उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद भर्ती घोटाले में बड़ी कार्रवाई, तीन वैज्ञानिक समेत 19 कर्मचारी बर्खास्त
उत्तर प्रदेश में सपा शासनकाल में हुए कृषि अनुसंधान परिषद के भर्ती घोटाले में योगी सरकार ने कठोर कार्रवाई की है। तीन वैज्ञानिक सहित 19 कर्मचारी बर्खास्त।
लखनऊ, जेएनएन। यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) शासनकाल के दौरान हुए उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के भर्ती घोटाले में योगी सरकार ने कठोर कार्रवाई करते हुए तीन कृषि वैज्ञानिकों समेत 19 कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गयी है। साथ ही उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र कुमार के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है। इनकी नियम विरुद्ध भर्ती वर्ष 2015 में पिछली सरकार में हुई थी। वर्ष 2017 में नई सरकार ने इस पर जांच बैठा दी थी।
गुरुवार को यूपी सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) में वर्ष 2014-15 व 2015-16 में विभिन्न पदों पर भर्ती में अनियमितताओं की जांच प्रमुख सचिव हेमंत राव को सौंपी गयी थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद पूर्व महानिदेशक राजेंद्र कुमार द्वारा विभिन्न संवर्ग के 25 पदों पर नियुक्तियों में शासनादेशों का उल्लंघन व मापदंडों की अनदेखी सिद्ध हो गयी है।
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर 19 पदों के लिए अपनायी चयन प्रक्रिया को निरस्त करते हुए संबधित कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी है। इसमें वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. अंबरीश यादव, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. विपिन कुमार के अलावा आठ तकनीकी सहायक डॉ. अश्वनी कुमार, डॉ. अश्वनी यादव, डॉ. जेपी मिश्र, डॉ. संध्या यादव, डॉ. संगीता यादव, डॉ. ज्ञान मंजरी राव, डॉ. सीमा खान, मनोज कुमार शंखवार, कार्मिक अधिकारी दीप्ति यादव, अभिलेख सहायक कम लाइब्रेरियन विनय कुमार सिंह, आशु लिपिक सचिन यादव, आशीष यादव, नूपुर द्विवेदी, कनिष्ठ सहायक आनंद कुमार, राकेश कुमार गौतम व संजीव कुमार की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है।
मनमाने ढ़ंग से बदली चयन प्रक्रिया : जांच रिपोर्ट के अनुसार तत्कालिक महानिदेशक राजेंद्र कुमार ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए चयन प्रक्रिया को बार-बार बदला। आठ पोस्ट डाक्टोरल फैलो की नियुक्ति परियोजना पद्धति से होनी थी परंतु इसका पालन नहीं किया गया। इसमें से पांच लोगों की नियुक्ति को नियमित कर दिया गया। इसी तरह कार्मिक अधिकारी, आशु लिपिक, कनिष्ठ सहायक, अभिलेख सहायक कम लाइब्रेरियन, तकनीकी सहायक, तकनीकी सचिव व वैज्ञानिक अधिकारियों के पदों पर नियुक्तियों में आयु सीमा में छूट, लिखित परीक्षा की मूल कापियां बदलना, एक ही दिन में चयन प्रक्रिया पूरी करना, देर शाम नियुक्ति पत्र जारी करना, दूरस्थ रहने वाले अभ्यर्थियों उसी दिन स्वास्थ्य व अन्य जरूरी प्रमाणपत्रों के बिना ही कार्यभार भी ग्रहण करा दिया गया।
आधे से अधिक यादव : जांच रिपोर्ट में चयनित अभ्यर्थियों में एक जाति विशेष यादव की संख्या अधिक होने पर भी सवाल उठाया है। इसके अलावा उपकार में कार्यरत अधिकारियों व कर्मिकों के निकट संबंधियों को नियुक्तियां प्रदान करने का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि आधे से अधिक नियुक्तियां पूर्व महानिदेशक द्वारा स्वजातिजनों की कर दी गयी। रिपोर्ट में पूर्व महानिदेशक राजेंद्र कुमार की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए शासन को गुमराह करने का आरोप भी लगाया गया है।
पूर्व डीजी के खिलाफ मिलीं 17 शिकायतें : उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) में भर्ती घोटाले के आरोपी पूर्व महानिदेशक राजेंद्र कुमार के खिलाफ 17 गंभीर शिकायतें मिली थी। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि इन आरोपों की जांच के आदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 जुलाई 2017 को दिए थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक राजेंद्र कुमार ने महानिदेशक पद संभालने के समय अपने मूल विभाग से विधिवत समक्ष अधिकारी की अनुमति प्राप्त नहीं की थी। राजेंद्र कुमार के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है। नियुक्ति प्रक्रिया में किसी न किसी रूप में शामिल हुए दस कर्मियों को भी कारण बताओ नोटिस दिए गए है।