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उज्जैन के महाकाल से आई भस्म से लखनऊ के सिद्धपीठ मंदिर में हुई आरती, मूल ज्योतिर्लिंग जैसा होता है श्रृंगार

लखनऊ के बाबा महाकाल मंदिर की स्थापना के समय को लेकर जानकारी का अभाव है लेकिन मंदिर का जीर्णोद्धार 1960 में हुआ था। जीर्णोद्धार में दिवंगत नंद किशोर दीक्षित हरीराम कपूर और नानक शरण का विशेष योगदान रहा।

By Rafiya NazEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 02:46 PM (IST)
उज्जैन के महाकाल से आई भस्म से लखनऊ के सिद्धपीठ मंदिर में हुई आरती, मूल ज्योतिर्लिंग जैसा होता है श्रृंगार
लखनऊ के सिद्धपीठ महाकाल मंदिर में हुई भस्म आरती।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। महाकाल के दर्शन-पूजन की अभिलाषा है, उज्जैन की यात्रा के लिए समय निकाल नहीं पा रहे। दुर्लभ भस्म आरती में सम्मिलित होने की आकांक्षा है तो आप लखनऊ में भी बाबा महाकाल के दर्शन सुलभ हैं। राजेंद्र नगर द्वितीय मार्ग स्थित सिद्धपीठ महाकाल मंदिर में सोमवार को भोर में चार बजे आरती हुई तो पूरा परिसर जय महाकाल के जयकारे से गुंजायमान हो उठा।

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हू-ब-हू मूल ज्योतिर्लिंग जैसा होता है श्रृंगार: बाबा महाकाल मंदिर की स्थापना के समय को लेकर जानकारी का अभाव है लेकिन मंदिर का जीर्णोद्धार 1960 में हुआ था। जीर्णोद्धार में दिवंगत नंद किशोर दीक्षित, हरीराम कपूर और नानक शरण का विशेष योगदान रहा। कुछ वर्षों के बाद मंदिर को और भव्यता व विस्तार दिया गया। सन 1982 में यहां श्रीराम दरबार की स्थापना और 1984 में श्रीकृष्ण दरबार, माता काली और श्री हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की गई। भगवान महाकाल का दिव्य विग्रह यहां मौजूद है।

देवादिदेव महादेव का यह स्वरूप सहज और सुलभ है। श्रृंगार हू-ब-हू मूल ज्योतिर्लिंग जैसा होता है। अनुपम और अलौकिक महाकाल के दरबार में बाबा और माता का दरबार भी मौजूद है। भस्म आरती में शामिल होने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

व्यवस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया कि महाकाल मंदिर में भस्म आरती में शामिल होने और मंदिर में रुद्राभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी है। श्रावण के सभी सोमवार को भस्म आरती होती है। अब हर महीने के अंतिम सोमवार को भोर में भस्म आरती होगी। पुजारी महादेव तिवारी ने बताया कि दो दशक से अधिक समय से महाकाल की सेवा कर रहा हूं। महाकाल के दिव्य श्रृंगार का दर्शन करने की अनुभूति एक बार यदि श्रद्धालु को हो गई तो महाकाल की कृपा ऐसी बरसती है कि श्रद्धालु खुद खिंचा चला आता है। उज्जैन के महाकाल मंदिर की भांति श्रृंगार और आरती की जाती है।


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