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सर्वर हैक कर करोड़ों ठगने वाले गिरोह का राजफाश, मुंबई से एक अरेस्ट

कोऑपरेटिव बैंक का सर्वर भी किया था हैक, ट्रासफर कराए थे 47 लाख। नाइजीरियन गैंग कर रहा है हैकिंग, खुलवा रखे हैं कई फर्जी खाते। पुलिस हिरासत में ठगी करने वाले आरोपित।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 10:48 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 10:49 AM (IST)
सर्वर हैक कर करोड़ों ठगने वाले गिरोह का राजफाश, मुंबई से एक अरेस्ट
सर्वर हैक कर करोड़ों ठगने वाले गिरोह का राजफाश, मुंबई से एक अरेस्ट

लखनऊ[जागरण संवाददाता]। साइबर क्राइम सेल ने सर्वर हैक कर ठगी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को मुंबई से गिरफ्तार किया है। एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक, आरोपित अपने साथियों संग मिलकर विभिन्न कंपनियों के सर्वर हैक कर लेता था। गिरोह ने उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक का सर्वर हैक करके 47 लाख रुपये स्थानातरित करा लिए थे। साइबर क्राइम सेल के नोडल प्रभारी व सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक, कैसरबाग कोतवाली में यूपी कोऑपरेटिव बैंक की अलीगंज शाखा के उपमहाप्रबंधक कामता प्रसाद ने एफआइआर दर्ज कराई थी। मामले की पड़ताल में पता चला कि यह गिरोह नाइजीरियन चला रहे हैं। गिरोह ने यूपी कोऑपरेटिव बैंक मुरादाबाद के सर्वर को हैक कर लखनऊ शाखा में एक मेल किया था। मेल में 47 लाख रुपये का स्थानातरण जार्डन ट्रेवल्स नामक संस्था को करने के निर्देश दिए गए थे। इसपर बैंक के डीजीएम ने रुपये पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के खाते में भेज दिए थे। हालाकि बाद में बैंक को ठगी की जानकारी हुई थी और उन्होंने एफआइआर दर्ज कराई। सात महीने में तीन करोड़ की ठगी

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मामले में मुंबई के हुसैनचाल ताराबाई नगर तुंगा विलेज साकी विहार रोड थाना पोवई निवासी मेलविन रॉबिन ऐमन को पुलिस ने पकड़ा। उसने बताया कि वह अक्टूबर 2017 से गिरोह में शामिल है। आरोपित का कहना है कि सात महीने में उसके गिरोह के साथियों ने करीब तीन करोड़ रुपये की ठगी की है। आरोपित अलग-अलग कंपनियों व संस्थाओं के सर्वर हैक कर वारदात को अंजाम दिया है। अलग-अलग खातों में मंगाते थे रुपये

एएसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्र के मुताबिक, आरोपित अलग-अलग खातों में रुपये मंगाते थे। इसके लिए वह लोगों को रुपयों का लालच देकर उनसे फर्जी खाता खुलवाते थे। पकड़े गए आरोपित के अभी तक कुल छह खातों के बारे में पुलिस को जानकारी मिली है। आरोपित उन खाता धारकों को रकम का तीन प्रतिशत हिस्सा देते थे, जिनके खाते में रुपये आता था। यही नहीं बैंकों से रुपये निकालने का काम करने वाले लोगों को 20 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता और शेष रुपये नाइजीरियन रख लेते थे। खाता सीजकर बचाए 41 लाख

ठगी की जानकारी पर बैंक ने फौरन उस खाते को सीज कर दिया था, जिसमें रुपये स्थानातरित किए गए थे। हालाकि तब तक ठगों ने खाते से छह लाख रुपये निकाल लिए थे। फिर भी 41 लाख रुपये बच लिए गए। आइजी सुजीत पाडेय ने आरोपित को पकड़ने वाली टीम को 25 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है।


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