गहरे पानी में किसानी की राह खोलेगी 'जल भवानी', अयोध्या में कृषि विवि ने विकसित की धान की बेहतर प्रजाति
आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की डूब क्षेत्र में भी बेहतर उत्पादन देने वाली धान की प्रजाति। शोध में सामने आया है कि इस प्रजाति में 120 सेंटीमीटर तक गहरे पानी में उपज देने की क्षमता है। जैसे-जैसे पानी का भराव खेत में बढ़ेगा वैसे इसका विकास होगा।
अयोध्या, [प्रवीण तिवारी]। आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी नितेंद्र प्रकाश ने कमाल की धान की प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति ऐसे किसानों के लिए मुफीद है, जो नदियों के किनारे या फिर निचले क्षेत्रों में खेती करते हैं। अमूमन यहां जलभराव की वजह से धान की फसल नष्ट हो जाती है। अब नितेंद्र ने इस पानी की इस परेशानी का हल निकाला है। उन्होंने इस प्रजाति को जल भवानी (एनडीआर-720) नाम दिया है। यह न सिर्फ किसानों के दर्द को कम करेगी, बल्कि खूब उपज देकर धनधान्य से परिपूर्ण करेगी।
शोध में सामने आया है कि इस प्रजाति में 120 सेंटीमीटर तक गहरे पानी में उपज देने की क्षमता है। जैसे-जैसे पानी का भराव खेत में बढ़ेगा वैसे-वैसे इसका विकास तेजी से होगा। 10-12 दिन यह पानी में डूब कर भी इसकी पौध जिंदा रह सकेगी। जल भवानी सूखा भी बर्दाश्त करने वाली है। इसकी पैदावार 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। गोंडा निवासी विज्ञानी ने बहराइच के घाघराघाट स्थित फसल अनुसंधान केंद्र पर शोध किया।
आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुई टेस्टिंग में प्रजाति के पास होने पर यूपी के बाराबंकी, बनारस व आजमगढ़ स्थित परिक्षेत्र पर इसकी टेस्टिंग हुई, जहां से इसे हरीझंडी दी गई। नितेंद्र बताते हैं कि जलस्तर बढऩे के साथ ही इसके पौधों का विकास तो होता ही है और यह प्रजाति तना छेदक बीमारी से भी सुरक्षित है। अधिकतम 145 दिन में तैयार हो जाती है। हाल में ही इसे रिलीज किया गया। केंद्र सरकार के नोटीफिकेशन के बाद यह किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।