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सीआइएसएफ की नौकरी छोड़, आर्गेनिक खेती कर रहे लखनऊ के अचल; राजभवन में बनाया पंचतंत्र की कहानी का मॉडल

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में भर्ती होकर 2013 तक एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले लखनऊ के अचल अब धरती मां को उपजाऊ बनाकर जैविक खेती कर रहे हैं। खेती से जोड़कर बेरोजगारों को नियोजन का भी पाठ पढ़ा रहे हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 12:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 08:25 AM (IST)
सीआइएसएफ की नौकरी छोड़, आर्गेनिक खेती कर रहे लखनऊ के अचल; राजभवन में बनाया पंचतंत्र की कहानी का मॉडल
लखनऊ के अचल ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की नौकरी छोड़ शुरू की जैविक खेती।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। कहते हैं यदि आपके अंदर कुछ करने का जज्बा है तो मंजिल अपने आप मिल जाती है। बस आपको दृढ़ संकल्प लेने की आवश्यकता होती है। कुछ ऐसा ही संकल्प लिया अचल बिहारी लाल ने। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में भर्ती होकर 2013 तक एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले अचल अब धरती मां को उपजाऊ बनाकर जैविक खेती कर रहे हैं। खेती से जोड़कर बेरोजगारों को नियोजन का भी पाठ पढ़ा रहे हैं। राजभवन में पंचतंत्र की कहानियों पर आधारित माडल बनाकर उन्होंने अपनी कल्पनाशीलता का परिचय भी दिया है।

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वनस्पति शास्त्र में पीएचडी पत्नी वंदिता के साथ मिलकर अचल ने चार साल पहले जैविक खेती के साथ ही क्राप फार्मिग करके किसानों का ध्यान अपनी ओर खींचा। रासायनिक उर्वरकों से धरती को बचाने के संकल्प के साथ जैविक खेती करने का उनका यह प्रयास अब किसानों के लिए नजीर बन गया है। उनका कहना है कि अधिक उत्पादन के चक्कर में धरती को बंजर बनाकर हम सब अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बेरोजगारों को जैविक खेती से जोडऩा ही उनका मुख्य उद्देश्य है।

खेती के पहले मृदा परीक्षण जरूरी: मोहनलालगंज के कूढ़ा में आठ बीघे में केले व फूलों की खेती करने वाले अचल का कहना है कि हर फसल के बाद मृदा परीक्षण जरूरी है। इससे मिट्टी में कम हो रहे पोषक तत्वों की कमी की जानकारी तो हो ही जाती है साथ ही जैविक खाद की मात्रा कितनी खेतों में डालनी होगी इसके बारे में भी पता चल जाता है।

किसानों की पाठशाला: अचल न केवल हरी सब्जी बल्कि मटर की जैविक खेती करते हैं। खुद खेतों में काम करना और फिर उत्पादन को बाजार तक पहुंचाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। किसानों को जैविक खेती का गुर सिखाकर आमदनी बढ़ाने की वह पाठशाला भी लगाते हैं। किसानो की जमीन को किराए पर लेकर उन्हें खेती के गुर सिखाते हैं। आसपास के बेरोजगारों को वह अपने यहां रोजगार की जानकारी भी देते हैं। फूलों के 36 गमलों कर उत्कृष्ट सज्जा के लिए एनबीआरआइ की पुष्प प्रदर्शनी में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। राजभवन की पुष्प प्रदर्शनी में भी उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 30 से अधिक युवा व किसान जैविक खेती के गुर सीख रहे हैं। पंचतंत्र की कहानियों के माडल राजभवन मेें स्थापित करने का सौभाग्य मिला। फूलों के साथ किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं।


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