Violation of COVID Protocol: 53 हजार वेटिंग में, 36 हजार बेटिकट यात्री, ट्रेनों में कैसे हो शारीरिक दूरी का पालन
Violation of COVID Protocol ट्रेनों में लंबी वेटिंग और बेटिकट यात्रियों ने जो भीड़ बढ़ाई है वह भयावह स्थिति का अंदेशा जता रही है। अमीनाबाद जैसे साप्ताहिक बाजारों में लोग होली से पहले की तरह उमड़ रहे हैं। बस अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का भी यही हाल है।
लखनऊ, जेएनएन। दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी। कोरोना महामारी से बचने के लिए यह कवच अब कमजोर पड़ता दिख रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में हुईं मौतों से भी लोग सबक लेने को तैयार नहीं हैं। ट्रेनों में लंबी वेटिंग और बेटिकट यात्रियों ने जो भीड़ बढ़ाई है, वह भयावह स्थिति का अंदेशा जता रही है। अमीनाबाद जैसे साप्ताहिक बाजारों में लोग होली से पहले की तरह उमड़ रहे हैं। बस अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का भी यही हाल है।
रेलवे ने कोविड-19 के नियमों के पालन के लिए कई बार नियम बदले। पिछले साल अनलाक के बाद जब राजधानी एक्सप्रेस जैसी स्पेशल ट्रेनों की शुरुआत हुई तो वेटिंग की व्यवस्था को ही खत्म कर दिया गया। टिकट चेकिंग स्टाफ की तैनाती कर वेटिंग वाले यात्रियों के स्टेशनों आने पर रोक लगा दी गई, लेकिन अब ट्रेनों में वेटिंग से सफर की अनुमति दे दी गई है। आलम यह है कि एक से 17 जून तक पूर्वोत्तर रेलवे की गोरखपुर, बस्ती, गोंडा और लखनऊ से गुजरने वाली ट्रेनों में 53 हजार वेटिंग लिस्ट के यात्रियों ने मुंबई, अहमदाबाद और दक्षिण भारत की ट्रेनों में यात्रा की। बात यहीं तक नहीं रुकी। इन 53 हजार वेटिंग लिस्ट के यात्रियों के साथ 36,266 बेटिकट यात्री भी मिले। जिनको वेटिंग लिस्ट का टिकट तक नहीं मिला था। अब रविवार को ही लखनऊ से मुंबई जाने वाली 02108 लखनऊ-एलटीटी सुपरफास्ट में सभी श्रेणी में वेटिंग रिग्रेट है। लखनऊ मुंबई एसी एक्सप्रेस स्पेशल में सहित 11 ट्रेनों में 5,300 यात्री वेटिंग लिस्ट में हैं।
बस अड्डों पर भी भीड़
आसपास के कई जिलों के लोग लखनऊ के कैसरबाग, आलमबाग व चारबाग आकर दिल्ली व हरियाणा के लिए रवाना हो रहे हैं। बसें पूरी क्षमता से चल रही हैं। जबकि बस अड्डों पर भी अधिक भीड़ के कारण शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो पा रहा है।
साप्ताहिक बाजारों में भी जुटान
अमीनाबाद ही नहीं शहर के सभी साप्ताहिक बाजारों में कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। लोग साप्ताहिक बाजारों में जुट रहे हैं। ई-रिक्शा और आटो जैसे सार्वजनिक साधनों में क्षमता से अधिक लोग बैठ रहे हैं। करीब तीन से चार घंटे तक लोगों की अधिक भीड़ के कारण कोरोना के दोबारा तेजी पकडऩे का खतरा बना हुआ है।