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74th Independence Day: एक जांबाज, जिसने बंटवारे से लेकर कश्मीर आक्रमण तक लिया था मोर्चा

74th Independence Day मास्टर वारंट ऑफिसर राम कलप सिंह कौशिक ने किया था लाहौर से अमृतसर तक ट्रेनों को एस्कॉर्ट। 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में उतरे पहले डकोटा विमान में भी थे कौशिक

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 08:39 AM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 09:46 PM (IST)
74th Independence Day: एक जांबाज, जिसने बंटवारे से लेकर कश्मीर आक्रमण तक लिया था मोर्चा
74th Independence Day: एक जांबाज, जिसने बंटवारे से लेकर कश्मीर आक्रमण तक लिया था मोर्चा

लखनऊ [निशांत यादव]। 74th Independence Day : आजादी के समय बंटवारे के दौरान विभाजित भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ के लोगों को उनकी मंजिल तक सुरक्षित  पहुंचाने के लिए ट्रेनों को एस्कॉर्ट करके भेजा जाता था। लाहौर से अमृतसर के बीच चलने वाली इन ट्रेनों में वायुसेना और थलसेना के जांबाजों की तैनाती होती थी। केवल 10 जांबाजों पर पूरी ट्रेन के हजारों लोगों की रक्षा की जिम्मेदारी थी। वायुसेना के मास्टर वारंट ऑफिसर राम कलप सिंह कौशिक ने अगस्त व सितंबर तक कई बार शरणार्थियों की जान बचाकर उनको मंजिल तक पहुंचाया। मास्टर वारंट आफिसर राम कलप सिंह कौशिक उस पहले डकोटा विमान से कश्मीर की श्रीनगर हवाई पट्टी पर उतरे थे। जहां उन दिनों कबाइली आक्रमण हो चुका था।

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मास्टर वारंट ऑफिसर राम कलप सिंह कौशिक उन कर्नल जीपीएस कौशिक के पिता हैं। जिन्होंने 1999 का कारगिल युद्ध अपने भाई स्क्वाड्रन लीडर एसपीएस कौशिक के साथ मिलकर लड़ा था। कर्नल कौशिक बताते हैं कि पिता राम कलप सिंह कौशिक ने एक एयरमैन रूप में 1943 में रायल एयरफोर्स को ज्वाइन किया था। उसी साल उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा भी लिया था। अगस्त 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ। उस समय वह कराची में तैनात थे। उनकी यूनिट को लाहौर से अमृतसर तक ट्रेन के साथ सड़क मार्ग से जाने वाले काफिेले को दोनो ओर सुरिक्षत पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली। कई बार शरणार्थियों को ले जा रही ट्रेन पर हमले हुए। लेकिन उन्होंने जांबाजी से उनकी रक्षा की। इस काम के पूरा होने के बाद राम कलप सिंह कौशिक की तैनाती दिल्ली हुई। उसी समय कश्मीर पर पाकिस्तानी कबाईली का हमला हो गया। उस समय ट्रेन केवल पठानकोट तक जाती थी। ऐसे में भारतीय सेना को 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर भेजने के हुक्म दिए गए। एक सिख रेजीमेंट की टुकड़ी जिस डकोटा विमान से श्रीनगर की एयर फील्ड पर उतरी। उसी डकोटा विमान में  राम कलप सिंह कौशिक भी सवार थे। वह लगातार दिल्ली व अन्य हिस्सों से सेना के जवानों, रसद और गोला बारूद को लेकर श्रीनगर पहुंचाते रहे। इस दौरान पुंछ व राजौरी में मैन्यूअल तरीके से बम गिराने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभायी। इस ऑपरेशन के बाद उन्होंने 1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध में भी हिस्सा लिया।

मृत्यु भी एक इत्तेफाक

जिस पहले डकोटा विमान से सिख रेजीमेंट के जवानों के श्रीनगर में 27 अक्टूबर को उतरने के कारण इंफेंट्री डे मनाया जाता है। उसी 27 अक्टूबर 2006 में मास्टर वारंट आफिसर राम कलप सिंह कौशिक की मृत्यु हो गई।


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