Move to Jagran APP

Coronavirus Treatment: रेमडेसिविर के पीछे न भागें, यह रामबाण नहीं, जान‍िए क्‍या कहते हैं व‍िशेषज्ञ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में कहा है कि गंभीर मरीजों या जानलेवा परिस्थितियों में रेमडेसिविर का कोई असर नहीं दिखा है। रेमडेसिविर कोई जादुई दवा नहीं है और न ही ये कोई ऐसी दवा है जो मृत्यु दर कम कर सकती है। इसके साइड इफेक्ट भी हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 08:03 AM (IST)
Coronavirus Treatment: रेमडेसिविर के पीछे न भागें, यह रामबाण नहीं, जान‍िए क्‍या कहते हैं व‍िशेषज्ञ
शोध में भी रेमडेसिविर को कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में कारगर नहीं पाया गया है।

लखनऊ, जेएनएन। इन दिनों रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए पूरे देश में मारामारी है। कालाबाजारी के कारण नौ सौ से 35 सौ रुपये तक के इस इंजेक्शन के लिए 30 से 40 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। अपने प्रियजन को कोरोना से गंवा चुके लोगों को अफसोस है कि अगर उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन समय पर मिल जाता तो शायद उनके मरीज की जान बच सकती थी, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा नहीं है। शोध में भी रेमडेसिविर को कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में कारगर नहीं पाया गया है। रिसर्च सोसाइटी आफ एनेस्थीसिया एंड क्लीनिकल फार्माकोलाजी के सचिव और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ), लखनऊ के आइसीयू एक्सपर्ट प्रो. संदीप साहू से दैनिक जागरण ने इस मुद्दे पर विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे हमारे संवाददाता कुमार संजय की बातचीत के कुछ अंश...

loksabha election banner

-रेमडेसिविर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए कितना प्रभावी है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में कहा है कि गंभीर मरीजों या जानलेवा परिस्थितियों में रेमडेसिविर का कोई असर नहीं दिखा है। रेमडेसिविर कोई जादुई दवा नहीं है और न ही ये कोई ऐसी दवा है, जो मृत्यु दर कम कर सकती है। इसके साइड इफेक्ट भी हैं। इसका सेवन करने वालों में लिवर के एंजाइम्स का बढ़ा स्तर, एलॢजक रिएक्शन, ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में बदलाव, आक्सीजन ब्लड का घटा हुआ स्तर, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, होठों, आंखों के आसपास सूजन और ब्लड शुगर भी बढ़ा हुआ दिखा है। फार्मा बेस्ड स्टडी में कहा गया है कि रेमडेसिविर कोविड-19 रिकवरी टाइम को पांच दिन तक घटा देता है। तीमारदार यह सोचकर परेशान न हों कि रेमडेसिविर मिल जाता तो मेरा परिजन बच जाता या ठीक हो जाता। इसकी कोई गारंटी नहीं कि यह देने से वह ठीक हो जाएगा।

- क्या सबको रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है?

नहीं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि रेमडेसिविर सिर्फ उसे ही लगाया जाए, जो गंभीर संक्रमित हो और हाई ऑक्सीजन सपोर्ट ले रहा हो। जो लोग घर पर आइसोलेशन में हैं, उन्हेंं इस इंजेक्शन की कोई आवश्यकता नहीं है। हम रेमडेसिविर का इस्तेमाल बहुत कम लोगों में कर रहे हैं। रेमडेसिविर को किसी रेगुलर एंटीबायोटिक की तरह नहीं लिया जा सकता। रेमडेसिविर का घर पर मौजूद मरीज पर इस्तेमाल करने का सवाल ही नहीं उठता। दवा दुकानों पर इसके लिए लाइन लगाने का कोई मतलब ही नहीं है। समझ नहीं आ रहा कि डाक्टर भी धड़ल्ले से क्यों इस इंजेक्शन को प्रिस्क्राइब कर रहे हैं। यह केवल वायरस को बढऩे से रोकता है, लेकिन जब एआरडीएस हो गया तो इस दवा से कोई खास फायदा होने की संभावना नहीं है।

-रेमडेसिविर दवा नहीं मिल रही है तो क्या विकल्प हो सकता है?

कोरोना संक्रमित मरीजों में एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) रोकना और बढऩे से रोकना ही जरूरी है। डेक्सामेथासोन सहित अन्य स्टेरायड काफी कारगर साबित होते हैं। नान कोविड मरीजों में इस दवा का प्रभाव देखा गया है। हालांकि, इसके भी साइड इफेक्ट हैं, इसलिए डाक्टर की निगरानी में देने की जरूरत है। इस समय डाक्टर से सलाह नहीं मिल पा रही है तो आठ मिलीग्राम एक बार देने में कोई हर्ज नहीं। खासतौर पर जब आक्सीजन का स्तर 90 से कम हो। यदि डायबिटीज है तो चार-चार मिलीग्राम दो बार बांटकर दिया जा सकता है। इंट्रावेनस देने में इसके परिणाम ठीक देखे गए हैं।

-रेमडेसिविर का संकट अचानक कैसे खड़ा हो गया?

दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच रोजाना आने वाले कोरोना मामलों की संख्या 30 हजार से भी कम रह गई थी। फरवरी में भारत में कोरोना वायरस के नए मामले घटकर कुछ हजार रह गए थे। ऐसा लग रहा था कि महामारी खत्म होने को है। इसके पहले से ही नए मामले घटने लगे थे। तब दिसंबर से ही दवा कंपनियों ने रेमडेसिविर का उत्पादन घटा दिया था।

-क्या है रेमडेसिविर?

रेमडेसिविर एक एंटी-वायरल है, जो कथित तौर पर वायरस को बढऩे से रोकती है। 2009 में अमेरिका के गिलीड साइंसेज ने हेपेटाइटिस-सी का इलाज करने के लिए इसे बनाया था। 2014 तक इस पर रिसर्च चली और तब इबोला के इलाज में इसका इस्तेमाल हुआ। रेमडेसिविर का इस्तेमाल उसके बाद कोरोना वायरस फैमिली के मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम के इलाज में किया गया।

-क्या यह जीवन रक्षक दवा है?

भारत सरकार ने भी कहा है कि यह इंजेक्शन लाइफ सेविंग दवाओं में शामिल नहीं है। इसे घर पर देना भी नहीं है। पिछले हफ्ते केंद्र ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की अधिकतम कीमत 3500 रुपये तय की। यह भी कहा कि अप्रैल के आखिर तक इसका उत्पादन दोगुना हो जाएगा। इसके लिए छह और कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दे दी गई है।

-भारत में रेमडेसिविर कितनी कंपनियां बना रही हैं?

भारत में सात दवा कंपनियां इस समय रेमडेसिविर बना रही हैं। इन कंपनियों की कुल उत्पादन क्षमता 39 लाख शीशी हर महीने बनाने की है।

-संक्रमित को बुखार आने पर क्या करें?

पहले हफ्ते में बुखार, सिर दर्द अधिक परेशान करता है। लोगों की शिकायत है कि बुखार नहीं उतर रहा है, तो बुखार आने का इंतजार न करें बल्कि हर छह घंटे में बुखार नापते रहें और बुखार की दवा लेते रहें। चार घंटे पर भी दवा रिपीट की जा सकती है, यदि बुखार नहीं उतर रहा है। कोल्ड स्पंजिंग भी करते रहें।

-तय समय पर ही खाएं दवा

हल्के कोरोना संक्रमण में इवरमेक्टिन, डाक्सीसाइक्लीन सहित अन्य दवाएं दी जाती हैं। ध्यान दें कि दवा तय समय पर ही लेनी है। जैसे सात बजे सुबह आज इवरमेक्टिन ली तो अगले दिन सुबह सात बजे ही लेनी है। यदि कोई दवा दो बार लेनी है तो सुबह और शाम में 12 घंटे का अंतर होना चाहिए। इसके अलावा जिंक, विटामिन सी आदि भी तय समय पर ही लें। टहलते भी रहें, जिससे खून का थक्का न जमने पाए।

-फेफड़ों का व्यायाम जरूरी

फेफड़े फुलाने का व्यायाम करें। इनमें शंख बजाना, गहरी सांस लेना और छोडऩा काफी कारगर है। इसके अलावा खूब पानी पीएं। दो से तीन लीटर रोज पानी पीएं। दिन में चार बार भाप लें और नमक के पानी का गरारा जरूर करें।

-80 प्रतिशत में हल्का होता है संक्रमण

80 प्रतिशत लोगों में माइल्ड कोरोना संक्रमण देखा गया। इसलिए घबराएं नहीं। यदि सांस फूले और यह एक मिनट में 20 से 24 बार हो जाए, ऑक्सीजन की मात्रा 92 से 94 के बीच हो, तब किसी डाक्टर से सलाह लें। लाखों लोग पूरे विश्व में घर पर ही ठीक हो रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.