विवेक तिवारी हत्याकांड: ..तो संदीप की जमानत का रास्ता साफ!
अपराधी की पुष्टि के बगैर बिना वार्निंग मार दी गोली। 29 सितंबर 2018 को घटना के बाद हत्या के पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
लखनऊ, जेएनएन। विवेक तिवारी हत्याकांड के मामले में आरोपी संदीप कुमार की जमानत अर्जी पर इंसपेक्टर महानगर विकास कुमार पांडेय की ओर से भेजी गई रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आरोपी को साधारण मारपीट (धारा 323) का अभियुक्त बनाकर जमानत का रास्ता साफ किया जा रहा है।
जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी के अनुरोध पर सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव ने मामले की केस डायरी तलब करते हुए जमानत अर्जी की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तिथि नियत की है। इंसपेक्टर महानगर की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि आरोपी प्रशांत चौधरी एवं सन्दीप कुमार के खिलाफ आरोप पत्र भेजा गया है। जिसमें अभियुक्त सन्दीप कुमार के विरुद्ध धारा 323 भा.द.स. का अपराध पाए जाने पर धारा 323 में एवं अभियुक्त प्रशान्त चौधरी के विरुद्ध धारा 302 भा.द.स. का आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। देर शाम तक दोनों के विरुद्ध सीजेएम की अदालत में आरोप पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
जमानत प्रार्थना पत्र के विरोध में चार नवंबर 2018 को इंस्पेक्टर महानगर की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि 29 सितंबर 2018 को घटना के बाद हत्या के पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
विवेचक इंसपेक्टर महानगर के अनुसार चार नवंबर तक की स्थिति यह थी कि दोनों ही आरोपियों के विरुद्ध अपराध कारित किए जाने की पूर्ण पर्याप्त साक्ष्य प्राप्त हो चुके थे। जिसमें सना खान ने घटना के समय प्रशान्त चौधरी द्वारा असलहे से फायर एवं सन्दीप कुमार द्वारा डंडा मारने को कहा गया है तथा घटना के दौरान दोनों आरोपी खड़े थे।
विवेक हत्याकांड में फाइल की गई चार्जशीट के मुताबिक एक्सयूवी में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के मौजूद होने की पुष्टि नहीं थी, बावजूद इसके बिना वार्निग के हत्या के इरादे से प्रशांत चौधरी ने सरकारी पिस्टल निकाली और सामने से विवेक पर गोली चला दी। गोली अचानक या गलती से नहीं चली क्योंकि प्रशांत ने गोली चलाने के लिए ही सरकारी पिस्टल की सेफ्टी कैच हटाकर टिगर दबाया था। इस आधार पर ही गैरइरादतन हत्या की थ्योरी को चार्जशीट में खारिज कर दिया गया।
विवेक ने नहीं किया था कुचलने का प्रयास
चार्जशीट के मुताबिक विवेक ने सिपाहियों की बाइक में एक्सयूवी से सामने की ओर टक्कर नहीं मारी थी। महिला सहकर्मी होने के नाते विवेक ने सिपाहियों से बचकर भागने का प्रयास किया। एक्सयूवी से साइड से दो बार बाइक में टक्कर लगी और तीसरी बार में प्रशांत ने गोली चला दी। विधि विज्ञानशाला की रिपोर्ट में बताया गया है कि बाइक गिरी थी और उसके अगले पहिये के आधे हिस्से से एक्सयूवी का पहिया निकला था, जो बचकर निकालने की स्थिति को दर्शाता है। टक्कर लगने के समय एक्सयूवी की रफ्तार भी बेहद कम थी। सिपाही और बाइक दोनों दाहिने ओर गिरे और एक्सयूवी बाई ओर मुड़कर निकली। ऐसे में सिपाहियों पर एक्सयूवी चढ़ाने के इरादे की पुष्टि नहीं हुई।
क्या कहते हैं कानून के जानकार
कानून के जानकारों के अनुसार पूरी घटना को एक साथ देखा जाता है न कि उनके कृत्य के अनुसार अलग- अलग आरोप निर्धारित किए जाते हैं। अदालत में पेश की गई रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि दोनों अभियुक्तों का घटना कारित करने का सामान्य उद्देश्य था तथा उनके द्वारा अपने- अपने हाथ में लिए असलहे एवं डंडे का प्रयोग किया है। जिसके कारण आरोपी सन्दीप कुमार को न तो मामला अलग किया जा सका है और न ही उसे साधारण मारपीट का आरोपी बनाया जा सकता है। अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए 20 दिसंबर के लिए केस डायरी तलब की है।
एसआइटी रिपोर्ट और चार्जशीट के अहम बिंदु
- एफएसएल ने एंगिल ऑफ फायर, डिस्टेंस आफ फायर, डायरेक्शन ऑफ फायर व हाइट आफ फायर से पुष्ट किया कि प्रशांत ने खड़े होकर गोली चलाई थी
- प्रशांत ने विवेक की हत्या के इरादे से ही सरकारी पिस्टल की सेफ्टी कैच हटाकर उसे काक किया था। प्रशिक्षित पुलिसकर्मी होने के नाते उसे पिस्टल की हैंडलिंग ठीक से करना आता था। ऐसे में गलती से गोली चलने का कोई सवाल ही नहीं
- घटना प्री प्लांड नहीं थी। आरोपित सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार के बीच कोई क्रिमिनल कॉन्सीपेरेंसी या कॉमन इंटेनशन नहीं था। उनका सना से पूर्व को कोई परिचय भी नहीं था। दोनों सिपाहियों का घटनास्थल के आसपास रोजाना आना-जाना भी नहीं था। सना व विवेक से पूर्व की कोई दुश्मनी भी नहीं थी। एक मिनट के अंदर अचानक हुई घटना में दोनों सिपाहियों की आपस में कोई बातचीत नहीं हुई।
- विवेक तिवारी, सना व दोनों सिपाहियों के बीच गालीगलौज या बातचीत का भी कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि संदीप ने इशारों में या बोलकर प्रशांत को गोली चलाने के लिए प्रेरित किया हो
- संदीप को पहले से नहीं पता था कि प्रशांत गोली चला देगा। सना ने भी अपने बयान में संदीप के एक्सयूवी के बोनट और उसे डंडा मारने की बात कही है।
- सना ने घटना के दौरान सिपाही संदीप द्वारा सिपाही प्रशांत को न रोकने के बयान दिए हैं। विवेचक का तर्क है कि पूरी घटना 38 से 40 सेकंड के अंदर हुई, गोली मारने की संदीप को पूर्व से कोई जानकारी नहीं थी, कम समय के चलते वह रोक न सका। न ही उसकी संलिप्तता पाई गई।
- दोनों सिपाहियों का घटना में कॉमन इंटेनशन नहीं था और न ही योजनाबद्ध तरह से पूर्व नियोजित अपराधिक षडयंत्र के तहत घटना की गई।
- दोनों सिपाहियों ने डेढ़ बजे एक्सयूवी को रोका था। सुनसान स्थान पर गश्त के दौरान किसी गाड़ी को रोकना सरकारी कार्य का पार्ट है। एक्सयूवी को रोके जाने तक अपराधिक कृत्य नहीं था। संदीप द्वारा बाहर निकलने के लिए कहना भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता।
- सिपाही प्रशांत द्वारा गोली मारकर हत्या का मामला डिस्चार्ज ऑफ ऑफिशियल ड्यूटी में नहीं किया गया, न ही गुड फेथ में किया गया। न ही लोक व्यवस्था व शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए। न ही एडवांस एक्ट ऑफ पब्लिक जस्टिस के लिए। न ही ऐसी परिस्थिति में किया गया, जिसमें उसके जीवन को तत्कालिक खतरा था।