माहवारी को लेकर 63 फीसद किशोरियों का दूर किया गया डर, विशेषज्ञों ने ऐसे की काउंसलिंग
क्वीन मेरी अस्पताल लखनऊ में कोविड काल के दौरान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट की ओर से बीते एक जुलाई से 20 सितंबर तक 151 किशोरियों पर किए गए किशोरियों की काउंसलिंग कर उनके मन में माहवारी को लेकर छिपे भय को दूर किया गया।
लखनऊ, [कुसुम भारती]। क्वीन मेरी अस्पताल में कोविड काल के दौरान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट की ओर से बीते एक जुलाई से 20 सितंबर तक 151 किशोरियों पर किए गए सर्वे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिसमें माहवारी को लेकर बहुत-सी किशोरियों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा की। साथ ही सर्वे में शामिल किए गए 15 सवालों पर अपने-अपने जवाब दिए। प्रश्नावली में शामिल सवालों से जुड़े जवाब के आधार पर किशोरियों की काउंसलिंग कर उनके मन में माहवारी को लेकर छिपे भय को दूर किया गया। साथ ही माहवारी से जुड़े कुछ सकारात्मक पहलू समझाए गए।
एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव से बढ़ती है सुंदरता
केजीएम के क्वीन मेरी हॉस्पिटल में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलसेंट हेल्थ एंड डेवलपमेंट की नोडल अधिकारी डॉ. सुजाता ने बताया कि 10 से 12 व 12 से 14 वर्ष की किशोरियों पर किए गए सर्वे में पता चला कि उनके मन में पीरियड को लेकर काफी नकारात्मक सवाल व भ्रम थे। जिसे काउंसलिंग के जरिए काउंसलर ममता सिंह ने दूर किए। किशोरियों को बताया गया कि महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन, जिसे हैप्पी हार्मोन भी कहते हैं, की शुरुआत किशोरावस्था यानी उनकी प्यूबर्टी के समय होती है। जब इस हार्मोन का स्राव होता है तो एक अलग तरह की खुशी मन में पैदा होती है। किशोरियों का शारीरिक विकास व मानसिक संतुलन बनाए रखने सहित यह सुंदरता भी बढ़ाता है।
काउंसलर ममता सिंह ने बताया कि हमने किशोरियों को समझाया कि यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है। जिस तरह बुखार, खांसी जैसे रोग जिसमें चार-पांच दिन में ठीक हो जाते हैं, उसी तरह यह भी ठीक हो जाता है और इससे किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह हर लड़की के जीवन में होने वाली एक सकारात्मक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो एक लड़की को संपूर्ण स्त्री बनने में मदद करती है।
कोविड एवं स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नावली में ये तथ्य निकले :
- 95.4 फीसद उत्तरदाता किशाेरियां अविवाहित थी।
- 23 फीसद किशाेरियों की माहवारी 10-12 तथा 57 फीसद की 12-14 साल की उम्र में शुरू हो गयी थी।
- पहली बार माहवारी आने पर 25 किशाेरियां आश्चर्यचकित थी, जबकि 63 फीसद किशोरियां डर गयी थी।
- 23.5 फीसद किशारियों की माहवारी अनियमित थी।
- 77 फीसद किशोरियों ने बताया कि माहवारी में औसत खून गिरता है, जबकि छह फीसद ने कम तथा 17 फीसद ने ज्यादा खून गिरना बताया।
- 48 फीसद किशोरियों का माहवारी चक्र 27-29 दिन का, 42 फीसद किशाेरियों का 30-35 दिन तथा छह फीसद किशाेरियों का 35 दिन से ज्यादा का था।
- 82 फीसद किशाेरियां माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड, 16 फीसद साफ कपड़ा तथा दो फीसद पुराना कपड़ा इस्तेमाल करती थीं।
- 34 फीसद किशाेरियां माहवारी के दौरान दिन में दो बार तथा 61 फीसद दिन में तीन बार कपड़ा या पैड बदलती थी।
- सात फीसद किशाेरियों ने बताया कि वो पढ़ाई काे लेकर तनाव में रहती थी।
- 43 फीसद किशाेरियों काे एनीमिया के बारे में जानकारी नहीं थी, जबकि 57 फीसद ने बताया कि खून की कमी काे कहते हैं।
- 91 फीसद किशाेरियों ने बताया एनीमिया से बचने के लिये आयरन की गोली खानी चाहिए, जबकि नौ फीसद ने बताया कि नहीं खानी चाहिये।
- 52 फीसद किशाेरियों ने बताया एनीमिया से बचने के लिये सप्ताह में आयरन की एक गोली खानी चाहिये, जबकि 3.3 फीसद ने बताया माह में एक बार और 30 फीसद बताया कि कभी-कभी खानी चाहिये।
- 93 फीसद किशाेरियों काे पता था कि काेराेना से बचने के लिये मास्क पहनना चाहिये, मुंंह ढककर रहना चाहिये, साबुन से हाथ धाेना चाहिये तथा खांसी या छींक आने पर मुंह ढक लेना चाहिये।
- 61 फीसद किशाेरियों ने बताया कि वे आराेग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करती हैं ,जबकि 39 फीसद नहीं करती हैं।