाजिक शिक्षा, दबाव और काउंसिलिंग के जरिए युवाओं को समझाया जा सकता है ताकि वह गलत कदम न उठाएं।
सख्ती से कम होंगे संगीन मामले
एसिड अटैक और दुष्कर्म जैसे संगीन मामलों में पुलिस को सख्त रुख अपनाना होगा। अपराधिक घटनाओं में किशोर ज्यादा संलिप्त हैं, जिन्हें अभिभावकों को समझाना होगा। महिला सुरक्षा के लिए यूपी 100, 112 और 1090 हर वक्त मौजूद है। अब पीआरवी में महिला कांस्टेबल भी तैनात रहेंगी, जिससे कोई पीडि़ता असहज महसूस न करे। पुलिस विभाग में टेक्नोलॉजी बढ़ाई जा रही है, जिससे लोगों को और तेजी से रिस्पॉंस दिया जा सके।