Move to Jagran APP

यूपी सचिवालय में अपर निजी सचिव अमर सिंह बर्खास्त, सीएम व डिप्टी सीएम पर लगाए थे जातिवाद के आरोप

उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव अमर सिंह द्वितीय को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। लोक सेवा आयोग ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 06:33 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 01:35 AM (IST)
यूपी सचिवालय में अपर निजी सचिव अमर सिंह बर्खास्त, सीएम व डिप्टी सीएम पर लगाए थे जातिवाद के आरोप
यूपी सचिवालय में अपर निजी सचिव अमर सिंह बर्खास्त, सीएम व डिप्टी सीएम पर लगाए थे जातिवाद के आरोप

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव अमर सिंह द्वितीय को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी है। अमर सिंह अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अमर सिंह ने शिक्षकों की भर्ती को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के विरुद्ध जातिवाद के आरोप लगाए थे। विधानसभा सत्र के विपक्षी नेताओं ने दौरान इस मामले को जोर-शोर से उठाया था।

loksabha election banner

उत्तर प्रदेश सरकार ने अमर सिंह द्वितीय के खिलाफ कर्मचारी सेवा नियमावली का उल्लंघन और अनुशासनहीनता के तहत विभागीय कार्रवाई शुरू की थी। जांच में बर्खास्त किए गए अपर निजी सचिव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को अपने सीयूजी नंबर से वाट्सएप ग्रुप पर जातिवादी बताकर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप सही पाए गए हैं। प्रकरण की जांच के बाद सरकार ने अमर सिंह को बर्खास्त करने का फैसला किया था। सचिवालय प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव के मुताबिक सरकार के निर्णय को लोक सेवा आयोग सहमति के लिए भेजा गया था। आयोग ने सरकार के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। इसके बाद उनको बर्खास्त किए जाने संबंधी आदेश जारी कर दिया गया।

अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष रहे अमर सिंसह द्वितीय ने छह जुलाई, 2018 को अपने सीयूजी नंबर से अपर निजी सचिव संवर्ग के वाट्सएप ग्रुप पर कमेंट किया कि 'यूजीसी के नियम से ओबीसी और दलितों के लिए दरवाजे बिल्कुल बंद हो चुके हैं। रामराज्य में सीएम ठाकुर अजय सिंह योगी और डिप्टी सीएम पंडित दिनेश शर्मा ने जातिवाद खत्म करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय में 71 में से 52 पदों पर अपनी जाति के लोगों को सहायक प्रोफेसर बनाया।' शासन ने इसे गंभीरता से लिया और मामले की जांच के निर्देश दिए।

इस मामले में पहले 12 जुलाई 2018 को तत्कालीन विशेष सचिव नागरिक उड्डयन विभाग सूर्यपाल गंगवार को जांच अधिकारी नामित किया गया लेकिन वह महत्वपूर्ण शासकीय कार्यों में व्यस्त थे। फिर विशेष सचिव गृह अभिषेक प्रकाश को जांच अधिकारी बनाया गया लेकिन उनका तबादला हो गया। अंतत: 12 अक्टूबर 2018 को सर्तकता विभाग के विशेष सचिव अनिल कुमार सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया। जांच अधिकारी ने आरोपी अपर निजी सचिव को आरोप पत्र दिया और आरोपों पर उसने 30 जुलाई 2019 को अपना लिखित पक्ष प्रस्तुत किया। अपने पक्ष में उन्होंने कहा कि त्रुटिवश यह मैसेज फारवर्ड हो गया।

तकनीकी कमेटी के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और आरोपी अपर निजी सचिव के पक्ष की गहन जांच की गई। इसमें पाया गया कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक एवं गंभीर कमेंट त्रुटिवश नहीं बल्कि अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष होने के नाते वाट्सएप ग्रुप के सदस्यों को संदेश प्रसारित किया गया, ताकि सदस्य संदेश से भिज्ञ हों और संघ के सदस्यों में उसकी ख्याति बढ़े। ऐसे में जांच कमेटी ने उसे बर्खास्त करने का निर्णय लिया और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को इस कार्रवाई पर सहमति व परामर्श के लिए बीती 27 फरवरी 2020 को अनुरोध किया गया। इस पर लोक सेवा आयोग ने 21 अगस्त 2020 को अपनी सहमति जता दी। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियामवली, 1999 के नियम-तीन के प्राविधानों के अनुरूप उसे बर्खास्त कर दिया गया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.