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हार न मानना और हौसला चट्टान जैसा है 'एसिड वाली लड़की' का

ऑल इंडिया टेस्ट के माध्यम से आइएएस कोचिंग के लिए हुआ चयन, राजधानी के बदालीखेड़ा निवासी रेशम फातिमा दिल्ली में कर रही आइएएस की तैयारी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 09:48 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:01 AM (IST)
हार न मानना और हौसला चट्टान जैसा है 'एसिड वाली लड़की' का
हार न मानना और हौसला चट्टान जैसा है 'एसिड वाली लड़की' का

लखनऊ (जितेंद्र उपाध्याय)। दुनिया केवल उन्‍हीं का नाम जानती है जिन्‍होंने विपरीत हालातों का डटकर सामना किया। मुश्किलों से लड़े से और जीत हासिल की। ऐसी ही एक कहानी है रेशम फातिमा की। नाम से भले ही रेश्‍म नाजुक लगती हो लेकिन उस हिम्‍मत चट्टान जैसी है। एसिड अटैक भी जिसके हौसले को पस्त न कर सका, उस रेशम का चयन ऑल इंडिया टेस्ट के माध्यम से आइएएस कोचिंग के लिए हुआ है। उन्होंने अपनी बहादुरी के बल पर न केवल प्रदेश का बल्कि देश का रोशन किया था। उन्होंने भारत अवार्ड पाकर देश में पहली बहादुर बनने तमगा भी हासिल किया था।

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कानपुर रोड के बदालीखेड़ा में रहने वाली रेशम के साथ 2014 में उस समय घटना हुई जब वह स्कूल से घर आ रही थी। 11वीं में पढ़ रही रेशम ने जब इसका विरोध किया तो दरिंदों ने उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया। झुलसा चेहरा लिए दर्द से कराहती रेशम ने हिम्मत दिखाई और रमाबाई रैली स्थल के पुलिस चौकी तक पहुंच गई। वहां से उसे लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसकी इस बहादुरी और हिम्मत के लिए 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेशम फातिमा को भारत अवॉर्ड के रूप में गोल्ड मेडल दिया। गोल्ड मेडल पाने वाली वह उस वर्ष देश की इकलौती बहादुर थीं। नौ फरवरी 2015 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रानी लक्ष्मीबाई के नाम से शुरू होने वाला पहला अवॉर्ड रेशम को देकर उसके हौसले की दाद दी।

रेशम दिल्ली में बीएससी कर चुकी हैं और आइएएस अधिकारी बनकर समाज नारी समाज को सम्मान देना चाहती हैं। रेशम का कहना है कि अबला तभी सबला बन सकती है जब खुद के अंदर समाज में खड़े होने का जज्बा और हौसला हो। रेशम का हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग में आइएएस की पढ़ाई के लिए चयन हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के उपरांत उसका चयन हुआ। वह आइएएस बनकर अपने जैसी बालिकाओं का हौसला बढ़ाना चाहती हैं। उसके नाम पर प्रतिभा ज्योति की ओर से 'एसिड वाली लड़की' के नाम लिखी गई किताब का पूर्व लोकसभा अध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला ने लोकार्पण भी किया था।


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