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यूपी में किसानों के लिए चलेगी समृद्धि की पाठशाला, वैज्ञानिक बताएंगे-नई तकनीक से कैसे करें खेती

उन्नत भारत अभियान का लाभ किसानों को मिले इसके लिए बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से किसानों की पाठशाला चलेगी। लखनऊ व कानपुर के 20 गांवों का चयन किया गया है। ऊसर वाली भूमि पर जैविक रूप से सुधार अभियान चलाया जाएगा।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 04:22 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jan 2022 07:02 AM (IST)
यूपी में किसानों के लिए चलेगी समृद्धि की पाठशाला, वैज्ञानिक बताएंगे-नई तकनीक से कैसे करें खेती
इस अभियान में आंबेडकर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। उन्नत भारत अभियान का लाभ किसानों को मिले इसके लिए बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से किसानों की पाठशाला चलेगी। लखनऊ व कानपुर के 20 गांवों का चयन किया गया है। ऊसर वाली भूमि पर जैविक रूप से सुधार अभियान चलाकर किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का प्रयास किया जाएगा। विश्वविद्यालय की ओर से लखनऊ के दादूपुर गांव को गोद लिया गया है। आदर्श गांव के रूप में विकसित करने की कुलपति प्रो. संजय सिंह की मंशा के अनुरूप यहां भी पाठशाला चलाई जाएगी।

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उन्नत भारत अभियान समिति के नोडल अधिकारी प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा ने बताया कि ऊसर युक्त भूमि को जैविक तरीके से उपजाऊ बनाया जाएगा। इसके लिए लैब में बायोकेमिकल तैयार किया गया है। इसका परीक्षण ऊसर वाली भूमि में किया जाएगा। दूषित पानी से होने वाली समस्याओं को दूर किया जाएगा। पाठशाला में जल संरक्षण, जैविक खेती व कौशल विकास आके साथ ही प्राकृतिक खेती व समन्वित खेती की जानकारी दी जाएगी।

विद्यार्थियों की बढ़ेगी भागीदारीः आंबेडकर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी जिससे वे आगे चलकर किसानों की हर स्तर पर मदद कर सकें। प्रो.नवीन अरोड़ा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना और पराली जैसी समस्याओं से किसानों के निजात दिलाना है। उत्तर प्रदेश में ऊसर भूमि काफी है। यदि इसे उपजाऊ बनाया जाए तो किसानों को काफी फायदा होगा। किसानों की आय भी दो गुनी हो जाएगी। 

मिट्टी में घुलनशील को होंगे बैक्टीरियाः प्रो. नवीन कुमार ने बताया कि पराली को नष्ट करने के लिए जमीन में पाए जाने वाले बैक्टीरिया को संरक्षित किया गया है जिसका प्रयोग खेतों में किया जाएगा। ये बैक्टीरिया मिट्टी में मिलकर ऊसर को 100 से एक हजार गुना तेजी से कम करने में सहायक होंगे। ऊसर भूमि में उत्पादन लागत कम आएगी और फसल में 20 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होगी।


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