कोयला व्यापारी के घर पुलिस की डकैती: आरोपित मधुकर का सरेंडर, CCTV ने खोले कई राज
राजधानी के चर्चित ओमेक्स रेजीडेंसी के फ्लैट में पुलिसकर्मियों के डाका डालने के मामले में नया मोड़ आ गया है। सोमवार को मामले में आरोपित मुखबिर मधुकर मिश्र ने कोर्ट में खुद समर्पण करने पहुंचा। बताया जा रहा है कि आरोपित ने स्पेशल सीजीएम छह के अंतर्गत सरेंडर किया।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के चर्चित ओमेक्स रेजीडेंसी के फ्लैट में पुलिसकर्मियों के डाका डालने के मामले में नया मोड़ आ गया है। सोमवार को मामले में आरोपित मुखबिर मधुकर मिश्र ने कोर्ट में खुद समर्पण करने पहुंचा। बताया जा रहा है कि आरोपित ने स्पेशल सीजीएम छह के अंतर्गत सरेंडर किया। पुलिस इसकी तलाश में घेराबंदी करने में लगी थी। बताया जा रहा है कि आरोपित गाजीपुर थाने में दर्ज पुराने मामले में हाजिर हुआ है।
बता दें, मामले में अब तक दारोगा पवन कुमार मिश्रा, आशीष तिवारी, सिपाही प्रदीप कुमार भदौरिया और उसके निजी वाहन चालक आनंद यादव को बीते दिन यानी 10 मार्च को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय ने चारों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
रुपयों के साथ मधुकर को नीचे छोडऩे आया था पवन
सीसी कैमरे में आरोपित 9 मार्च की सुबह करीब छह बजकर 19 मिनट पर फ्लैट में दाखिल होते नजर आए हैं। महज 10 मिनट में ही आरोपितों ने दो बैग में एक करोड़ 85 लाख रुपये भर लिए। इसके बाद दारोगा पवन अपार्टमेंट के नीचे मुखबिर मधुकर के साथ उसकी गाड़ी में रुपये रखवाते देखा गया है। रुपये मिलने के बाद मधुकर वहां से चला गया था। बताया गया कि गोसाईगंज थाने में तैनात प्रशिक्षु आइपीएस भी ओमेक्स रेजीडेंसी में ही रहते हैं, जो जानकारी मिलने के कुछ ही देर बाद वहां पहुंच गए थे।
सीसी से हुई शिनाख्त
ओमेक्स रेजीडेंसी में कोयला व्यवसायी अंकित अग्रहरि के फ्लैट में डकैती प्रेकरण में शामिल पांच आरोपितों की सीसी से ने दो अन्य की भी पहचान कर ली। एसएसपी के मुताबिक सीसी फुटेज के आधार पर आरोपितों की शिनाख्त राधाकृष्ण उपाध्याय और यशराज तिवारी के रूप में हुई। मधुकर व उसके साथियों की तलाश में पुलिस टीमें छापेमारी में लगी थी।
दारोगा पवन मिश्र और आशीष तिवारी के खिलाफ घूसखोरी की पहले से कई शिकायतें थीं। सीओ मोहनलालगंज कार्यालय से कुछ महीने पहले ही दोनों की घूसखोरी की बकायदा लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई थी। शिकायत में बताया गया था कि दारोगा पवन मिश्र जमीन संबंधी मामलों में साठगांठ कर घूसखोरी कर रहे हैं। अपने साथ आशीष तिवारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों को भी मिलाकर लाभ पहुंचा रहे हैं। इस शिकायत का अगर संबंधित अधिकारियों ने संज्ञान ले लिया होता तो आरोपित दारोगा डकैती के बारे में सोचते भी नहीं। पूरे प्रकरण में अधिकारियों की भी लापरवाही उजागर हुई है।
युवती ने दी थी जानकारी
सूत्रों का कहना है कि आठ मार्च की रात रुपयों से भरा बैग देखकर एक युवती ने अपने परिचित को इसकी जानकारी दी थी। परिचित ने इसकी सूचना अपने करीबी को दी, जिसके बाद आरोपित निलंबित दारोगा पवन और आशीष ने मधुकर, प्रदीप व आनंद के अलावा अन्य लोगों के साथ वहां धावा बोला था।
आरोपित पर पहले से ही दर्ज हैं एफआइआर
बता दें, पुलिस के मुताबिक, मधुकर के खिलाफ वजीरगंज के अलावा ट्रांस गोमती के थाने में पहले से ही एफआइआर दर्ज है। वहीं, एएसपी क्राइम के गनर लालपुरवा, खैरीघाट बहराइच निवासी प्रदीप झांसी परिक्षेत्र में मारपीट के एक मामले में जेल भी जा चुका है। प्रदीप ट्रक चलवाता है। आरोपित निलंबित दारोगा पवन महावीरन पुरव, प्रेमनगर झांसी और आशीष सेवा, थाना पूछ, जनपद झांसी का रहने वाला है। वहीं, पकड़ा गया आनंद महिपाल खेड़ा, अर्जुनगंज का निवासी है। एसएसपी का कहना है कि आरोपित आनंद यादव के पास से 40 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। वहीं, प्रदीप के घर से दो लाख रुपये मिले हैं। पुलिस ने घटना में इस्तेमाल इनोवा और एक कार भी बरामद की गई है।
एके 47 लेकर घुसे थे फ्लैट में
आरोपित सिपाही प्रदीप फ्लैट में सरकारी एके 47 लेकर दाखिल हुआ था, जिससे वह अंदर मौजूद लोगों पर दबाव बना सके। पुलिस ने आरोपित के पास से सरकारी असलहा जब्त कर लिया है। डकैती डालने से पहले आरोपितों ने एक ढाबे में बैठकर चर्चा की थी।