पैसा नहीं दिया तो टीम से निकाला, कैसे खेलेगा इंडिया?
64वीं नेशनल स्कूल गेम्स सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में भेजने के एवज में सूर्यांश के पिता से मांगे 15 हजार रुपये। पैसा देने में असमर्थ रहे सूर्यांश को चयनकर्ताओं ने टीम से निकाला।
लखनऊ, (विकास मिश्रा)। अगर किसी खिलाड़ी के लिए टूर्नामेंट में खेलने का जरिया टैलेंट नहीं पैसा हो तो क्या इसे खेल माना जाएगा? खेलो इंडिया योजना देशभर में लागू है। लक्ष्य है- स्पोर्ट्स फॉर ऑल, स्पोर्ट्स फॉर एक्सीलेंस। नारा है- खेलेगा इंडिया तो खिलेगा इंडिया। ध्येय वाक्य है- खेलो इंडिया, हम साथ हैं। 'हम' से आशय सरकार से है। बावजूद इसके 13 साल का सूर्यांश मायूस है। उसके पास प्रतिभा की कमी नहीं, पैसों की कमी है, जिसके चलते उसका स्पोर्ट्स करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।
64वीं नेशनल स्कूल गेम्स सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप 14-18 दिसंबर तक मध्यप्रदेश के देवास में शुरू होने जा रही है। हर राज्य की टीम इसमें भाग लेगी। उत्तरप्रदेश की टीम भी तैयार है। लखनऊ के सूर्यांश नेगी ने अपने टैलेंट के दम पर उप्र टीम में जगह बना ली थी। लेकिन इसके बाद चयनकर्ताओं ने उससे 15 हजार रुपये की मांग कर दी। कहा कि बिना इसके काम नहीं चलेगा। पैसे देने में असमर्थ सूर्यांश को अंतत: टीम से निकाल दिया गया। मायूस सूर्यांश के पिता धर्मेंद्र सिंह ने दैनिक जागरण को ईमेल भेजकर आपबीती बताई और अपील की कि सूर्यांश की गुहार देश के खेल मंत्री व प्रधानमंत्री तक पहुंचाएं।
सॉफ्ट टेनिस भले ही 'खेलो इंडिया स्कूल गेम्स' की प्राथमिकता सूची में न हो, लेकिन यह खेल एशियाड गेम्स का हिस्सा है, जिसमें भारत भी भाग लेता है। इसके लिए सॉफ्ट टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया भी मौजूद है और यह खेल स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआइ) के वार्षिक आयोजनों की सूची में भी शामिल है। हर साल नेशनल स्कूल गेम्स सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप भी होती है, जैसी कि इस साल भी देवास में हो रही है। लेकिन सूर्यांश के साथ जो हुआ, वह साबित करता है कि देश को स्पोर्टिंग नेशन बनाने के लिए हर स्तर पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
लखनऊ के उभरते सॉफ्ट टेनिस खिलाड़ी सूर्यांश नेगी का चयन उप्र अंडर-14 टीम में हुआ था। सूर्यांश ने ट्रायल में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम में जगह बनाई थी। इस बड़ी सफलता से सूर्यांश और उसका पूरा परिवार खुशी से गदगद हो गया, लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी। सूर्यांश के पिता धमेंद्र सिंह ने बताया कि बेटे के चयन के एक-दो दिन बाद ही यूपी टीम के कोच प्रशांत शर्मा ने टीम में चयन पाने वाले खिलाडिय़ों के अभिभावकों को बुलाया और कहा कि जिन खिलाडिय़ों को चैंपियनशिप में खेलना है, उन्हें पंद्रह-पंद्रह हजार रुपये देने होंगे। इस पर जब धर्मेंद्र ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए तो महज 130 रुपये ही रजिस्ट्रेशन शुल्क है तो कोच प्रशांत के पास इस सवाल का जवाब नहीं था। बकौल धर्मेंद्र, हम इतना पैसा देने में असमर्थ थे सो हमने कोच से प्रार्थना की, उनसे मदद मांगी। लेकिन कोच प्रशांत और यूपी सॉफ्ट टेनिस संघ के पदाधिकारियों का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने मुझसे कहा कि सूर्यांश का नाम टीम से वापस लेने के लिए लिखित आवेदन सौंप दो। तब मजबूरी में मुझे सूर्यांश का नाम वापस लेना पड़ा...।
हमारे पास पूरा हिसाब है...:
उप्र सॉफ्ट टेनिस के कोच व चयनकर्ता प्रशांत शर्मा कहते हैं कि पांच हजार रुपये स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को देना पड़ता है, बाकी रुपये हम बच्चों के आने-जाने-खाने-ठहरने की व्यवस्था पर खर्च करते हैं। सरकार किसी तरह की मदद नहीं करती है इसलिए खिलाडिय़ों के माता-पिता से बात करने के बाद ही उनसे पैसे के लिए कहा गया।
उप्र सरकार से मदद नहीं...:
स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्य मुन्ना लाल साहू ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत महज 18 खेलों के लिए ही उत्तरप्रदेश सरकार आर्थिक मदद करती है इन खेलों में सॉफ्ट टेनिस नहीं आता है। कोच से लेकर रेल टिकट और कई खर्चे होते हैं, जिसे खिलाडिय़ोंं को खुद देना पड़ता है। इसके लिए प्रत्येक खिलाड़ी के हिसाब से पांच हजार रुपये खर्च निर्धारित किया गया है। हालांकि एसएफजीआइ का रजिस्ट्रेशन चार्ज सिर्फ 130 रुपये है, अगर खिलाडिय़ोंं से पंद्रह हजार रुपये लिया गया है तो यह गलत है। इसकी जांच करवाई जाएगी।
हमें कोई लेना-देना नहीं...:
उप्र सॉफ्ट टेनिस संघ के सचिव दीपक चावला का कहा है कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के किसी भी टूर्नामेंट से सॉफ्ट टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया को कोई लेना-देना नहीं है। वे कितना पैसा ले रहे हैं, खिलाड़ी कितना पैसा दे रहे हैं, इससे भी हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि सरकार भी सॉफ्ट टेनिस खिलाडिय़ों को कोई मदद नहीं करती है। ऐसे में कोच और खिलाडिय़ों को लाने- ले जाने व ठहराने का पैसा कहां से आएगा।