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संप्रेक्षण गृहों के 63 फीसद किशोर जघन्य अपराधों में शामिल

63 फीसद ऐसे हैं जो जघन्य अपराधों के कारण सात साल से अधिक की सजा काट रहे हैं। 334 ऐसे हैं जो गंभीर अपराधों के कारण यहां हैं। इनमें भी तीन से सात साल की सजा का प्रावधान है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 03:43 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 03:43 PM (IST)
संप्रेक्षण गृहों के 63 फीसद किशोर जघन्य अपराधों में शामिल
संप्रेक्षण गृहों के 63 फीसद किशोर जघन्य अपराधों में शामिल

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। प्रदेश के संप्रेक्षण गृहों में रह रहे किशोरों में 63 फीसद जघन्य अपराधों में शामिल हैं। इन पर हत्या व दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध की धाराओं में मुकदमा चल रहा है। इनमें सात साल से अधिक की सजा का प्रावधान है। 20 फीसद किशोर ऐसे हैं जिन पर भी गंभीर मामले दर्ज हैं। सिर्फ 17 प्रतिशत किशोर ही ऐसे हैं जिनके ऊपर बेहद मामूली धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।

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यूं तो प्रदेश में 26 राजकीय संप्रेक्षण गृह हैं, जिनमें छह किशोरियों के लिए हैं। इनमें अपराध करने वाले सात से 18 वर्ष तक की आयु के किशोर व किशोरियों को रखा जाता है। इनके मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड करता है। इस समय 41 हजार से अधिक मामले किशोर न्याय बोर्ड में लंबित हैं। 1662 किशोर व किशोरियां विभिन्न अपराधों में लिप्त रहने के कारण इन संप्रेक्षण गृहों में रह रहे हैं। इनमें 1047 यानी 63 फीसद ऐसे हैं जो जघन्य अपराधों के कारण सात साल से अधिक की सजा काट रहे हैं। 334 ऐसे हैं जो गंभीर अपराधों के कारण यहां हैं। इनमें भी तीन से सात साल की सजा का प्रावधान है।

छोटे मामलों में रह रहे 17 फीसद
संप्रेक्षण गृहों में रह रहे 17 प्रतिशत किशोर यानी 281 ऐसे हैं जो बेहद छोटे मामलों में यहां रह रहे हैं। किसी ने पांच रुपये की चोरी की है तो किसी ने 10 रुपये की। इनमें कई किशोर तो ऐसे हैं जो बगैर टिकट ट्रेन में यात्रा कर रहे थे या रेलवे फाटक बंद होने के बावजूद नीचे से निकलने की कोशिश में धर लिए गए। यूं तो इन्हें पुलिस थाने से ही जमानत मिल जानी चाहिए थी लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। पहली सुनवाई में भी इन्हें नहीं छोड़ा गया।

क्षमता से डेढ़ गुना अधिक हैं किशोर
संप्रेक्षण गृहों में क्षमता से करीब डेढ़ गुना अधिक किशोर रह रहे हैं। प्रदेश में 26 संप्रेक्षण गृहों की कुल क्षमता 1185 किशोरों के रहने के लिए है लेकिन इनमें 1730 किशोर व किशोरियां रह रहे हैं। अधिक संख्या में किशोरों के रहने के कारण अक्सर संप्रेक्षण गृहों में वर्चस्व को लेकर जंग भी हो जाती है।

पूर्वांचल से अधिक आ रहे दुष्कर्म के मामले
पूर्वांचल के जिलों में किशोरों द्वारा बलात्कार के सबसे अधिक सामने आ रहे हैं। गोरखपुर संप्रेक्षण गृह में 66 किशोर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के आरोपी हैं। वहां महाराजगंज, कुशीनगर व देवरिया के किशोर भी लाए जाते हैं। दूसरे नंबर पर इलाहाबाद है। वहां 32 किशोर इसी अपराध में रह रहे हैं, जबकि 31 किशोर मुरादाबाद में दुष्कर्म के आरोप में रह रहे हैं।

इलाहाबाद में हत्या के अधिक मामले
इलाहाबाद संप्रेक्षण गृह में 24 किशोर हत्या के आरोप में रह रहे हैं। वहां कौशांबी, प्रतापगढ़ व फतेहपुर के किशोर रह रहे हैं। 20-20 किशोर बरेली व गोरखपुर संप्रेक्षण गृह में रह रहे हैं जो धारा 302 के आरोपी हैं।

'पिछले दिनों हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से संप्रेक्षण गृहों में बेहद छोटे अपराधों में रह रहे किशोरों को जल्द जमानत देने की अपील की गई है। इनमें बहुत से ऐसे किशोर हैं जो पांच रुपये व 10 रुपये की चोरी के आरोपी हैं। जब भी ऐसे छोटे मामलों में किशोर पकड़े जाएं तो उनकी काउंसलिंग करनी चाहिए। इनके खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज होना चाहिए। इससे संप्रेक्षण गृहों में अनावश्यक बोझ भी नहीं पड़ेगा।
-रीता बहुगुणा जोशी, मंत्री, महिला कल्याण  


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